
लखनऊ-वरिष्ठ शिया धर्मगुरू मौलाना महमुदुल हसन खां को सुल्तानपुर में उनके पैतृक कब्रिस्तान में हजारो लोगो के उपस्थिति में दफ्न किया गया। नमाज़े जनाज़ा प्रख्यात धर्मगुरू मौलाना सै. हमीदुल हसन तकवी लखनऊ ने पढ़ाई मजलिस मौलाना सै. ज़मीरूल हसन रिज्वी बनारस ने पढ़ी। लखनऊ, जौनपुर, सुल्तानपुर, इलाहाबाद, आज़मगढ़ फैज़ाबाद, अम्बेडकर नगर, रायबरेली तथा अन्य जिलों के उल्मा एवं सैकड़ो नागरिको ने उनकी अन्तिम यात्रा में शिरकत की। जौनपुर में मौलाना महमुदुल हसन खां की मृत्यु का समाचार सुनते ही माहौल शोकाकुल हो गया। काफी संख्या में लोगो ने जमियां नासिरिया पहुंचकर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की। शिया जामा मस्जिद मार्केट शेख नूरूल हसन मेमोरियल प्रतिष्ठान तथा अन्य कई शिक्षा संस्थान शोक में बन्द रहे। विभिन्न विद्यालयों एवं मदरसों में शोक सभा का आयोजन किया गया।
ज्ञातव्य है कि मौलाना महमुदुल हसन खां पिछले हफ्ते से लखनऊ मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे जहां कल उनकी मृत्यु हो गयी। इसी क्रम में आज सांयकाल जौनपुर अजादारी काउन्सिल की कार्य कारिणी की शोक बैठक नकी फाटक में हुयी। जौनपुर अजादारी काउन्सिल के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद हसन ने मौलाना के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हुये कहा कि मौलाना क्रान्तिकारी विचार के व्यक्ति थे उन्होंने ने अपनी पूरी जिन्दगी इस्लाम की सेवा के लिए समर्पित कर दी थी। जौनपुर की शिया जामा मस्जिद नवाब बाग का पुर्ननिर्माण शिया कालेज जौनपुर के विकास एवं नासिरिया अरबी कालेज को पुर्नजीवित करने के लिए किये गए उनके प्रयासो को जौनपुरवासी कभी भी नही भुला सकते। अजादारी काउन्सिल के प्रवक्ता सैयद असलम नकवी ने कहा कि मौलाना महमुदुल हसन खां फ़िकहे जाफरी के बड़े ज्ञाता के रूप में जाने जाते थे। इस्लामी धर्म शास्त्र में हदीस के बड़े विद्वान माने जाते थे। पिहानी हरदोई और जौनपुर में मदरसों का विस्तार किया और बहुत सी गैर इस्लामी रस्मो को जो शादी व्याह का हिस्सा बन गयी थी उन्हे खत्म कराया ।