कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)
लखनऊ। चेहरे पर निश्चल मुस्कान, कार्यकर्ता के लिए कुछ भी कर गुजरने वाले, बुजुर्गों व वरिष्ठों का सम्मान करने वाले, युवाओं के हमसफर नीरज सिंह आज लखनऊ के जर्रे जर्रे में व्याप्त हो चुके हैं। लोकसभा चुनाव में पिता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की लखनऊ से प्रचंड हैट्रिक के लिए जहां नीरज पुत्र- धर्म का पालन कर श्रवणकुमार बने दिखाई दे रहे हैं। वही कार्यकर्ताओं में जीत की आग को दावानल बनाने की उनकी सटीक मुहिम उन्हें अभी से भविष्यगत राजनीति का महायोद्धा दर्शा रही है।
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ संसदीय क्षेत्र से तीसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। देश व भाजपा के महानतम नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के प्यारे लखनऊ में राजनाथ सिंह को यहां की जनता का जमकर प्यार मिल रहा है। रक्षा मंत्री श्री सिंह लखनऊ से जीत की हैट्रिक की कगार पर है। बस इसकी मतगणना के बाद घोषणा ही होनी शेष बची है।लेकिन राजनाथ सिंह के इस पूरे चुनावी अभियान की बागडोर भाजपा के अनुभवी महारथियों के साथ-साथ उनके पुत्र नीरज सिंह के हाथों में है। जी हां वह नीरज सिंह जिन्हें संगठन के दमदार कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की भी प्रशंसा हासिल हो चुकी है। स्पष्ट है कि अपने कार्यों के जरिए मोदी जी के दुलारे बने राजनाथ पुत्र नीरज सिंह इस समय लखनऊ में पिता की सारी चुनावी जिम्मेदारियां अपने कंधे पर उठा उनके श्रवण कुमार बने दिखाई दे रहे हैं।
लखनऊ संसदीय क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा पर नीरज की अपने सहयोगियों एवं भाजपा कार्यकर्ताओं के जरिए सटीक नजर है ।संपन्न नामांकन में इसकी झलक साफ तौर से नजर भी आई ।वैसे लखनऊ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सभी सामाजिक व विकास कार्यों को नीरज सिंह बीते कई वर्षों से भली भांति रूप से निभाते आए हैं। नीरज की बातचीत का अंदाज कार्यकर्ताओं के दिल पर असर कर जाता है। कार्यकर्ता चाहे संपन्न हो या विपन्न हो! नीरज के लिए कार्यकर्ता बस केवल सर्वोपरि कार्यकर्ता है। शायद यही कारण है कि आज नीरज के व्यवहार की वजह से लखनऊ संसदीय क्षेत्र के भाजपाईयों एवं आम लोगों को राजनाथ सिंह की देश में व्यस्तता के बावजूद कभी कमी नहीं खली! नीरज किसी भी आयोजन में पहुंचे अथवा लोगों से मिले तो लखनऊ के लोगों ने मोहब्बती लखनवी अंदाज में यही समझा कि वह राजनाथ सिंह से मिल रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक लखनऊ संसदीय क्षेत्र की प्रत्येक चुनावी रणनीति पर राजनाथ के श्रवण कुमार नीरज की सटीक नजर है। वह बुजुर्गों एवं वरिष्ठों का आशीर्वाद लेकर युवाओं को हमसफर बनाकर आगे बढ़ते हैं। जहां जरूरत होती है वहां आवश्यक रूप से वह अपने पिता राजनाथ सिंह एवं माता श्रीमती सावित्री सिंह जी के सहित बड़े भाई नोएडा के विधायक पंकज सिंह से मार्गदर्शन प्राप्त करने में बिल्कुल नहीं चूकते। भाजपा कार्यकर्ताओं कि यदि बात करें तो लखनऊ के भाजपाइयों को हर मौके पर अपने नीरज भैया का बड़ा ही विश्वास रहता है। आज लखनऊ में हर तरफ प्रचार प्रसार की टोलियां निकल रही हैं। भाजपा कार्यकर्ता राजनाथ सिंह की तीसरी जीत को ऐतिहासिक बनाने के लिए जुटे हुए हैं ।नीरज सिंह में राजनाथ सिंह की प्रचंड हैट्रिक के लिए जो आग दिखाई देती है। उसे वह कार्यकर्ताओं से सामंजस्य बैठा कर दावानल बनाने में जुटे हुए हैं। सुबह जल्दी उठकर देर रात तक चुनाव प्रबंधन से जुड़ी हर बात की जानकारी एवं पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बीच नीरज हर उस छोटे बिंदु पर विचार करते हैं! जो चुनाव के दृष्टिकोण से अत्यंत आवश्यक है। यह राजनाथ सिंह के श्रवण कुमार का कमाल ही है कि राजनाथ सिंह के पूर्व विधानसभा क्षेत्र हैदरगढ़ से भी काफी लोग यहां लखनऊ पहुंचकर राजनाथ सिंह का प्रचार कर रहे हैं। कुछ कार्यकर्ता नीरज सिंह से मिलते हैं तो कुछ ऐसे भी शुभचिंतक है जो अपने मित्रों, रिश्तेदारों से मिलकर राजनाथ सिंह के लिए वोट मांगते हैं और फिर बिना नीरज सिंह से मिले हैदरगढ़ वापस हो जाते हैं। खबर है कि नीरज सिंह लखनऊ संसदीय क्षेत्र के प्रमुख भाजपा नेताओं, विधायकों एवं सभासदो तथा महापौर व विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों के साथ समन्वय बिठाकर आगे बढ़ रहे हैं। हालत तो यह है कि उनकी मिलने की शैली उनके विरोधी को भी उनका अपना बना देती है। कड़ी धूप में वर्तमान चुनावी अभियान में जुटा भाजपा का कार्यकर्ता नीरज का सानिध्य पाकर उत्साह की प्रचंडता से भर जाता है। कुल मिलाकर मैं कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया) जन चर्चाओं के मुताबिक़ यह बात बेबाक कह सकता हूं कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ऐतिहासिक व प्रचंड जीत की हैट्रिक के प्रयास में जुटे नीरज सिंह जिस तरह से लखनऊ में पुत्र- धर्म का निर्वहन कर रहे हैं! वह कर्तव्य परायणता उन्हें अपने पिता राजनाथ सिंह का श्रवणकुमार तो बना ही चुकी है। बल्कि भविष्यगत रूप से उन्हें राजनीति का महायोद्धा भी दर्शा रही है।