
वक्त की नजाकत मजबूरी ने जानी दुश्मनो को बनाया दोस्त ?
दावा! विधानसभा चुनाव तक रहेगा साथ
भाजपा सतर्क ,
माया अखिलेश के चक्कर मे कांग्रेस ने किया हमला तो करेंगी खुदकशी,बीजेपी को देंगी फायदा
कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजनीति में जानी दुश्मन कहे जाने वाले दो दलों ने दोस्ती कर ली ।बसपा अध्यक्ष कुमारी मायावती ने गेस्ट हाउस कांड से ऊपर उठकर एवं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव से अलग हटकर प्रदेश में 38-38 सीटों वाला गठबंधन कर लिया। यहां दो सीटें कांग्रेस के लिए सियासी भीख के रूप में छोड़ी गई तो दो अन्य के लिए?
प्रदेश में गठबंधन की घोषणा करने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती एवं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने दावा किया है कि उन्होंने यह गठबंधन देश को बचाने के लिए किया है यही नहीं दोनों नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह पर जमकर बरसे इस मौके पर प्रदेश की भाजपा सरकार भी निशाने पर रही । देश के सियासी तापमान को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि नेता द्वय के दावे के विपरीत अपने अपने को बचाए रखने के लिए हुआ यह गठबंधन एक दूसरे की जरूरतों को दर्शाता है? सनद हो कि बीते लोकसभा चुनाव में प्रदेश मे सपा साफ होते होते रह गई थी तो बसपा साफ हो गई थी !वक्ती जरूरत थी अब अहंकार को छोड़ा जाए। मायावती एवं अखिलेश ने दिल को सियासी ढंग से बड़ा किया और गठबंधन हो गया। वैसे तो भाजपा ने भी देश एवं प्रदेश में गठबंधन कर रखा है तो यह सपा बसपा का गठबंधन गलत नहीं है लेकिन कांग्रेश को इससे दूर रखना चौंकाता है ।यहां अंदेशा है कि 3 प्रदेशों में कांग्रेस की भाजपा के विकल्प के रूप में वापसी ने क्षेत्रीय दलों के कानों को खड़ा कर दिया है? ऐसे में शायद कांग्रेस से इसीलिए दूरी बनाई गई! ताकि भाजपा को रोकने के साथ-साथ कांग्रेस को भी प्रदेश में बढ़ने से रोके रखा जाए। सपा और बसपा में आपस में दोस्ती करते हुए कांग्रेस से भी कहीं न कहीं दुश्मनी का ऐलान कर दिया। इस गठबंधन के नेताओं ने 2 सीटें कांग्रेस इस प्रकार से दी जैसे वह सियासी रूप से इस बड़े राष्ट्रीय दल को भीख दे रहे हो! जाहिर है कि कांग्रेस इसे अपमान की तरह से ले सकती है और लोकसभा चुनाव में बड़े हमले के साथ नजर आ सकती हैं। कांग्रेस यदि प्रदेश में बचे छोटे दलों के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ती है तो वह सपा बसपा के गठबंधन को आघात पहुंचाते हुए भाजपा को ज्यादा फायदा दे सकता है? आज प्रेस वार्ता में मायावती ने गठबंधन की कमान संभाली और पहले अपनी बात रखी बाद में अखिलेश यादव जी बोले। अब आगे यह गठबंधन लोकसभा तक रहेगा या फिर टूट जाएगा, इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी? वैसे तो माया ने कहा है कि हमारा गठबंधन विधानसभा चुनाव तक चलेगा लेकिन बसपा का विश्वास सियासत में नहीं किया जा सकता!! फिलहाल इस गठबंधन ने भाजपा के रणनीतिकारों की नींद को तो कहीं न कहीं हराम कर दिया है !!अब आगे भाजपा की रणनीति क्या होगी, कांग्रेश किस स्थिति में सामने आएगी, शिवपाल यादव ,रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया कहां खड़े होंगे? यह अभी भविष्य के गर्भ में है। हां हाथी एवं साइकिल साथ साथ चल दिए हैं हाथ को किनारे कर 2 सीटों की भीख दे कर । जबकि इस गठबंधन से प्रदेश व देश में लोकसभा चुनाव की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ चली है।।