तहलका टुडे टीम
लखनऊ: सीरियस फ्राड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस SFIO की जांच में फंसे देश में हजारों करोड़ घोटाला करने वाला सहारा प्रमुख सुब्रत राय की ढाल बने सहारा के हिंदी उर्दू अखबार में लंबा सर्कुलेशन घोटाले के मामले में सरकार को चुना लगाने और फर्जी खबरे छापकर ब्लैक मेल करने की शिकायत केंद्र और यूपी सरकार को भेज कर कड़ी कार्यवाही की मांग की गई है।
देश के कुछ संगठनों और प्रेस फाउंडेशन ट्रस्ट ने राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, पीएमओ,सूचना प्रसारण मंत्री,सुप्रीम कोर्ट,आरएनआई, डीएवीपी,सीरियस फ्राड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस SFIO को पत्र लिखकर सहारा समूह के सारे अखबारों पत्रिकाओं के सर्कुलेशन बढ़ा चढ़ाकर , भारी सरकारी विज्ञापन में किए गए घोटाले,अखबारी कागज के कोटे और सरकार की नीतियों के खिलाफ मुस्तकिल गुमराह कुन खबरे देकर अधिकारियो नेताओ और इन्वेस्टर को ब्लैक मेल करने के धंधे की जांच कर इस मीडिया समूह को बंद करने की मांग की गई है,
वही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डीजीपी को भी पत्र भेजा गया है,
जिलाधिकारी लखनऊ से इन अखबारों के घोषणा पत्र को कैंसल करने और सूचना निदेशक को सहारा अखबार के सभी पत्रकारों की मान्यता समाप्त करने के साथ इनको दिए गए सरकारी आवासों का आवंटन रद्द करने की मांग की गई है ,पत्र में ये भी कहा गया है की सहारा मीडिया ग्रुप के लोग सरकार की मुखबरी करते रहते इस लिए इनके सचिवालय पास पर भी रोक लगाई जाए जब तक सुब्रत राय सहारा के घोटालों को सरकार क्लीन चिट ना दे दे।
मालूम हो सहारा समूह की कंपनियों ने देश में सबसे बड़ा घोटाला किया है,इसकी जांच देश की एजेंसियां मुस्तकिल जारी किए है,सुप्रीम कोर्ट भी इस देश के फ्राड गैंग पर नजर रक्खे है,
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों सहारा समूह की कंपनियों के खिलाफ SFIO जांच पर रोक लगाने व गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office,SFIO) की जांच पर रोक लगाने वाले और सहारा प्रमुख के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर पर रोक के आदेश को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ये आदेश जारी करने में सही नहीं था. हाईकोर्ट ने ये आदेश जारी कर पूरी जांच को रोक दिया. हाईकोर्ट हमारी टिप्पणियों पर ध्यान दिए बिना रिट याचिका पर फैसला करेगा. गर्मी की छुट्टियों के बाद 2 महीने के भीतर हाईकोर्ट में मामले को तेजी से निपटाया जाएगा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसने पूरी जांच को विफल कर दिया है. इस तरह का आदेश सिर्फ असाधारण मामलों में दिया जाना चाहिए.
दरअसल हाईकोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और उनकी पत्नी के खिलाफ लुकआउट नोटिस पर भी रोक लगा दी थी. सुनवाई के दौरान SFIO की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है. इससे मामले की जांच रुक गई है. हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जानी चाहिए.
वहीं सहारा समूह की ओर से कहा गया कि इस तरह SFIO कंपनियों की जांच नहीं कर सकता है. नियमों के मुताबिक एजेंसी को ऐसी कंपनियों की जांच की इजाजत नहीं है. ये सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने की थी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट जांच एजेंसी SFIO की उस याचिका पर विचार करने को तैयार हो गया था. जिसमें सहारा समूह की फर्मों को राहत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने सहारा समूह की नौ कंपनियों से संबंधित जांच को रोकने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस पर हाल में एक अन्य पीठ द्वारा रोक लगाने के संबंध में SFIO ने कुछ चिंताएं जताई थी,
आपको ये भी बता दे इस महीने भी देश के कई हिस्से में सहारा ग्रुप के खिलाफ प्रदर्शन हो चुके है और एफआईआर हुई है,वही कई जांचे भी चल रही है।
पिछले महीने मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने सहारा ग्रुप (Sahara Group) की दो कंपनियों- सहारा कमोडिटी सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड पर 12 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा सेबी ने सुब्रत रॉय (subrata roy) समेत तीन अन्य लोगों पर भी पेनाल्टी लगाई है। बता दें कि यह जुर्माना 2008 और 2009 में वैकल्पिक रूप से पूरी तरह से परिवर्तनीय डिबेंचर जारी करने में रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया है। सेबी ने जिन व्यक्तियों पर जुर्माना लगाया है, उनमें अशोक रॉय चौधरी, रवि शंकर दुबे और वंदना भार्गव का नाम शामिल हैं।
45 दिन का दिया गया अल्टीमेटम
जुर्माना राशि संयुक्त रूप से 45 दिनों के भीतर जमा करनी है। यह मामला सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लि. (अब कमोडिटी सर्विसेज कॉरपोरेशन लि.) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लि. की तरफ से जारी ऐच्छिक पूर्ण परिवर्तन डिबेंचर (ओएफसीडी) से जुड़ा है। दोनों कंपनियों ने 2008 और 2009 में ओएफसीडी जारी किये थे। इसमें कथित रूप से सेबी के आईसीडीआर (पूंजी और खुलासा जरूरतों का मामला) नियमन और पीएफयूअीपी (धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार गतिविधियां निरोधक नियम) नियमों का उल्लंघन किया गया।