तहलका टुडे टीम/समर मेहदी
लखनऊ:बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार, पाकिस्तान के पराचिनार में शियाओं पर ज़ुल्म और सीरिया में जनाब-ए-जैनब (स.अ.) के रौज़े पर आतंकवादियों के कब्जे के खिलाफ लखनऊ के ऐतिहासिक छोटे इमामबाड़े के सामने एक विशाल प्रदर्शन और कैंडल मार्च का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफताबे शरीयत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी ने किया।
जनसैलाब ने दिया जालिमों को सख्त संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजधानी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र लखनऊ में इस ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन ने न केवल जालिमों के खिलाफ सख्त संदेश दिया, बल्कि मानवता और इंसाफ के लिए एकजुटता का भी उदाहरण पेश किया। मौलाना कल्बे जवाद के साथ नायब इमामे जुमा मौलाना रज़ा हैदर, शिया वक्फ बोर्ड के उलेमा सदस्य मौलाना रज़ा हुसैन, और हक परस्त उलेमा मौलाना मोहम्मद मिया आबिदी,सेव वक्फ इंडिया के सक्रिय सदस्य मीसम रिजवी,मोहम्मद एडवोकेट समेत कई जाने-माने मौलाना और धार्मिक नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
कई देशों में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़
इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य तीन मुख्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना था:
- बांग्लादेश: हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार और उनकी संपत्तियों व मंदिरों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं।
- पाकिस्तान: पराचिनार में शियाओं पर लगातार बढ़ते हमले और उनकी जान-माल की सुरक्षा का संकट।
- सीरिया: जनाब-ए-जैनब (स.अ.) के रौज़े पर आतंकवादियों का कब्जा और पवित्र स्थलों का अपमान।
मौलाना कल्बे जवाद नकवी का सख्त बयान
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए मौलाना डॉ. कल्बे जवाद ने कहा, “यह केवल एक धार्मिक मामला नहीं, बल्कि मानवता का मुद्दा है। जब तक दुनिया के किसी भी कोने में जुल्म होगा, भारत की धरती से उसकी खिलाफत होती रहेगी।” उन्होंने भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से इन मुद्दों पर सख्त कदम उठाने की अपील की
मौलाना रजा हैदर का बयान
नायब इमामे जुमा मौलाना रजा हैदर ने कहा, “आज का यह प्रदर्शन जालिमों के खिलाफ हमारी एकजुटता का सबूत है। बांग्लादेश, पाकिस्तान और सीरिया में जो जुल्म हो रहे हैं, वह न केवल मानवता के खिलाफ हैं, बल्कि धर्म और संस्कृति पर भी हमला हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर मजलूम के लिए खड़े हों, चाहे वह किसी भी देश या मजहब से संबंधित हो।”
मौलाना मोहम्मद मिया आबिदी का बयान
प्रदर्शन के दौरान मौलाना मोहम्मद मिया आबिदी ने कहा, “आज दुनिया में जहां-जहां अत्याचार हो रहे हैं, वह केवल एक मज़हब का मसला नहीं बल्कि इंसानियत का मुद्दा है। चाहे वह बांग्लादेश हो, पाकिस्तान हो या सीरिया, हर जगह पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। यह प्रदर्शन जालिमों को चेतावनी है कि उनकी हदें अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।”
मौलाना रज़ा हुसैन का सख्त संदेश
शिया वक्फ बोर्ड के उलेमा सदस्य मौलाना रज़ा हुसैन ने कहा, “पराचिनार और बांग्लादेश में हो रहे जुल्म को अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह प्रदर्शन दुनिया को यह संदेश देता है कि हम सिर्फ अपने मज़हबी स्थलों के लिए नहीं, बल्कि हर मजलूम के लिए खड़े हैं। सीरिया के पवित्र स्थलों की रक्षा और उनकी गरिमा बनाए रखना हमारा फर्ज है।” उन्होंने शिया समुदाय की एकजुटता को एक मिसाल बताया और सरकार से इन मामलों पर तुरंत कदम उठाने की अपील की।
कैंडल मार्च ने दिया इंसाफ का संदेश
प्रदर्शन के अंत में छोटे इमामबाड़े के सामने एक कैंडल मार्च निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस दौरान गूंजते नारे, “ज़ुल्म के खिलाफ खामोशी गुनाह है” और “हर ज़ालिम से इंसाफ मांगेगा भारत” ने प्रदर्शन को ऐतिहासिक बना दिया।
सरकार और संयुक्त राष्ट्र से ठोस कार्रवाई की मांग
मौलाना कल्बे जवाद ने भारत सरकार से अपील की कि वह बांग्लादेश, पाकिस्तान और सीरिया में हो रहे अत्याचारों पर कड़ा रुख अपनाए। उन्होंने कहा, “भारत हमेशा से सह-अस्तित्व और मानवाधिकारों का समर्थक रहा है। अब समय आ गया है कि हमारे पड़ोसी देशों में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत निर्णायक भूमिका निभाए।”
धार्मिक एकता का प्रदर्शन
प्रदर्शन ने धार्मिक एकता और सहिष्णुता का भी संदेश दिया। इसमें सभी धर्मों और समुदायों के लोगों ने हिस्सा लेकर यह साबित किया कि अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए धर्म और जाति की सीमा से ऊपर उठने की जरूरत है।
लखनऊ बना न्याय की आवाज़ का केंद्र
इस ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन ने लखनऊ को एक बार फिर न्याय और मानवाधिकारों के लिए आवाज़ उठाने के केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया। प्रदर्शन में मौलाना कल्बे जवाद की नेतृत्व क्षमता और उनके साथ अन्य उलेमा की उपस्थिति ने इसे एक ऐतिहासिक घटना बना दिया।
प्रदर्शन के बाद यह निर्णय लिया गया कि इन मुद्दों पर सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। जरूरत पड़ने पर बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन किए जाएंगे। मौलाना कल्बे जवाद ने कहा, “हमारी लड़ाई केवल शुरुआत है। यह तब तक जारी रहेगी जब तक जुल्म खत्म नहीं हो जाता और पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिल जाता।”
इंसाफ और मानवता के लिए एक बुलंद कदम
यह प्रदर्शन केवल विरोध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह इंसाफ, मानवता, और अमन का ऐसा संदेश बन गया जो आने वाले दिनों में और मजबूत होगा। बांग्लादेश, पाकिस्तान, और सीरिया के पीड़ितों के लिए यह एक उम्मीद की किरण है।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा उठाने की जरूरत
इस प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब समय आ गया है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, और सीरिया में हो रहे अत्याचारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाए। मौलाना कल्बे जवाद ने कहा, “यह केवल एक शुरुआत है। अगर ज़ालिमों के खिलाफ कदम नहीं उठाए गए तो बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए जाएंगे।”
मीडिया की चर्चा में रहा प्रदर्शन
इस ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन ने न केवल स्थानीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना। यह प्रदर्शन जुल्म के खिलाफ इंसाफ और मानवता के लिए खड़े होने का प्रतीक बन गया।
अमन और इंसाफ का पैगाम
यह प्रदर्शन केवल एक विरोध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने इंसाफ और अमन का ऐसा पैगाम दिया जो आने वाले दिनों में और मजबूत होगा। बांग्लादेश, पाकिस्तान, और सीरिया के पीड़ितों के लिए यह प्रदर्शन एक उम्मीद की किरण बनकर उभरा है।
मौलाना कल्बे जवाद, मौलाना रज़ा हुसैन, मौलाना मोहम्मद मिया आबिदी, और मौलाना रजा हैदर समेत अन्य उलेमा की यह पहल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव डालेगी, और जालिमों के खिलाफ इंसाफ की यह आवाज़ बुलंद होती रहेगी।