तहलका टुडे टीम/अली मुस्तफ़ा
1953 में भारत में खानवादे इज्तिहाद के नाम से जाने जाने वाले उलमा के एक बहुत ही प्रमुख परिवार में जन्मे। उनके पिता आयतुल्लाह सैयद अली नक़ी नकवी,नक्कन साहब किबला एक विश्व प्रसिद्ध विद्वान और एएमयू में धर्मशास्त्र के डीन संकाय थे।
अल्लामा सैयद अली मोहम्मद नकवी की प्रारंभिक धार्मिक शिक्षा अपने पिता के मार्गदर्शन में हुई थी। फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ से धर्मशास्त्र में स्नातक किया। 1974 में उच्च इस्लामिक अध्ययन के लिए इराक और फिर ईरान गए। उन्होंने अल्लामा मुर्तजा मुताहारी, डॉ मुफतेह। डॉ इज़्ज़ती और प्रो साहिबुज़ ज़मानी जैसे महान विद्वानों के अधीन अध्ययन किया।
ईरान में प्रोफेसर नकवी विद्वान के रूप में प्रसिद्ध हुए। उनके लेख (फारसी भाषा में) प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छपे। इंतिशारे अमीर कबीर, दफ्तारे नशरे फरहंगे इस्लामी और बन्यादे शहीद जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशन गृहों द्वारा ईरान में एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की गईं। वह ईरानी शिक्षा मंत्रालय में बोर्ड ऑफ टेक्स्ट-बुक्स के सदस्य बने और संयुक्त रूप से टेक्स्ट-बुक प्रोजेक्ट पर डॉ हद्दाद एडेल के साथ काम किया। उनकी चार पुस्तकें माध्यमिक और विश्वविद्यालय स्तर पर निर्धारित की गईं और पूरे ईरान में पढ़ाई गईं, किसी भी गैर-ईरानी के लिए एक अद्वितीय विशिष्टता 1984 में वे लंदन गए और एक शोध परियोजना पर काम किया। यह पुस्तक “ए मैनुअल ऑफ इस्लामिक बिलीफ्स एंड प्रैक्टिस’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी
ग्रेट ब्रिटेन के मुहम्मदी ट्रस्ट से भारत लौटने के बाद प्रो नकवी ने तुलनात्मक धर्मों पर एक परियोजना पर काम किया। बड़ा काम दो खंडों में प्रकाशित हुआ था जिसका शीर्षक था “ए सर्वे ऑफ इंडियन रिलिजियस थॉट “एक ।
उन्होंने कुरान के तफ़सीर की एक परियोजना पर भी काम किया जिसके दो खंड प्रकाशित हुए।
उन्होंने प्रमुख धार्मिक व्यक्ति,हकीमे उम्मत डॉ कल्बे सादिक के साथ, अलीगढ़ में मदीनातुल उलूम नामक एक आधुनिक धार्मिक सेमिनरी की स्थापना की,
जिसे बाद में एम.यू कॉलेज के रूप में विकसित किया गया।
2006 में उन्हें सीधे एएमयू में धर्मशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था।और बाद में शिया धर्मशास्त्र के अध्यक्ष और फिर धर्मशास्त्र संकाय के डीन बने। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं।
इनको ईरानी उप राष्ट्रपति अवार्ड,मुत्ताहारी अवार्ड,
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को सम्मान दिलाने के लिए अवार्ड,महापौर द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में लुइसविल सिटी की मानद नागरिकता दी गई,अंतर-धार्मिक समझ के लिए सेवा के लिए अवार्ड मिला,
मोहतरम ,मदीनतुल उलूम के फाउंडर जनरल सेक्रेट्री,
प्रेसिडेंट-इमामिया मिशन,इंडिया,फाउंडर मेम्बर आल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड,एक्सक्यूटिव मेंबर आल इंडिया मिल्ली कौंसिल के साथ
प्रोफेसर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में शिया थियालोजी में 2006 से 2017 तक रहे,इसके अलावा
डीन फ़ैकल्टी ऑफ थियालोजी 2 टर्म रहे,
चैयरमैन डिपार्टमेंट ऑफ शिया थियालोजी 3 टर्म रहे,
डायरेक्टर दारा शिकोह सेंटर ऑफ इंटर फेथ अंडर स्टैंडिंग एएमयू में 2017 से अभी तक है,
डायरेक्टर सर सैयद अकादमी एएमयू में 2018 से है,
डायरेक्टर एएमयू पब्लिकेशन डिवीज़न 2018 से है,
प्रोफ़ेसर तेहरान यूनिवर्सिटी ईरान में 2021 से 3 साल के लिए,
मेंबर एएमयू एक्सक्यूटिव कौंसिल में 2 बार,
मेंबर एएमयू एकेडमिक कौंसिल में 3 टर्म,
मेंबर एएमयू कोर्ट में 3 टर्म
रहे है,आज इनको मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वाईस प्रेसिडेंट बनाकर इनको एक बड़ी जिम्मेदारी और सौपी गई है।