नई दिल्ली । रामलीला मैदान में सशक्त लोकपाल, चुनाव सुधार प्रक्रिया और किसानों की मांगों को लेकर चल रहा समाजसेवी अन्ना हजारे का आंदोलन मंगलवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया है। ऐसे में आज का दिन बेहद ही महत्वपूर्ण होने वाला है। केंद्र सरकार और समाज सेवी अन्ना हजारे के बीच बातचीत शुरू हो गई है, जिसकी मध्यस्थता महाराष्ट्र सरकार के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन कर रहे हैं। माना जा रहा है कि दोपहर तक इसको लेकर ठोस नतीजा सामने आ सकता है।
जब तक शरीर-प्राण, चलेगा आंदोलन
बता दें कि सोमवार को गिरीश महाजन अन्ना हजारे से मिलने पहुंचे और लंबे समय तक उन्होंने बातचीत की। वहीं, अन्ना ने कहा कि मंगलवार दोपहर तक राह देखेंगे, अगर सही निर्णय होते हैं तो सोचेंगे। जब तक शरीर में प्राण है अनशन चलता रहेगा। साथ ही यह भी कहा कि अगर अनशन से बच गया तो देश में चारित्रिक जन संसद बनाऊंगा।
इस मुलाकात को लेकर महाजन ने कहा कि अन्ना की जो 10-11 मांगें थीं, उस पर सरकार ने पहले से अमल किया है। इसी बजट सत्र में सभी बातों को दोहराया गया था, जैसे किसानों को उपज पर 50 फीसद ज्यादा कीमत मिलनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में इस बात का जिक्र किया था। लोकपाल की मांग पर भी अमल हो रहा। साथ ही कृषि उत्पादों पर से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) कम करने की जो अन्ना की मांग है, उस पर भी सरकार विचार कर रही है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के मंत्रियों से पूछ कर सभी बातें अन्ना से हो रही है। मंगलवार दोपहर और शाम तक सभी मांगों को मान लिया जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि अन्ना भी राजी हो जाएंगे। अन्ना के अनशन को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है। साथ ही उनसे मैंने भी अनशन खत्म करने की अपील की है। ऐसा बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के मंत्री ने यहां आने से पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात की थी। वहीं मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित कई अन्य मंत्रियों के यहां पहुंचने की संभावना है।
वहीं अन्ना ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अभी सरकार थोड़ा सोच रही है और कुछ चर्चा चल रही है। कुछ मांगों को लेकर महाराष्ट्र के मंत्री से चर्चा हुई है, जिसमें राज्य कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा और स्वायत्तता देने पर बात हुई है। उनसे इस पर संक्षिप्त जानकारी मांगी है, कितने दिन और कितने समय में यह किया जाएगा। केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग का हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं। किसान और मजदूरों के हित के लिए संरक्षण कानून बने ताकि वे आराम से जीवन बीता सकें। 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को पांच हजार रुपये पेंशन दी जाए। केंद्र सरकार इसको लेकर राजी हो गई, लेकिन मौखिक आश्वासन नहीं चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि कृषि उत्पादों की आयात-निर्यात की नीति में बदलाव करने को लेकर भी चर्चा हुई है। सरकार को इजरायल जैसी नीति लाने की जरूरत है। जब गांव में फसल की उपज अच्छी होगी तो रोजगार के लिए शहर नहीं जाना पड़ेगा। इसके अलावा लोकपाल और चुनाव सुधार प्रक्रिया को भी लेकर चर्चा हुई है। चुनावी वायदे पूरा न करने वाली पार्टियों पर कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग को अधिकार दिए जाए।