योगी सरकार की कुक्कुट नीति 2022 काफी मशक्कत के बाद मंजूर
यूपी में मुर्गी पालन इकाई लगाने पर जमीन पर स्टांप शुल्क में 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। बिजली बिल में 10 साल तक विद्युत कर में सौ प्रतिशत छूट दी जाएगी।
तहलका टुडे टीम
लखनऊ:प्रदेश में बर्बाद हो गई मुर्गी पालन नीति को सरकार ने जिंदा करने के लिए और कुक्कुट उत्पादन में मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की मंशा को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने कुक्कुट विकास नीति 2022 जारी की है। नीति का खाका अगले पांच वर्षों में यूपी को अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ निर्यात की संभावनाओं को लेकर बुना गया है। सरकार का मानना है कि इस नीति के प्रभावी होने से अगले पांच सालों में करीब 1500 करोड़ का निवेश होगा और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 1.25 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
पांच वर्षों के लिए प्रभावी होगी नीति
कुक्कुट विकास नीति अगले पांच वर्षों के लिए प्रभावी होगी, इस दौरान प्रदेश में 700 इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य भी तय किया गया है। राज्य सरकार का लक्ष्य अगले पांच सालों में 1.90 लाख अंडा प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के कामर्शियल लेयर फार्म की स्थापना तथा प्रतिवर्ष 1.72 करोड़ ब्रायलर चूजों के उत्पादन के लिए ब्रायलर पेरेंट फार्म की स्थापना का है। योजना के तहत डेडीकेटेड पोर्टल, डाटाबेस मैनेजमेंट तथा प्रोजेक्ट फैसीलिटेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी। लाभार्थियों के सभी आवेदन इसी पोर्टल पर लिए जाएंगे। चयनित लाभार्थियों का प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्तर की ख्याति प्राप्त संस्थाओं के माध्यम से किया जाएगा। ऋण के ब्याज की भरपाई करेगी सरकार
इकाइयों पर लाभार्थी को बैंक से प्राप्त ऋण पर 60 माह तक सात प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति की जाएगी। परियोजनाओं का वित्त पोषण 30 प्रतिशत मार्जिन मनी तथा 70 प्रतिशत ऋण के अनुपात में होगा। यदि लाभार्थी इस अवधि के कम ऋण प्राप्त करता है तो इकाई लिए गए वास्तविक ऋण पर सात प्रतिशत या बैंक द्वारा निर्धारित दर में से जो भी कम होगा उसकी गणना करते हुए ब्याज की अदायगी की जाएगी। प्रस्तावित नीति में ब्याज पर 259 करोड़ रुपये का भार आने का अनुमान है।
यहां करना होगा आवेदन
योजना में डेडीकेटेड पोर्टल एवं डाटाबेस मैनेजमेंट तथा की प्रोजेक्ट फैसिलिटेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी। इसी पोर्टल पर योजना के लिए आवदेन लिए जाएंगे। चयनित लाभार्थियों को विशेषज्ञों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। नीति पर अमल का काम जिलों में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में बनने वाली अप्रेजल कमेटी करेगी। वहीं लाभार्थियों का चयन करेगी।
योजना का स्वरूप तय
योजना के तहत 10 हजार, 30 हजार, एवं 60 हजार पक्षी क्षमता की कामर्शियल लेयर स्थापित होगी। इनकी लागत क्रमश: 99 लाख, 2.56 करोड़ तथा 4.91 करोड़ है। एक इकाई में 10 हजार ब्रायलर पेरेंट ब्रायलर पक्षी रखे जाएंगे। इसकी लागत 2.89 करोड़ रुपये है। 10 हजार, 30 हजार व 60 हजार कामर्शियल लेयर इकाई के लिए क्रमश: एक एकड़, 2.5 एकड़ एवं 4 एकड़ जमीन की जरूरत होगी।