नई दिल्ली । भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफोरमेंस निदेशक सांटियागो नीवा ने कहा है कि मुक्केबाजों को सिर्फ ट्रायल्स में नहीं हमेशा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। हाल में चयन नीति को लेकर खिलाड़ियों में आ रही निराशा पर नीवा ने कहा कि वह खिलाड़ियों को इससे बाहर आने में सहायता करेंगे।
सांटियागो को उम्मीद है कि अच्छे प्रदर्शन से वह आलोचकों को शांत करने में सफल रहेंगे। भारतीय मुक्केबाजी की चयन प्रक्रिया में कुछ बदलाव हुआ है जिसमें पारपंरिक ट्रायल्स को एकमात्र मानदंड नहीं रखा गया है। अगले महीने होने वाले एशियाई खेलों जैसे बड़े टूर्नामेंट की टीम चयन के लिये रैंकिंग प्रणाली, मुक्केबाजों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तथा राष्ट्रीय शिविर में प्रदर्शन को आधार बनाया गया है।
सांटियागो ने कहा, ‘‘निराशायें तो हमेशा लगी रहती हैं लेकिन इससे निपटना अहम होता है। सबसे आसान चीज यही होगी कि सभी वजन वर्गों में ट्रायल कराया जाये। मेरा मानना है कि एक मुक्केबाज के प्रदर्शन पर कुछ निश्चित समय तक आंकलन करने की प्रणाली ‘सही रहेगी’। ’’
विश्व कांस्य पदकधारी गौरव बिधुड़ी (56 किग्रा) और राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व रजत पदकधारी मंदीप जांगड़ा (69 किग्रा) उन मुक्केबाजों में शामिल थे जिन्हें ट्रायल्स के बिना ही एशियाई खेलों के लिये चुनी टीम से बाहर कर दिया गया। कोच ने कहा, ‘‘सबसे कठिन चीज व्यक्तिगत निराशाओं से निपटना था पर यह मेरा काम है कि कोई भी हताश नहीं हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे नियमित रूप से बात करता हूं, उन्हें बताता हूं कि उन्हें सिर्फ ट्रायल में ही नहीं बल्कि हर वक्त सर्वश्रेष्ठ रहना जरूरी है।’’
