तहलका टुडे टीम
बाराबंकी। आरपीएफ बाराबंकी को बीते 12 नवम्बर की सुबह गम्भीर बीमार हालत में मिली बालिका को इलाज के लिये चाइल्ड लाइन 1098 की टीम पूरी रात्रि लखनऊ के अस्पतालों में भर्ती कराने के लिए हलकान रही। डॉक्टरों की संवेदनहीनता इस कदर की हुई कि जिस एम्बुलेंस से बालिका को लखनऊ रिफर किया गया उसे एम्बुलेंस चालक रात्रि 03 बजे लोहिया अस्पताल शहीद पथ के सामने रोड पर छोड़ कर भाग गया,
चाइल्ड लाइन की टीम बालिका को लेकर रात्रि भर डॉक्टरों की मनौती करती रही। हलकान टीम रात के साढ़े चार बजे सिविल अस्पताल में भर्ती करा पाई जहां इलाज हो रहा है। यहां के डायरेक्टर डॉक्टर आर पी सिंह के सख्त निर्देश मरीजों के लिए राहत का सबब बन गए है।
गौरतलब है कि आरपीएफ को शनिवार की सुबह 10 बजे गम्भीर बीमार हालत में लावारिस मिली 13 वर्ष की बालिका मिली थी जिसे चाइल्ड लाइन की टीम ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बालिका को रात्रि 11 बजे मेडिकल कॉलेज/ लोहिया अस्पताल यह कहकर रिफर कर दिया कि बालिका बहुत गम्भीर है, ऑक्सीजन लेबल 64 है, इसे हायर सेंटर ले जायें। गम्भीर हालत में चाइल्ड लाइन टीम बालिका को लोहिया अस्पताल ले गई वहां बेड खाली नही कहकर भर्ती नही लिया और शहीद पथ के लोहिया अस्पताल भेज दिया। शहीद पथ के लोहिया पहुंचने पर वहां के डॉक्टरों ने भी बालिका को भर्ती नही लिया। रात्रि 3:30 बजे तक बालिका को भर्ती कराने की जद्दोजहद लोहिया अस्पताल में की गई। चाइल्ड लाइन निदेशक रत्नेश कुमार ने लोहिया के डॉक्टरों से बात की तो बालिका को आईसीयू की बजाय जनरल वार्ड में इस शर्त पर भर्ती कराने के लिये हामी भरी कि बालिका को भर्ती कराने के लिए 2600 रुपये जमा करें। टीम के पास पैसे नही होने पर बालिका लोहिया अस्पताल में भर्ती नही हो सकी। इसी बीच मे एम्बुलेंस चालक ने बालिका को रोड पर छोड़कर चला गया। काफी परेशानी में टीम सदस्य उमादेवी, अमित कुमार बालिका को सिविल अस्पताल रात्रि 4:30 बजे लेकर पहुंची, जहाँ उसे भर्ती कराकर इलाज शुरू कराया। बालिका के इलाज की मदद के लिए जिला प्रोबेशन अधिकारी लखनऊ से बात किया गया वह भी असहाय दिखे। और कई जिम्मेदारों को फोन किया गया लेकिन फोन स्विच ऑफ रहे। वहीं सूचना पर बालिका के पिता बडहलगंज गोरखपुर निवासी सुरेश यादव बालिका के पास सिविल अस्पताल पहुंच गए हैं और इलाज व देखभाल कर रहे हैं।