तहलका टुडे टीम
लखनऊ – सेव वक्फ इंडिया की ओर से यह साफ तौर पर कहा गया है कि मौलाना सज्जाद नोमानी साहब जैसे नेक, विद्वान और भारत की सांप्रदायिक एकता के प्रतीक शख्सियत की तौहीन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मौलाना सज्जाद नोमानी, जो हमेशा इंसानियत, भाईचारे और शांति के संदेश को बढ़ावा देते हैं, उन पर हालिया हमले और अपमानजनक टिप्पणियां न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि समाज के बुनियादी मूल्यों के खिलाफ भी हैं।
वक्फ संपत्तियों की रक्षा और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्षरत सैयद रिजवान मुस्तफा ने AIMIM समर्थकों द्वारा मौलाना के खिलाफ किए गए बर्ताव की सख्त निंदा की है और इसे समाज को बांटने वाली मानसिकता का नतीजा बताया है।
मौलाना सज्जाद नोमानी: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
मौलाना सज्जाद नोमानी न केवल एक प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान हैं, बल्कि समाज में शांति और सद्भावना को बढ़ावा देने वाले महत्वपूर्ण नेता भी हैं। उनका व्यक्तित्व भारतीय मुस्लिम समाज के लिए एक आदर्श है, जो हर मजहब और समुदाय के लोगों को साथ लेकर चलने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने हमेशा समाज को आपसी भाईचारे, गंगा-जमुनी तहज़ीब और राष्ट्रीय एकता के रास्ते पर चलने की सीख दी है। उनके विचारों और कार्यों ने न केवल मुस्लिम समाज बल्कि अन्य समुदायों को भी प्रभावित किया है। ऐसे में उनके खिलाफ की गई अभद्रता और अपमानजनक टिप्पणियां समाज की नैतिकता और मूल्यों पर सवाल खड़ा करती हैं।
AIMIM समर्थकों की शर्मनाक हरकत
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के कुछ समर्थकों द्वारा मौलाना सज्जाद नोमानी के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई बदतमीज़ियां और गालियां बेहद निंदनीय हैं। यह सब केवल इस वजह से हुआ कि मौलाना ने इम्तियाज जलील की हिमायत नहीं की। हालांकि, यह भी सच है कि उन्होंने किसी ऐसे वैसे का समर्थन नहीं किया, बल्कि एक ऐसे मुस्लिम उम्मीदवार अब्दुल गफ्फार कादरी की ताईद की, जो पहले AIMIM का हिस्सा रह चुके हैं।
इसके बावजूद AIMIM समर्थकों ने मौलाना के खिलाफ जो रवैया अपनाया, वह न केवल अपमानजनक है, बल्कि मुस्लिम समाज के बौद्धिक और धार्मिक नेतृत्व के प्रति सम्मान की कमी को भी दर्शाता है।
सेव वक्फ इंडिया की अपील
सेव वक्फ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट सैयद रिजवान मुस्तफा ने AIMIM के इस रवैये की सख्त आलोचना करते हुए कहा कि यह समाज को बांटने और बौद्धिक वर्ग को हतोत्साहित करने का प्रयास है। उन्होंने AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से अपील की कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करें और अपने समर्थकों को अनुशासन में रहने की सीख दें।
उन्होंने कहा:”अगर AIMIM के समर्थकों ने इस तरह का रवैया जारी रखा, तो न केवल पार्टी की छवि खराब होगी, बल्कि यह पूरे मुस्लिम समाज को बांटने का काम करेगा। असहमति का सम्मान करना लोकतंत्र और समाज के मूल्यों का हिस्सा है।”
ओवैसी साहब को कदम उठाने की जरूरत
असदुद्दीन ओवैसी और AIMIM के नेतृत्व को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके समर्थक इस तरह की अभद्रता में शामिल न हों। मौलाना सज्जाद नोमानी जैसे शख्सियतें समाज की धरोहर हैं, जिनका सम्मान करना हर मुसलमान का फर्ज है। अगर ओवैसी साहब इस मामले में चुप रहे, तो यह माना जाएगा कि वह इस रवैये का समर्थन करते हैं, जो उनकी सियासी जिम्मेदारी के खिलाफ होगा।
ओवैसी साहब और इम्तियाज जलील को एक संयुक्त बयान जारी करके यह स्पष्ट करना चाहिए कि AIMIM की हिमायत का मतलब दूसरों की तौहीन करना नहीं है। ऐसा कदम पार्टी के प्रति भरोसे को कायम रखेगा और मुस्लिम समाज में एकता बनाए रखने में मदद करेगा।
मुस्लिम समाज के लिए एक चेतावनी
इस घटना ने मुस्लिम समाज को एक बड़ा सबक दिया है कि विचारधाराओं और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद एकता और आपसी सम्मान बनाए रखना जरूरी है। अगर मुस्लिम समाज अपने विद्वानों और रहनुमाओं का सम्मान करना छोड़ देगा, तो वह कमजोर हो जाएगा।
मौलाना सज्जाद नोमानी जैसे व्यक्ति, जो शांति और एकता के प्रतीक हैं, पर इस तरह के हमले समाज की कमजोरी को उजागर करते हैं। यह वक्त है कि समाज के हर वर्ग को इस रवैये के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
मौलाना सज्जाद नोमानी साहब पर किया गया यह हमला न केवल उनकी तौहीन है, बल्कि यह समाज की बौद्धिक और नैतिक गिरावट का भी संकेत है।
असदुद्दीन ओवैसी और AIMIM नेतृत्व को चाहिए कि वह अपने समर्थकों को अनुशासन में रखें और यह सुनिश्चित करें कि समाज का सम्मान और एकता बनाए रखने में उनकी पार्टी भी एक अहम भूमिका निभाए। समाज के लिए यह जरूरी है कि वह अपने रहनुमाओं और विद्वानों का सम्मान करे, ताकि भविष्य में ऐसे वाकये दोबारा न हों