
नई दिल्ली : जापान के डिवलपमेंट बैंक (जाइका) से मुंबई और अहमदाबाद के बीच देश के पहले बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के लिए लोन की पहली किस्त के रूप में साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अगले साल की शुरुआत से बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट का निर्माण कार्य रफ्तार पकड़ सकेगा। इस प्रॉजेक्ट के लिए जरूरत के मुताबिक हर छह माह में जाइका से लोन की रकम का कुछ हिस्सा लिया जा सकेगा।
एक लाख आठ हजार करोड़ रुपये के इस बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के लिए 88 हजार करोड़ रुपये का लोन देने पर अपनी सहमति दे चुका था। अब बुलेट ट्रेन के लिए इस 88 हजार करोड़ रुपये में से रेलवे जरूरत के मुताबिक लोन की रकम लेता रहेगा।
रेलवे सूत्रों का कहना है कि पहली किस्त के समझौते पर वित्त मंत्रालय में जाइका के भारत में प्रमुख प्रतिनिधि कातसू मतसूमा और वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के अतिरिक्त सचिव सी. एस. महापात्रा के बीच हस्ताक्षर किए गए। अब यह रकम जापान से वित्त मंत्रालय के पास आएगी और वहां से रेलवे के जरिए बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट तैयार करने वाली कंपनी नैशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन को मिलेगी।
इस किस्त के आने के बाद अब उन अटकलों को भी विराम लग गया है, जिसमें आशंका जताई जा रही थी कि भूमि अधिग्रहण में आ रही अड़चनों की वजह से जापान लोन देने में आनाकानी कर रहा है।
रेलवे अफसरों का कहना है कि यह भी तय हुआ है कि बुलेट ट्रेन के लिए अब छह माह बाद लोन की अगली किस्त ली जाएगी। दरअसल, ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि जब भी लोन की किस्त ली जाती है, उसी दिन से उसके ब्याज की गणना शुरू होती है, इसलिए पूरा लोन एक ही वक्त में नहीं लिया जाता।
इस मामले में लोन की राशि चुकाने के लिए 15 वर्ष का कूलिंग पीरियड दिया गया है, यानी यदि पहली किस्त के रूप में 28 सितंबर 2018 को लोन लिया गया है तो अब इस 5,591 करोड़ रुपये की वापसी की पहली किस्त सितंबर 2033 से शुरू होगी। इसी तरह से जब अगली किस्त ली जाएगी, उस तारीख से 15 वर्ष बाद लोन की उस राशि की किस्त चुकाना शुरू हो जाएगा।