तहलका टुडे टीम
लखनऊ-जी हां दो मौलाना अपनी क़ौम के ज़हर का शिकार हो चुके हैं।
मुस्लिम कम्युनिटी में ग़ीबत,वक़्फ़ खोरी, लै मारी,फ़र्ज़ी लीडर, आयतुल्लाह ,खलीफा बनने का शौक,सिफली,जादू,टोना टोटका,खाने में ज़हर देने का चलन अब ज़यादा शबाब पर हैं।जिसके तहत अब आलिमे दीनो को ज़लील करने और उनको ज़हर देने का धंधा खुलेआम चल रहा हैं।
क़ौम ख़ामोश तमाशाई बनी हुई और सिर्फ क़ौम के गुंडे बदमाशो की हराम की दौलत को चटखारे लेकर चाट रही हैं।
सुन्नी समुदाय का बुलंदी पर चढ़ता सितारा मौलाना हसनैन बक़ाई जिसने कम उम्र में पूरी दुनिया मे सफीपुर और मुल्क का जलवा बना दिया उसको बीते दिनों आतंकवाद के खिलाफ कांफ्रेंस के बाद सुन्नी ही समुदाय के इंसानियत के खिलाफ दुश्मनों ने ज़हर दे दिया ।कानपुर के एक अस्पताल में वो कई दिन तक ज़िन्दगी और मौत से लड़ते रहे।अब कुछ सुधार हुआ हैं।लेकिन बहूत कुछ खोया जा चुका हैं।
वही शिया समुदाय के ऐसे रहनुमा जो पुरी दुनिया मे एकता भाई चारे ,इंसानियत और इल्म सीखो और सिखाओ का पैगाम देकर हिन्दुस्तान की इज़्ज़त दुसरे मुल्क के बाशिंदों के दिलो में बढ़ाने वाले हकीमे उम्मत मौलाना डॉ कल्बे सादिक साहब जिनकी हर धर्म मे इज़्ज़त हैं।
छोटे इमामबाड़े में रहबर की तौहीन के खिलाफ हुई कांफ्रेंस के चंद दिनों बाद,मुखलीफीन ने मजलिस पड़ने के बहाने बुलाकर कुछ ऐसा ज़हर दे दिया।जो उनके लिए जान लेवा हो गया।
मौलाना साहब का एरा मेडिकल कॉलेज भी घबरा गया लेकिन शुरआती ट्रीटमेंट और डॉ दीपक अग्रवाल के मशविरे से फौरन मेदांता ले जाया गया जहाँ उनकी उलझी आंतो का आपरेशन कर उनको बचाया जा सका।
खुदा का शुक्र हैं वो अब महफूज़ हैं।
लेकिन फिर से मजलिसों और कार्यकर्मो में शिरकत की ताक़त और हिम्मत ने जवाब दे दिया हैं,अब उन्हें हमारे बीच आने में तक़रीर करने में थोड़ा वक्त लग सकता हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक ज़हर भी कई तरह के होते हैं जिनके खाने के 48 घंटे बाद उसका असर होता हैं जिसमे डायरिया, कब्ज़,बेचैनी,बुखार,उल्टी,किडनी,लिवर,हार्ट पर सीधे अटैक होता है,जब तक इसको समझा जाए तब तक मरीज़ की जान चली जाती हैं।
वैसे आजकल छोटे छोटे लोग तो सियासी चालो का शिकार होकर जहरखुरानी का शिकार हो रहे हैं।
लेकिन अब गुंडे बदमाशो वक़्फ़ खोरो और इज़राइल अमेरिका के एजेंटो का हिंदुस्तान और समाज मे और सरकार में अपना जलवा बनाने के लिए isis और दाइश से मिलकर चोटी के आलीमेदिनों को शिकार बनाया जा रहा हैं
तहलका टुडे की इस खुलासे के बाद सबसे ज़यादा तकलीफ ज़हर देने वालो को और उनके समर्थकों को होगी ।और वो सोशल मीडिया के ज़रिए तहलका टुडे के खिलाफ दुष्प्रचार करने से नही चूकेंगे। मुखलीफीन और दुश्मनों और ज़हर देने वालो को बस यही पर पहचान लीजियेगा।
तहलका टुडे आपको इस साज़िशों और साइलेंट किलर के मंसूबो को जग जाहिर कर इनके खिलाफ अभियान चलाने की और क़ौम के गद्दारो से बचने की अपील करता हैं।