प्रयागराज की एमपी/एमएलए विशेष कोर्ट ने प्रदेश की पर्यटन मंत्री डॉ रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ लखनऊ के एक मामले में दोबारा गैर-जमानती वॉरंट जारी किया है। इस मामले में लखनऊ की कोर्ट ने पहले जमानती वॉरंट जारी किया था। इसके बाद मामला विशेष कोर्ट में पहुंचने पर गैर-जमानती वॉरंट जारी किया गया। लेकिन बुधवार को कोर्ट में उपस्थित ना होने पर विशेष कोर्ट ने दोबारा एनबीडब्लू जारी किया है।
जिस मामले में कोर्ट ने यह वॉरंट जारी किया है वह लखनऊ के वजीरंगज थाने से संबंधित है। केस के अनुसार कुछ वर्ष पहले लखनऊ के शहीद स्मारक पर प्रदेश भर से आए कार्यकर्ताओं के साथ अभियुक्तगण धरना प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान कुछ लोग भाषण देते हुए अचानक मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करने लगे। घटना के दौरान मौके पर मौजूद पुलिसवालों ने काफी समझाया कि इलाके में धारा 144 लागू है और यह मार्च विधि विरुद्ध है। इस पर नेता और कार्यकर्ता उत्तेजित होकर नारेबाजी करने लगे। इस बीच भीड़ उग्र हो गई और बैरिकेडिंग को गिरा दिया गया।
घटना के दौरान पुलिस बल पर भारी पत्थरबाजी भी हुई जिसमें कई पुलिस वाले घायल हो गए। बाद में पुलिस ने किसी तरह बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया। इस मामले में एसओ ओमप्रकाश शर्मा ने नामजद एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसकी विवेचना के बाद रीता बहुगुणा जोशी और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
इस चार्जशीट पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए इस मामले के मुल्जिमों को समन के जरिए तलब किया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। बाद में फाइल विशेष कोर्ट पहुंची तो कोर्ट ने रिकॉर्ड के आधार पर गैर जमानती वॉरंट जारी किया। लेकिन अदालत द्वारा तय तिथि पर पेश ना होने के वजह से आरोपियों के खिलाफ एक बार फिर गैर-जमानती वॉरंट जारी किया गया, जिसके बाद 22 नवंबर को सुनवाई की तारीख तय की गई।