पेइचिंग । दुनिया में बड़ी ताकत बनकर उभर रहा पड़ोसी मुल्क चीन ने सोमवार को घोषणा की है कि उसने अपने पहले हाइपरसॉनिक विमान का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह हाइपरसॉनिक विमान परमाणु हथियार ले जाने में साथ ही किसी भी मौजूदा पीढ़ी की मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणालियों (ऐंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स) में प्रवेश कर सकता है। चाइना एकेडमी ऑफ ऐरोस्पेस ऐरोडायनैमिक्स ने एक बयान जारी कर बताया
कि जिंगकॉग -2 या स्टेरी स्कॉय -2 का परीक्षण पिछले हफ्ते शुक्रवार को किया गया था। इस रॉकेट के जरिए लांच किया गया और करीब 10 मिनट बाद हवा में छोड़ा गया। यह खुद उड़ने में सक्षम था और योजना के मुताबिक तय इलाके में लैंड हुआ। इस हाइपरसॉनिक एयरक्राफ्ट को सीएएए ने चाइना ऐरोस्पेस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर डिजाइन किया है। हालांकि, अभी सेना में तैनाती से पहले कई और परीक्षण किए जाएंगे।
यह विमान अपनी शॉक वेव पर चलता है। वेवराइडर कहा जाने वाला यह विमान परीक्षण के दौरान 30 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचा।
चीनी रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐंटी-मिसाइल रक्षा प्रणालियों की मौजूदा जनरेशन मुख्य रूप से क्रूज और बलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन की गई है, जिनके बारे में पता लगाना धीमा या आसान है और इसी कारण उन्हें रोकना संभव है। लेकिन चीन का नया हाइपसॉनिक विमान इतना तेज उड़ता है
कि यह मौजूदा ऐंटी मिसाइल डिफेंस प्रणालियों के लिए चुनौती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, वेवराइडर को किसी भी रॉकेट से लांच किया जा सकता है। इतना ही नहीं, वेवराइडर परमाणु और पारंपरिक हथियार दोनों ही ले जाने में सक्षम है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस परीक्षण से दिखता है
कि चीन अब अमेरिका और रूस की तर्ज पर ही खुद को विकसित कर रहा है। सैन्य इस्तेमाल के अलावा इसका आम लोगों या कामों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। चीन, जिसने इस साल 175 अरब डॉलर का रक्षा बजट पेश किया था, अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ से बराबरी के लिए डिफेंस रिसर्च और डिवेलपमेंट में काफी खर्च कर रहा है।
