लखनऊ । प्रदेश संगठन मंत्री संजय दीक्षित को आखिरकार कांग्रेस से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया। प्रदेश अनुशासन समिति के इस फैसले की जानकारी प्रवक्ता अशोक सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि कई बार चेतावनी देने के बावजूद राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्णय पर अनर्गल व बेबुनियादी टिप्पणी समाचार पत्रों व सोशल मीडिया में लगातार करने पर कार्रवाई की गयी है।
उन्होंने बताया कि दीक्षित इससे पहले भी पार्टी विरोधी गतिविधियों व कार्यों में लिप्त रहे हैं। अनुशासन समिति ने चेतावनी भी दी थी लेकिन, लिखित माफी मांगने के बावजूद दीक्षित पार्टी विरोधी कार्य करते चले आ रहे थे। अनुशासनहीनता के आरोप में उनको पार्टी के नामित एवं मनोनीत पदों से पृथक करते हुए कांग्रेस की सदस्यता से निष्कासित किया गया है। उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कराने का प्रदेश संगठन मंत्री संजय दीक्षित ने विरोध किया था।
अंत में सच्चाई की जीत होगी : दीक्षित
कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के बाद संजय दीक्षित ने कहा कि उनको कांग्रेसी होने से कोई नहीं रोक सकता है। वह अपने स्टैंड पर अब भी कायम हैं। सिद्दीकी पर आरोप गलत नहीं थे, कांग्रेस का इसका नुकसान उठाना पड़ेगा और तब नेतृत्व को सच्चाई का पता चलेगा। अंत में सच्चाई ही जीतेगी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गलत जानकारी देकर गुमराह करने वाले बेनकाब होंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दागियों को पार्टी में शामिल करने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा और भाजपा को कांग्रेस पर हमलावर होने का अवसर भी मिलेगा।