तहलका टुडे टीम/रिज़वान मुस्तफ़ा
लखनऊ: भाजपा सरकार में बसपा सुप्रीमो मायावती से गद्दारी करने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी की विधान परिषद सदस्यता अयोग्य घोषित हो गई है. फरवरी 2018 में नेता विधान परिषद BSP की तरफ से सदस्यता को अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका सभापति को दी गई थी, जिसपर दोनों पक्षों को कई बार सुनने के बाद सभापति विधानपरिषद ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी की सदस्यता को आज अयोग्य घोषित कर दिया.
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बीएसपी छोड़ राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा बनाया था, जिसके आधार पर दलबदल कानून के तहत सदस्यता अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका दी गई थी. नसीमुद्दीन पर बसपा के नेशनल जनरल सेक्रेटरी सतीश चंद्र मिश्रा ने टिकट देने के बदले पैसा लेने, अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था.
बसपा सुप्रीमो मायावती के थे बेहद खास
नसीमुद्दीन कभी बसपा सुप्रीमो के सबसे खास व बसपा के प्रमुख सिपहसालार में थे. उन्होंने 1988 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. उन्होंने बांदा नगर निगम के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. इसके बाद उसी साल वो बसपा में शामिल हो गए. 1991 में उन्होंने बसपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव लड़ा और उन्हें सफलता हाथ लगी. 1991 में नसीमुद्दीन बसपा के पहले मुस्लिम विधायक बने. हालांकि दो साल बाद 1993 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
लेकिन, जब 1995 में मायावती ने पहली बार मुख्यमंत्री का पद संभाला तो नसीमुद्दीन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इसके बाद 1997 में भी मायावती के छोटे से कार्यकाल में वो मंत्री रहे. 2002 में भी एक साल के लिए वो कैबिनेट का हिस्सा रहे और फिर 2007 से 2012 में भी उन्होंने मंत्री पद संभाला