नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिवर्स रेपो रेट 6.25% पर बरकरार रखा है. MPC के 6 सदस्यों में 5 ने ब्याज दर नहीं बढ़ाने के पक्ष में वोट किया. रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा.
वित्त वर्ष 2019-20 में वृद्धि 7.6 प्रतिशत पर पहुंच सकती है. इससे पहले लगातार 2 मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 0.25 फीसदी बढ़ाया गया था. कच्चे तेल में तेजी और डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट के कारण महंगाई बढ़ने की आशंका को देखते हुए विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को बढ़ाया जा सकता है.
ग्रोथ को लेकर चिंता
आरबीआई ने ग्रोथ को लेकर चिंता जताई है. रिजर्व बैंक ने अपने रुख में बदलाव किया है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ लक्ष्य 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है. आरबीआई के मुताबिक जुलाई-सितंबर में महंगाई दर 4 फीसदी और अक्टूबर-मार्च में 3.9-4.5 फीसदी रहने का अनुमान है. अप्रैल-जून 2019 में महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2019 में वित्तीय घाटा 3.3 फीसदी रहने का अनुमान है.
पेट्रोल-डीजल में कटौती से मिलेगी मदद
समिति के पांच सदस्यों ने दर यथावत रखने के पक्ष मत दिया. सिर्फ चेतन घटे ने अकेले 0.25 प्रतिशत वृद्धि का पक्ष लिया. रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में की गई हालिया कटौती से मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद मिलेगी.
ब्याज दर बढ़ने की थी उम्मीद
भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा था कि रिजर्व बैंक को रुपये की गिरावट थामने के लिए ब्याज दर में कम से कम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करनी चाहिए. वहीं, मॉर्गन स्टेनली ने भी कहा था कि उसे अक्टूबर की समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक द्वारा अल्पावधि ब्याज दर बढ़ाने की उम्मीद है. हालांकि, नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. इसे भारतीय रिजर्व बैंक हर तिमाही के आधार पर तय करता है. फिलहाल चार साल बाद यह बढ़ाया गया है
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