नकी हैदर: सच्चाई, जज़्बे और शराफ़त का वो सितारा, जो आज भी दिलों में है ज़िंदा
80 के दशक में बाराबंकी की सरज़मीं पर एक ऐसा नाम हर दिल की धड़कन बना हुआ था, जिसे लोग आज भी बेहद सम्मान और मोहब्बत से याद करते हैं। वह नाम है नकी हैदर। एक ऐसा नवजवान, जिसने अपने खरे चरित्र, सच्चाई और मजबूत दबंगई के साथ अपने दौर में न सिर्फ नौजवानों को प्रेरित किया बल्कि सूदखोरों, ग़ासिबों और लालची लुटेरों के खिलाफ खड़ा होकर सच्चाई और इंसाफ़ की लड़ाई लड़ी। नकी हैदर बाराबंकी के युवाओं के लिए एक मिसाल थे, और लोग उन्हें “नकी भाई” कहकर पुकारते थे, जो उनकी शख्सियत की दबंगई और मोहब्बत का प्रमाण था।
छात्र राजनीति में शानदार आगाज
जवाहरलाल नेहरू डिग्री कॉलेज में नकी भाई का नाम उस समय छात्र राजनीति में सबसे ऊंचा था। छात्र उन्हें अपना नेता मानते थे और छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष बनाने के लिए बेताब थे। जब नकी भाई ने चुनाव जीतकर अध्यक्ष पद हासिल किया, तो बाराबंकी की सड़कों पर जोशीला नारा गूंजा, “सारे विरोधी ढक्कन हो गए, ढक्कन खोलकर अंदर हो गए।” यह नारा न केवल नकी भाई की शानदार जीत का प्रतीक था बल्कि उनकी दबंग और बेबाक शख्सियत को भी उजागर करता था।
नकी भाई के साथ धीरेंद्र कुमार वर्मा महामंत्री बने, और दोनों की दोस्ती कॉलेज के बाहर भी मिसाल बन गई। यह दोस्ती बाराबंकी के राजनेताओं तक फैली हुई थी। कद्दावर नेता अन्तराम जायसवाल, ननकऊ भैया और विकास पुरुष बेनी प्रसाद वर्मा सभी नकी भाई से बेहद मोहब्बत और इज्जत करते थे।
मुश्किल समय में वफादारी
नकी भाई के निधन के बाद, बेनी प्रसाद वर्मा ने उनके परिवार को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने नकी भाई की पत्नी को उर्दू अनुवादक की नौकरी दिलवाकर परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया। यह उनकी वफादारी और मोहब्बत का जीता-जागता सबूत था, जो नकी भाई की शख्सियत के प्रति था।
विरासत को जिंदा रखते हुए
नकी भाई की मौत के बाद भी, उनकी विरासत आज भी जिंदा है। उनके दो जुड़वां बेटे बाराबंकी में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। एक बेटा अपनी मां के साथ घर पर रहता है, जबकि दूसरा बेटा अली मेहदी, ईरान के कुम में धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे है और वहां की पगड़ी की सनद हासिल कर चुके है।एक अच्छे मौलाना और समाज सुधारक है
नकी भाई की यादें, उनके जोश और जज़्बे की कहानियां आज भी बाराबंकी में जिंदा हैं। जवाहरलाल नेहरू कॉलेज के छात्र और पुराने दोस्त जब भी मिलते हैं, तो नकी भाई का जिक्र ज़रूर होता है। नकी भाई का नाम और उनकी बातें बाराबंकी के युवा पीढ़ी के लिए आज भी प्रेरणास्त्रोत हैं।
खानदानी शख्सियत और परिवार
वसी हैदर बड़े खानदान के चश्मो-चिराग के बड़े बेटे थे नकी हैदर। मशहूर शायर मकासिद हुसैन रिजवी एडवोकेट आजर बाराबंकवी उनके चाचा थे, जिनकी शायरी बाराबंकी के साहित्यिक जगत में आज भी सम्मानित है। हसनैन हैदर उनके मरहूम भाई थे, जिनकी यादें और विरासत बाराबंकी के लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। उनके दूसरे भाई हसन अब्बास गुड्डू, जो एक पूर्व सभासद हैं, भी नकी भाई की शख्सियत और विरासत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नकी हैदर की पुण्यतिथि
आज उनकी पुण्यतिथि पर, हम सभी उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ करते हैं। अल्लाह से दुआ है कि उन्हें जन्नत में आला मकाम मिले और उनके परिवार को सब्र और हिम्मत दे। नकी हैदर की शख्सियत और उनकी प्रेरणादायक जिंदगी आज भी बाराबंकी के नौजवानों के दिलों में जिंदा है और हमेशा रहेगी।
सैयद रिजवान मुस्तफा
एडिटर, तहलका टुडे