
तहलका टुडे/नूर मोहम्मद
मसौली बाराबंकी। वर्ष 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में फील्ड मार्शल अय्यूब खाँ एव वीर अब्दुल हमीद के साथ पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले सेवानिवर्त्त वीर सैनिक 78 वर्षीय जमालुद्दीन किदवाई ने आजादी के 72 वें वर्षगांठ पर अन्तिम साँस ली। झण्डारोहण के पश्चात बाद नमाज अस्र कस्बा बांसा शरीफ में पुशतैनी कब्रिस्तान में सुपर्दे ख़ाक किया।
विकास खण्ड मसौली के कस्बा बांसा निवासी जमालुद्दीन किदवाई ने वर्ष 1962 में भारत- चीन युद्ध के दौरान भारतीय फ़ौज में शामिल हुए और अहमदनगर महाराष्ट्र में ट्रेनिग कर 18 केवलरी जालंधर पंजाब में तैनात हुए। वर्ष 1965 में सिवाल कोट में भारत- पाकिस्तान युद्ध में 11 सितम्बर को फिल्ड मार्शल अय्यूब खाँ के नेर्तत्व में उत्तर प्रदेश के चार मुसलमान सैनिको में वीर अब्दुल हमीद खाँ, मुशताक हुसैन एव सफदर अली के साथ जमालुद्दीन किदवाई ने अमरीका निर्मित पाकिस्तानी टैंक को नष्ट कर दो पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला बाक़ी बचे पाक सैनिक टैंक से कूद कर भागने लगे जिन्हें बन्दी बना लिया गया।
वर्ष 1991 में बबीना कैंट झाँसी से सेवानिर्वित जमालुद्दीन बीते कई महीनों से लीवर एव किड्नी संक्रमण के कारण अस्वस्थ चल रहे थे।
दो दिन पूर्व अलीगंज लखनऊ स्थित निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था गणतंत्र दिवस के मौके पर अस्पताल में एक ओर झन्डा रोहण हो रहा था वही दूसरी ओर वीर योद्धा ने अन्तिम साँस लेकर दुनिया से विदा हो गये।
जिन्हें नमाज अस्र के बाद नमाज जनाजे के बाद पुस्तैनी कब्रिस्तान में सुपर्दे ख़ाक किया गया।