सचिवालय से बैठकर फर्जीवाड़े चलाने वाले गिरोह का सहयोग करने वाला 2015 में 5 साल के लिये असम मेघालय कैडर से यूपी में डेपुटेशन पर आये चर्चित आईएएस आकाश दीप भी STF के रडार पर,मई 2020 में असम हो चुका है वापस,कई व्यापारियों को बनाया था शिकार,
तहलका टुडे टीम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फर्जी ओएसडी बनकर ठगी करने वाले गिरोह के सरगना सहित चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फर्जी विशेष कार्य अधिकारी बनकर शासन के विभिन्न विभागों के अधिकारी के नाम से काल्पनिक जांच प्रकरण की धौंस जमाकर यह गिरोह ठगी करने का कार्य कर रहा था।
इस गिरोह का सरगना सचिवालय का पूर्व समीक्षा अधिकारी अतुल शर्मा है। एसटीएफ इस गिरोह के सरगना और अन्य सदस्यों की तलाश कर रही थी। 21 मई 2021 को एसटीएफ ने गिरोह के सरगना समेत चार सदस्यों को धर दबोचा।
गिरफ्तार अभियुक्तों में प्रमोद कुमार दुबे उर्फ दयाशंकर सिंह उर्फ संतोष कुमार सिंह उर्फ बलजीत सिंह पुत्र सुंदर पाल दुबे देवी टोला सरायमीरा थाना कोतवाली कन्नौज का रहने वाला है। लोगों के साथ ठगी करने के लिए लिए प्रमोद कुमार ने अपने कई नाम रख रखे हैं। यह मूल रूप से मैनपुरी जिले के किशनी थाना अंतर्गत शोभापुर का निवासी है।
दूसरा अभियुक्त अतुल शर्मा उर्फ मनोज कुमार सिंह पुत्र पन्नालाल शर्मा अशोक विहार खुर्रम नगर लखनऊ का निवासी है। अतुल शर्मा सचिवालय का पूर्व समीक्षा अधिकारी है। यही इस गिरोह का सरगना है।
तीसरा अभियुक्त प्रदीप कुमार श्रीवास्तव पुत्र विश्वनाथ श्रीवास्तव अशरफ नगर मोहन रोड राजाजीपुरम लखनऊ का रहने वाला है। चौथा आरोपी राधेश्याम कश्यप पुत्र बैजनाथ कश्यप बरगदवा बाजार हुजूरपुर थाना जिला बहराइच का रहने वाला है। यह मौजूदा समय में लखनऊ शहर में इस बार के अंतर्गत जज साहब की कोठी के पास रह रहा था।
2 करोड़ की कर चुके थे ठगी
दरअसल पिछले कुछ दिनों से यूपी के विभिन्न जिलों के अधिकारियों को सीएम योगी का फर्जी विशेष कार्याधिकारी बनकर काल्पनिक जांच की धौंस दिखाकर जबरन धन उगाही की खबरें मिल रही थीं. जिसके बाद अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने ने इस संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद यूपी एसटीएफ ने यह कार्रवाई की है. एसटीएम द्वारा गिरफ्तार किए गए गिरोह के सदस्य अब तक 2 करोड़ की कर चुके हैं. जिसका खुलासा जांच में हुआ है.
यूपी एसटीएफ प्रमोद कुमार दूबे उर्फ दयाशंकर सिह उर्फ संतोष कुमार उर्फ बलजीत सिंह ,अतुल शर्मा उर्फ मनोज कुमार सिंह,प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, राधेश्याम कश्यप को गिरफ्तार किया है. गैंग का सरगना अतुल शर्मा न्याय विभाग में समीक्षा अधिकारी के पद पर रहा है. इसी तरह के फर्जीवाड़े के चलते उसे बर्खास्त किया गया था. इसने पास से 14 मोबाइल, 22 सिमकार्ड, 6 बैंक एटीएम कार्ड, एक कार, एक बाइक समेत तमाम चीजें बरामद हुई.
नवंबर 2020 को भी हो चुका है फ़र्ज़ी ओ एस डी का अवतार हुआ था गिरफ्तार
यूपी में एक फ्रॉड शख्स ने गजब का फर्जीवाड़ा किया था खुद को सीएम का ओएसडी बताने वाले इस शख्स के हौसले इतने बुलंद थे कि इसने सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास पर फोन किया और वहां मौजूद स्टाफ से उनसे बता कराने के लिए कहा
घटना 1 नवंबर की रात की है. करीब 8 बजे सीएम आवास के लैंडलाइन नंबर पर आरोपी शख्स ने फोन किया. खुद सीएम का ओएसडी बताते हुए उसने सीएम योगी आदित्यनाथ से बात करवाने के लिए कहा. उसकी इस बात पर वहां मौजूद कार्यालय प्रभारी को संदेह हुआ और उन्होंने सीधे सीएम के ओएसडी से फोन करके इस बात को कंफर्म किया. जब पता चला कि उन्होंने फोन नहीं किया है तो सारा मामला सामने आ गया.
इंस्पेक्टर गौतमपल्ली चंद्रशेखर सिंह ने बताया था एक नवंबर की रात करीब आठ बजे सीएम आवास के लैंडलाइन नंबर पर 9058506749 नंबर से कॉल की गई। फोनकर्ता ने अपना नाम सीएम का ओएसडी धर्मेंद्र बताया और सीएम से बात करवाने को कहा। सीएम आवास पर मौजूद कार्यालय प्रभारी को शक हुआ तो उन्होंने सीधे ओएसडी धर्मेंद्र को फोन किया। उन्होंने फोन करने से इनकार किया।
इस पर फौरन सूचना गौतमपल्ली पुलिस को दी गई। गौतमपल्ली थाने में तैनात दरोगा रामवीर सिंह की तरफ से मोबाइल नंबर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। सर्विलांस सेल ने छानबीन की तो पता चला कि फोन करने वाले का नाम रंजीत है जो शिकोहाबाद का रहने वाला है।
गौतमपल्ली पुलिस की एक टीम फौरन शिकोहाबाद गई और तीन नवंबर को पुलिस टीम ने आरोपित रंजीत को शिकोहाबाद से गिरफ्तार किया और फिर गुपचुप ढंग से उसे जेल भेज दिया। इंस्पेक्टर गौतमपल्ली का कहना है कि रंजीत पेश से ड्राइवर है। उसने सीएम आवास पर ओएसडी बनकर फोन क्यों किया था, इस बारे में वह कोई सही जवाब नहीं दे सका।
23 नवंबर 2019 को भी मिला था फ़र्ज़ी OSD
23 नवंबर को सुल्तानपुर जिलाधिकारी के सीयूजी नंबर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ओएसडी बनकर एक व्यक्ति ने फोन किया। युवक ने जिला अस्पताल के सीएमएस के खिलाफ नर्सों की ओर से दी गई भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत की जांच खत्म करने को कहा। ऐसा न करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी।
डीएम ने सीएम के ओएसडी धर्मेंद्र चौधरी से इसकी पुष्टि की तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई और फोन करने की बात से इंकार किया। इस पर डीएम ने अपने ओएसडी के माध्यम से नगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने सोमवार को आरोपित फर्जी ओएसडी को छापा मार गिरफ्तार कर लिया। कोतवाल बेनी माधव त्रिपाठी ने बताया कि आरोपित को न्यायालय में पेश किया गया।