
लंदन : एक ताजे अध्ययन में दावा किया गया है कि यदि आपको दिन में नींद सी आती है तो आप भूलने की बीमारी का शिकार हो सकते हैं। अमेरिका स्थित जॉन हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक स्टडी में दावा किया कि जो लोग दिन के समय सुस्ती और नींद महसूस करते हैं,
उनमें उन लोगों के मुकाबले भूलने की बीमारी होने का तीन गुना ज़्यादा खतरा होता है जो रात को अच्छी नींद लेते हैं। इस स्टडी के लिए कुछ प्रौढ़ लोगों का एक लंबे वक्त तक निरीक्षण किया गया और सामने आया कि जिन लोगों को दिन के वक्त स्लीपी महसूस हो रहा था, उनमें ऐल्टशाइमर्ज़ डिज़ीज़ होने का खतरा तीन गुना ज़्यादा था। ऐसे लोगों के दिमाग में बीटा अमायलॉइड नाम का एक प्रोटीन पाया गया। यह प्रोटीन ऐल्टशाइमर्ज़ डिज़ीज़ की पहचान है।
जॉन हॉप्किन्स के ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में असोसिएट प्रफेसर एडम पी. स्पाइरा ने कहा, ‘डाइट, एक्सर्साइज़ और ज्ञान संबंधी गतिविधियां ऐल्टशाइमर्ज़ से बचाव करने में सहायक होती हैं। अगर डिस्टर्ब्ड नींद से ऐल्टशाइमर्ज़ डिज़ीज़ होने का ज़्यादा खतरा रहता है तो फिर हम ऐसे मरीज़ों को इलाज कर सकते हैं,
जिन्हें कम नींद आती है या फिर उनींदे महसूस करते हैं।’ स्पाइरा के मुताबिक, अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि आखिर दिन के वक्त उनींदा महसूस करने को बीटा अमायलॉइड प्रोटीन के जमा होने से जोड़कर क्यों देखा जा सकता है। एक संभावित कारण यह भी हो सकता है कि दिन में स्लीपी फील करने की वजह से ही यह प्रोटीन ब्रेन में बन जाता हो। स्टडी ने उन रिपोर्ट्स को पुख्ता कर दिया है,
जिनमें अक्सर कहा जाता रहा है कि कम नींद लेने या फिर सही ढंग से नहीं सोने की वजह से ऐल्टशाइमर्ज़ जैसी परेशानी हो सकती है। इस स्टडी से साफ ज़ाहिर हो गया है कि अगर ऐल्टशाइमर्ज़ डिज़ीज़ से बचना है तो पूरी और अच्छी नींद लेना आवश्यक है।