
महात्मा गांधी के आदर्शों की रोशनी में समरसता सहभोज का भव्य आयोजन
गांधीवादी मूल्यों पर आधारित सामाजिक सहभागिता सम्मान समारोह में विभूतियों का सम्मान
बाराबंकी। महात्मा गांधी की शिक्षाएं और उनके आदर्श आज भी हमारे समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उनके सिद्धांतों को समझने और अपनाने की प्रेरणा हमें न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर प्राप्त होती है। उनकी सत्य, अहिंसा, और स्वराज की विचारधारा ने न केवल भारत की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई, बल्कि एक ऐसे समाज की नींव रखी, जहां समरसता, समानता, और नैतिकता के मूल्य सबसे ऊपर हैं। ऐसे ही विचारों को जीवंत रखने के लिए बाराबंकी में आयोजित महात्मा गांधी सप्ताह के दूसरे दिन गांधी भवन में एक समरसता सहभोज का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

महात्मा गांधी, जिन्हें हम प्यार से ‘बापू’ कहते हैं, ने हमेशा लोगों के बीच समरसता, प्रेम और शांति को बढ़ावा दिया। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जहां धर्म, जाति, या वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव न हो, और सबको समान अवसर प्राप्त हों। गांधीजी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक साधारण व्यक्ति भी अपने विचारों, कड़ी मेहनत और ईमानदारी से दुनिया को बदल सकता है। यही कारण है कि बाराबंकी में महात्मा गांधी सप्ताह का आयोजन होता है, जहां उनके जीवन दर्शन और सिद्धांतों पर चर्चा की जाती है, और समाज के लिए उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया जाता है।
विभूतियों का सम्मान और गांधीजी के आदर्श
- इस समारोह में कई विशिष्ट व्यक्तियों को सम्मानित किया गया, जिनका जीवन और कार्य गांधीजी के आदर्शों को जीवंत रखने में योगदान करते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत एक परिचर्चा से हुई, जो गांधीजी के जीवन दर्शन, मद्य निषेध, कौमी एकता, और स्वदेशी स्वावलंबन जैसे विषयों पर आधारित थी। नन्हें चित्रकार इन्द्र राज गोकुल ने महात्मा गांधी का एक सुंदर पोर्ट्रेट मुख्य अतिथि और पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप को भेंट किया। इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का एक मॉडल चित्र गांधीवादी विचारक और लेखक पंडित राजनाथ शर्मा को सौंपा।
यह सम्मान समारोह सिर्फ विभूतियों को अवार्ड देने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा मंच था जहां गांधीजी के विचारों को आगे बढ़ाने की दिशा में चर्चा और विचार-विमर्श हुआ। पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप, पूर्व कारागार मंत्री राकेश कुमार वर्मा, पूर्व विधायक सरवर अली, और गांधीवादी चिंतक पंडित राजनाथ शर्मा ने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।
समरसता सहभोज: सामाजिक एकता का प्रतीक
सम्मान समारोह के बाद एक समरसता सहभोज का आयोजन किया गया, जो छुआछूत और भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से किया गया था। महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में हर संभव प्रयास किया कि समाज में जाति और वर्ग के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। उनके इसी विचार को ध्यान में रखते हुए समरसता भोज का आयोजन हुआ, जिसमें सभी वर्गों, धर्मों और समुदायों के लोग एक साथ भोजन कर रहे थे। यह भोज गांधीजी की उस सोच का प्रतीक था जिसमें उन्होंने एक ऐसे भारत की कल्पना की थी, जहां सभी लोग बराबर हों और सभी को समान अधिकार प्राप्त हों।
इस भोज में समाज के कई प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए, जिनमें मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द सिंह गोप, पूर्व मंत्री राकेश वर्मा, पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह, वयोवृद्ध समाजसेवी अमीर हैदर, महात्मा गांधी सप्ताह के अध्यक्ष मो. उमैर किदवई, भवानी दत्त भट्ट, अनंत पाण्डेय, मलिक जमाल युसूफ, बृजेश दीक्षित, धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, नासिर खान, अताउर्रहमान सज्जन, जिला पंचायत सदस्य मो. अहमद शहंशाह, कुंवर जावेद, डॉ. अंजुम बाराबंकवी, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, समाजसेवी अशोक शुक्ला, विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, उमानाथ यादव और उमेश श्रीवास्तव शामिल थे।
महात्मा गांधी के विचारों की प्रासंगिकता
महात्मा गांधी ने समाज में नैतिकता, स्वावलंबन, और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। आज भी उनकी शिक्षाएं उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उनके समय में थीं। उन्होंने हमेशा सादगी, शांति, और सत्य की राह पर चलने की बात कही, और उनके इन्हीं सिद्धांतों पर चलकर भारत को स्वतंत्रता मिली। गांधीजी का मानना था कि यदि हमें एक मजबूत और समरस समाज बनाना है, तो हमें सबसे पहले अपने भीतर से अहंकार, नफरत, और असमानता को दूर करना होगा। यही कारण है कि समरसता भोज जैसे कार्यक्रम गांधीजी की शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए आयोजित किए जाते हैं।
समारोह में सम्मानित की गई विभूतियों ने अपने जीवन में गांधीजी के आदर्शों को अपनाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है। मीरा वर्द्धन, जिन्हें अरूणा आसफ अली अवार्ड से सम्मानित किया गया, समाजसेवा में अपने योगदान के लिए जानी जाती हैं। इसी प्रकार अमीर हैदर, जिन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया, ने समाजसेवा के क्षेत्र में लंबी अवधि तक काम किया है। पुष्पेन्द्र पासी, जिन्हें डॉ. भीमराव अम्बेडकर अवार्ड से सम्मानित किया गया, ने सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
पंडित राजनाथ शर्मा: गांधीवादी विचारक
गांधीवादी चिंतक पंडित राजनाथ शर्मा की इस आयोजन में अहम भूमिका रही। उन्होंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों को न केवल अपने जीवन में अपनाया, बल्कि समाज में भी इन्हें फैलाने का काम किया। उनकी कोशिशों से ही इस तरह के बड़े आयोजनों का आयोजन संभव हो पाया है, जो समाज में समरसता, शांति, और एकता का संदेश देते हैं। पंडित राजनाथ शर्मा ने अपने जीवन को गांधीजी के आदर्शों के प्रति समर्पित कर दिया है, और उनके प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं।
महात्मा गांधी: प्रेरणा के स्रोत
महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों से हमें यह सीखने को मिलता है कि एक व्यक्ति के विचार कितने शक्तिशाली हो सकते हैं। सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि समस्याओं का समाधान हिंसा या नफरत से नहीं, बल्कि प्रेम, सहनशीलता, और शांति से किया जा सकता है। आज, जब दुनिया भर में अशांति और विभाजन की खबरें सुनने को मिलती हैं, तब गांधीजी के विचार और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। उनके आदर्श हमें सिखाते हैं कि कैसे हम एकजुट होकर समाज में शांति, सद्भावना, और समानता ला सकते हैं।
महात्मा गांधी सप्ताह के इस आयोजन ने समाज में गांधीजी के आदर्शों की प्रासंगिकता को फिर से स्थापित किया है। यह कार्यक्रम एक उदाहरण है कि कैसे गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित समाज की रचना की जा सकती है। समरसता भोज और सम्मान समारोह के माध्यम से इस आयोजन ने समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को एक साथ लाने और एकता, शांति, और समरसता के संदेश को फैलाने का काम किया है।