
तहलका बाराबंकी/एम आर आज़ाद
बाराबंकी -गांव के खेतों में पिता द्वारा खोले गये निजी विद्यालय में पढ़कर पहले ही प्रयास में 11 वीं रैंक प्राप्त कर पीसीएस की परीक्षा पास कर फारेस्ट अधिकारी बनी प्रियंका यादव की कामयाबी पर घर, परिवार सहित क्षेत्रवासी झूम उठे बधाइयों का तांता लगा हुआ है वही जिस मुकाम पर प्रियंका पहुँची उसका सारा श्रेय अपने शिक्षक पिता रामनरेश यादव को दे रही हैं।
विकास खण्ड मसौली क्षेत्र के ग्राम दहेजिया मजरे ज्योरी निवासी प्राइवेट स्कूल के संचालक व शिक्षक मास्टर रामनरेश यादव की बेटी प्रियंका यादव
ने अपने पहले प्रयास में ही यूपी पीसीएस की परीक्षा पास कर क्षेत्रीय वन अधिकारी बनी हैं। प्रियंका यादव के पिता रामनरेश यादव ने अपने गांव में ही अपने निजी खेत में छप्पर डाल कर दो दशक पूर्व नेता सुभाष चंद्र बोस स्कूल की जब शुरआत की थी तो किसी को यह नही पता था कि छप्पर के नीचे पढ़ने वाली गांव की बेटी एक दिन पिता के सपनों को साकार कर पीसीएस अधिकारी बनेगी। जूनियर के बाद हाई स्कूल आइडियल इन्टर कालेज मोहम्मदपुर बाहु सहादतगंज व इंटरमीडिएट युग निर्माण इन्टर कालेज हरख, बीएसी मुंशी रघुनन्दन प्रसाद पटेल डिग्री कालेज बाराबंकी तथा एम ए सहयोगी आरबी परास्नातक महाविद्यालय खुशहालपुर से करने के बाद पीसीएस ( क्षेत्रीय वन अधिकारी ) की तैयारी में समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित आदर्श पूर्व परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र अलीगंज लखनऊ में 5 महीने की कोचिंग की जिसमे उपनिदेशक सुनीता यादव के मार्गदर्शन में बेहतर तैयारी की जिनके ही आशीर्वाद का नतीजा रहा कि पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर पीसीएस बनी।
आईएएस बनने का सपना
पीसीएस की परीक्षा पास कर जिले का नाम रोशन करने वाली प्रियंका यादव ने अभी ऊँची उड़ान की बात करते हुए कहा कि अभी तो इस बाज की असली उड़ान बाकी है,अभी तो इस परिंदे का इम्तहान बाकी है ,अभी अभी तो लांघा हूँ मैंने समुद्रों को अभी तो असली उड़ान बाकी है। प्रियंका ने बताया, ‘मैं मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूं. मेरे पिता रामनरेश यादव निजी स्कूल के संचालक एव शिक्षक हैं और मेरी मां रामरती यादव जो ग्रहणी हैं. मेरे दो बड़े भाई हैं और घर की मैं ही सबसे छोटी बेटी हूं. मेरा परिवार पूरी तरह से गांव से जुड़ा हुआ है. जिस माहौल से मैं आती हूं वहां लड़कियों का घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे काफी सपोर्ट किया. इसलिए अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देना चाहती हूं क्योंकि चुनौतियों के बीच उन्होंने मुझे आगे बढ़ने का मौका दिया. मुझे अभी भविष्य में काफी कुछ करना है. मेरा सपना आईएएस बनने का है मेरी बचपन से इच्छा थी कि कल तक लोग मुझे मेरे पापा के नाम से जानते थे लेकिन आने वाले समय में मेरे नाम से मेरे पापा को जाना जाय।