तहलका टुडे टीम
बाराबंकी, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार की धर्मपत्नी डॉ0 सुप्रिया कुमारी ने शुक्रवार को शेख मुहम्मद हसन गेट पर फीता काटकर दस दिवसीय ऐतिहासिक देवा मेला एवं प्रदर्शनी का औपचारिक शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने शांति के प्रतीक सफेद कबूतर भी उड़ाए।
देवा मेले का शुभारंभ होने के साथ ही ऑडिटोरियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत हो गई। “जो रब है वही राम है।” का संदेश देने वाले महान सूफी संत सैय्यद हाजी वारिस अली शाह के वालिद सैय्यद कुर्बान अली शाह की स्मृति में लगने वाला यह दस दिवसीय मेला काफी प्राचीन है। शुक्रवार को शहनाइयों की मधुर ध्वनि, पीएसी बैंड के बीच मेले का भव्य शुभारंभ हुआ।
शुभारंभ के बाद जिलाधिकारी की पत्नी डॉ0 सुप्रिया कुमारी ने मेला क्षेत्र का भ्रमण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि देवा मेले से निकलने वाला सद्भाव का संदेश “जो रब है वही राम है।” दुनियाभर में भाईचारे का संदेश प्रसारित कर रहा है।
मौके पर देवा मेला एवं प्रदर्शनी समिति के अध्यक्ष/जिलाधिकारी श्री सत्येंद्र कुमार, मुख्य विकास अधिकारी श्री अन्ना सुदन, देवा मेला कमेटी सचिव/एडीएम (वित्त एवं राजस्व) श्री अरुण कुमार सिंह, एडीएम न्यायिक श्री इन्द्रसेन, एसडीएम श्री आर जगत साई, अपर पुलिस अधीक्षक श्री सी.एन. सिन्हा, एसडीएम श्री राजेश विश्वकर्मा, एसडीएम श्री विजय कुमार त्रिवेदी, एसडीएम श्री अनुराग सिंह, सीएमओ डॉ अवधेश कुमार यादव, बीएसए श्री संतोष कुमार देव पांडेय, देवा मेला कमेटी के सदस्यगण, और चेयरमैन देवा हारून वारसी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
10 दिन चलेगा देवा मेला
परंपरा के अनुसार, देवा मेला एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन जिलाधिकारी की धर्मपत्नी द्वारा किया जाता है और समापन एसपी की धर्मपत्नी द्वारा होता है। यह मेला 10 दिनों तक चलेगा, जिसमें म्यूजिकल नाइट, ऑल इंडिया मुशायरा, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन समेत अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम व हॉकी, बैडमिंटन, दंगल सहित अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी।
देवा मेले में जायरीन की भारी भीड़ उमड़ती है। देश-विदेश के लाखों जायरीन दरगाह की जियारत के लिए आते हैं। मेले की दुकानों पर बिक्री शुरू हो गई है। घोड़ा खच्चर बाजार भी अच्छी नस्लों के जानवरों से गुलजार हैं। सूफी संत की दरगाह सहित अन्य दरगाहों पर उर्स के कार्यक्रमों की शुरुआत भी हो गई है।
हाजी वारिस अली शाह: एक नजर में
सैय्यद हाजी वारिस अली शाह का नाम भारतीय सूफी परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनका जन्म 19वीं सदी के मध्य में हुआ और वे दरगाह ए देवा के प्रमुख सूफी संत बने। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं, जहां वे मानवता, प्रेम, और भाईचारे के संदेश को फैलाने के लिए जाने जाते हैं।
हाजी वारिस अली शाह का जीवन सत्य, सेवा और समर्पण का प्रतीक रहा है। उनकी शिक्षा ने अनेक लोगों को प्रेरित किया और उनकी दरगाह पर आने वाले श्रद्धालु उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हैं। उनकी शिक्षाओं में यह संदेश स्पष्ट है कि मानवता की सेवा ही सच्ची इबादत है।
इस प्रकार, देवा मेला न केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, बल्कि यह सैय्यद हाजी वारिस अली शाह की शिक्षाओं का प्रतीक भी है, जो आज भी हमारे समाज में गूंजता है।