इन्दौर । ऊँचे भावों पर माँग कमजोर पड़ने से आलौच्य सप्ताह के दौरान किराना जिंसों में शक्कर घटाकर बोली गयी। नारियल मंदा रहा। खाद्य तेलों में बाजार बने रहे। तिलहनों में सोयाबीन ठंडा-ठंडा रहा। दलहनों में चना आंशिक मजबूती पर रहा। अन्य दलहनों में बाजार बने रहे।
किराना :- शनिवार को समाप्त सप्ताह ग्राहकी के मान से मिश्रित ही रहा। शक्कर में ऊँचे भावों पर माँग अटकी है। वहीं टेंडर भी भाव घटाकर जाने से शक्कर में नरमी का वातावरण रहा। शक्कर में बाजार 90-100 रू. क्विंटल तक टूटी और शक्कर में बाजार टूटकर 3200-3250 रू. क्विंटल पर आ गयी।
खोपरे गोले में व्यापार की मात्रा कम ही है। लेवाली के अभाव में बाजार 700-1200 रू. क्विंटल तक टूटे और खोपरा गोला टूटकर 187-192 रू. किलो पर आ गया। साबूदाने में आने वाले दिनों में श्रावणी माँग शुरू हो जायेगी। जिसको देखते हुए साबूदाने में बाजार 100-150 रू. क्विंटल की तेजी आयी और साबूदाना हल्के मालों में सुधरकर 4100-4200 से 4250-4300 रू. प्रति क्विंटल पर आ गयी।
जीरे में ताजा पूछपरख से भावों में सुधार का रूख रहा। जीरा राजस्थान इस दौरान 190-192 रू. प्रति किलो पर आ गया। नारियलों में लेवाली कमजोर रहने से भावों में 100 रू. प्रति थैले तक की गिरावट रही और नारियल 120 भरती मालों में 1600-1650 रू. प्रति थैले से 1500-1550 रू. प्रति थैले पर आ गया। अन्य किराना जिंसों में बादाम गिरी में अमेरिकी निर्यात नीति के चलते भावों में सुर्खी रही।
तेल तिलहन :- समीक्षा सप्ताह के दौरान खाद्य तेलों व तिलहनों में व्यापार बेहद सुस्त-सुस्त ही रहा। बाजार सूत्रों का मानना है कि खाद्य तेलों की चाल अब पूरी तरह मानसून पर निर्भर है। मानसून का आगाज सोयाबीन उत्पादक प्रदेशों में अब तक कमजोर रहा है। जिससे आने वाले दिनों में तेलों में सींगदाना तेल इन्दौर लाईन पर 840-860 रू. प्रति 10 किलो के मध्य रहा।
सोया व कपास्या तेलों में 2-5 रू. प्रति 10 किलो तक का सुधार सप्ताह के दौरान रहा। तिलहनों में सोयाबीन 3450-3500 रू. क्विंटल पर बना रहा। सरसो व रायडे में टिकाव रहा। अलसी व अरंडी बाजार भी बने रहे।
दाल दलहन :- आलौच्य सप्ताह के दौरान दाल-दलहनों में व्यापार बेहद ठंडा-ठंडा ही रहा। चने में ताजा लेवाली देखी गयी है, जिससे बाजार 25-50 रू. क्विंटल से सुधर गये और चना बढ़िया मालों में 3600-3625 रू. क्विंटल पर आ गया। तुअर दाल में महाराष्ट्र वालों की बिकवाली से भावों में विशेष तेजी मंदी का अभाव रहा। अन्य दाल-दलहनों में व्यापार बेहद सामान्य ही रहा।

 
         
        