नई दिल्ली : कांग्रेस तेलंगाना में चुनाव लड़ने और जीतने के लिए पूरी तरह तैयार है। तेलंगाना में विधानसभा भंग होने के बाद कांग्रेस ने कहा है कि राज्य में समयपूर्व होने जा रहे विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से गठबंधन का कोई सवाल ही नहीं है और मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव के बाद विधायकों की राय के आधार पर होगा।
कांग्रेस के तेलंगाना प्रभारी रामचंद्र खूंटिया ने यह भी दावा किया कि टीआरएस नेता के चंद्रशेखर राव ने समय से पहले विधानसभा भंग की ताकि अल्पसंख्यकों के वोट ले सकें और फिर लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चले जाएं।
खूंटिया ने कहा, कांग्रेस तेलंगाना में चुनाव लड़ने और जीतने के लिए पूरी तरह तैयार है। टीआरएस की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, टीआरएस एक व्यक्ति और परिवार की पार्टी है। कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है और संगठन में सभी स्तर पर विचार-विमर्श के बाद उम्मीदवारों का फैसला होता है। उम्मीदवारों की घोषणा उचित समय पर कर दी जाएगी।
पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, राहुल गांधी को अधिकार है कि वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करें। लेकिन आमतौर पर कांग्रेस ऐसा नहीं करती है। उत्तम रेड्डी प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।
चुनाव के बाद विधायकों की राय के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष मुख्यमंत्री का फैसला करेंगे। ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना के बारे में सवाल पर खूंटिया ने कहा, एमआईएमआईएम के साथ तालमेल का सवाल ही नहीं है। लेकिन तेलंगाना जन समिति और भाकपा जैसे दलों के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत होगी।
उन्होंने दावा किया, मुस्लिमों, दलितों और दूसरे कमजोर वर्गों को न तो केसीआर में भरोसा है और न ही ओवैसी में भरोसा है। क्योंकि ये दोनों सिर्फ अपने परिवार के विकास पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।
कांग्रेस प्रभारी ने राव पर वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा, तेलंगाना में अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं दिया गया। गरीबों को मकान नहीं मिला। भू माफिया और रेत माफिया का दायरा बढ़ गया। इन्होंने तेलंगाना को केसीआर परिवार का तेलंगाना बना दिया है।
खूंटिया ने यह दावा भी किया, राव कई बार मोदी से मिलते हैं और कुछ दिनों बाद विधानसभा भंग कर देते हैं। साफ पता चलता है कि राव विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोट लेना चाहते हैं और फिर लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ हाथ मिलाएंगे।