गोरखपुर: गैरकानूनी तरीके से सूदखोरी का धंधा करने औऱ गरीबों के खून-पसीने की कमाई को हड़पने के लिए बदनाम महराजगंज के निवासी शुभकरन टिबड़ेवाल के लड़के आनंद टिबड़ेवाल को गैरकानूनी सूदखोरी का धंधा महंगा पड़ गया है।
गुरुवार को अंतरिम जमानत पर चल रहे अभियुक्त आनंद टिबड़ेवाल को लंबी जिरह के बाद गोरखपुर कोर्ट ने जमानत निरस्त कर जेल भेजने का आदेश दिया। इसके बाद अपराधी आनंद को पुलिस ने गिरफ्तार कर देर शाम गोरखपुर जिला जेल भेज दिया। अब इलाहाबाद हाइकोर्ट से जमानत के बाद ही अभियुक्त की रिहाई हो सकेगी।
मामले के तीन अन्य आरोपी शुभकरन, अनूप औऱ अमित के खिलाफ 6 मार्च को गोरखपुर की भ्रष्टाचार निवारण की अदालत से गैर जमानती वारंट जारी हुआ था और तभी से तीनों अभियुक्त घर से फरार चल रहे हैं। आत्मसमर्पण न करने से नाराज कोर्ट ने धारा 82 के तहत कार्यवाही का आदेश दिया और अगली तारीख 5 अप्रैल मुकर्रर करते हुए हर हाल में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। ऐसा न करने पर फिर कुर्की की कार्यवाही की जायेगी।
महराजगंज कोतवाली में दर्ज एफआईआर संख्या 611/2015 के मुताबिक घुघली थाना क्षेत्र के ग्राम अहिरौली निवासी सदानंद पुत्र बलवंत ने अभियुक्तों से चार साल पहले पांच लाख रुपया ब्याज पर लिया था। बदले में सदानंद ने लगभग ढ़ाई गुनी रकम ब्याज के साथ 11 लाख 30 हजार चेक से वापस भी कर दिये। इसके बाद भी अभियुक्त 3 लाख रुपये ब्याज की और मांग कर रहे थे अन्यथा गिरवी रखी जमीन को अपने नाम करने का नाजायज दबाव डाल रहे थे। इससे उत्पीड़ित होकर सदानंद ने पुलिस के पास अपनी गुहार लगायी और अभियुक्तों के खिलाफ सूदखोरी और रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया।
दो साल से यह मामला गोरखपुर की भ्रष्टाचार निवारण अदालत में कानूनी लड़ाई के चक्कर में उलझा था। इस बीच कई बार चारों अपराधियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बचने की हर संभव जुगत लगायी लेकिन हर जगह से उनको नाकामयाबी ही हाथ लगी।
अदालत ने अपने फैसले में लिखा है कि अभियुक्त का लंबा आपराधिक इतिहास है। मामला भ्रष्टाचार से संबंधित है और विवेचना के दौरान अभियुक्तों ने गवाह को धमकाने का भी प्रयास किया। कोर्ट ने यह भी लिखा कि अभियुक्त पर धनबल के दम पर ‘व्यवस्था’ को ही खरीदने का गंभीर आरोप है। हर स्तर की जांच और तथ्यों को देखने के बाद अभियुक्त को किसी भी आधार पर जमानत नही दी जा सकती।