
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर वार नीति का असर
लखनऊ _पूर्व प्रशासनिक अधिकारी जेल में बंद गुलाम सैयदैन की राह पर चला उ०प्र० शिया सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड का प्रशासनिक अधिकारी जाफर हुसैन निकला वक्फ खोर, चेयरमैन अली जैदी ने सै० हैदर हुसैन रिजवी पुत्र श्री मंजर हुसैन रिजवी, निवासी-186, बड़ा फाटक, कटरा बाजार, शिकोहाबाद, जनपद-फिरोजाबाद ने अपने शपथ-पत्र नोटरी दिनांक 16-2-2022 के द्वारा की गई शिकायत में जांच कर किया निलंबित जिस पर वकफखोरों में हड़कंप मच गया है।
मालूम हो अब्बास बाग करबला में लाखो की वक्फ की जमीन पर अवैध रूप से लाखो का मकान निर्माण करा रहे थे जिसे बोर्ड द्वारा पूर्व में रोक दिया गया था,कई वकफो के वकफनामे बदलने में कूट रचित दस्तवेज़ बनाने में बहुत माहिर थे जनाब,
इसी अपनी महारथ को दिखाने के लिए वक्फ दरगाह नवाब सुल्तान अली साहब, पंजीयन संख्या: T-64, स्थितः शिकोहाबाद, जनपद-फिरोजाबाद की सम्पत्ति जो वक्फनामानुसार धारा-37 में क्षेत्रफल एक एकड़ ग्यारह डिसमल दर्ज रजिस्टर है। जिसकी सूचना जनसूचना अधिकारी, वक्फ बोर्ड ने अपने पत्र संख्या-797 दिनांक 06-8-2021 गाटा संख्या-219 क्षेत्रफल 1.11 एकड़ लिखा गया है, की सूचना श्री सै० हैदर हुसैन रिजवी का उपलब्ध करायी गयी थी। लेकिन आपने इसके विपरीत वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा-37 के अन्तर्गत दर्ज रजिस्टर में सम्पत्ति को अपने स्वार्थ, निजी लाभ और जानबूझ कर कूटरचित अभिलेख की प्रमाणित प्रतिलिपि (धारा-37) दिनांक 30-07-2019 को जारी की जिसमें एक एकड़ ग्यारह डिस्मल के स्थान पर केवल ग्यारह डिस्मल आराजी वक्फ सम्पत्ति दर्शायी गयी है। अभिलेखों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि धारा-37 में वक्फनामानुसार वक्फ सम्पत्ति गाटा संख्या-219 क्षेत्रफल 1.11 एकड़ वक्फ सम्पत्ति के रूप में दर्ज है। इस प्रकार आपके उपरोक्त कृत्य से इस तथ्य को बल मिलता है कि आपने अपने निजी स्वार्थ हेतु जानबूझ कर कूटरचित दस्तावेज धारा-37 की प्रमाणित प्रति जारी करते हुए वक्फ सम्पत्ति को करोड़ों रूपयों की हानि पहुंचाने की नीयत से कार्य किया था।
उपरोक्त आरोपों की गम्भीरता को देखते हुए प्रथम दृष्टयः यह साबित है कि आप जानबूझ कर स्वार्थ हेतु कूटरचना के तहत करोड़ों रूपये की वक्फ सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने के दोषी पाये गए ।
आरोपों की गम्भीरता को देखते हुए चेयरमैन अली जैदी ने तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाता है।
निलम्बन की अवधि में जाफर को कार्यालय से सम्बद्ध रहेंने तथा निलम्बन की अवधि में केवल निलम्बन भत्ता ही देने की बात आदेश में लिखी है।
इस कार्यवाही के बाद करोड़ों की वक्फ हेरा फेरी करने वाले कई मूतावल्लियो और दलालों वकफखोरो के होश उड़ गए है।