
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने दलित आरक्षण से जुड़े मामलों पर विचार के लिए संविधान पीठ गठित कर शीघ्र सुनवाई की मांग मानने से इन्कार कर दिया है। आरक्षण से जुड़े जिन मुद्दों पर विचार होना है उनमें अनुसूचित जाति व जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान करके सक्षम लोगों को लाभ से वंचित करने पर विचार भी शामिल है। इस व्यवस्था को सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति से भी जोड़े जाने की मांग है।
आरक्षण मामले पर पहले भी शीर्ष अदालत की दो न्यायाधीशों की पीठ संविधान पीठ गठित करने की सिफारिश कर चुकी है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश की सरकार सहित कई कर्मचारी संगठन भी सुप्रीम कोर्ट आकर कर्मियों के प्रोन्नति के मसले पर नई व्यवस्था बनाए जाने की मांग कर चुके हैं। सन 2006 में एम नागराज बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति व जनजाति कर्मियों के बीच क्रीमी लेयर तय करने की मांग को खारिज कर दिया था। इस मामले में 1992 के इंदिरा साहनी मामले और 2005 के ईवी चेनैय्या मामले में आए फैसलों को नजीर के रूप में पेश किया गया था।