तहलका टुडे टीम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पास पर्याप्त प्राकृतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य है। पिछली सरकारों ने इस सामर्थ्य को समझकर उसका सम्मान किया होता तो उन्हें दर दर की ठोकर नहीं खानी पड़ती। मुख्यमंत्री ने कहा कि विरासत को जो भी सम्मान देगा समृद्धि उसका द्वार खोलेगी और जो उसे अपमानित करेगा उसे दर दर की ठोकर खानी पड़ेगी। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आगामी नगरीय निकाय चुनाव में 2014, 2017, 2019 और 2022 की तर्ज पर भाजपा का परचम फहराने का आह्वान किया।
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में रविवार को आयोजित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी कृषि प्रधान प्रदेश है। सबसे उर्वरा भूमि है। देश की आत्मा व हृदय स्थल है। भगवान राम और कृष्ण ने यहीं जन्म लिया। बाबा विश्वनाथ धाम यहीं है। वैदिक ज्ञान को लिपिबद्ध करने की भूमि नैमिषारण्य यूपी में ही है। शक्तिपीठों से जुड़ी परंपरा यूपी में है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस सामर्थ्य को नहीं समझते थे वे कांवड़ यात्रा पर रोक लगाते थे। उन्होंने कहा कि 500 वर्षों के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण विरासत का सम्मान है। भाजपा कार्यकर्ता परंपराओं को अपनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में यूपी घरेलू पर्यटन में तीसरे नंबर पर था, आज नंबर एक पर है। अकेले काशी में एक सप्ताह में 26 लाख श्रद्धालु आए हैं। सावन के महीने में एक करोड़ श्रद्धालु आए थे। यही स्थिति अयोध्या, मथुरा और वृंदावन की है। प्रयागराज में मौनी अमावस्या के दिन दो करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया है। योगी ने कहा कि निकाय चुनाव की आहट हमें आमंत्रित कर रही है। ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आते ही निकाय चुनाव की घोषणा हो जाएगी। कार्यकर्ता निकाय चुनाव की तैयारी में जुट जाएं, सभी नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में भाजपा का परचम फहराना है।
विजेता के रूप में उत्तरदायित्व का निर्वहन करना जानती है भाजपा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी में पहली बार किसी सरकार ने पांच साल शासन के बाद फिर दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाई है। उन्होंने कहा कि विजेता के रूप में कार्य कैसे होना चाहिए यह भाजपा अच्छी तरीके से जानती और करती है। उन्होंने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उप चुनाव में कार्यकर्ताओं के परिश्रम से भाजपा ने दोनों सीटों पर चुनाव जीतकर विजेता की भूमिका को बरकरार रखा। उन्होंने कहा कि गुजरात में सातवीं बार भाजपा की ऐतिहासिक विजय नए उत्साह व उमंग के लिए प्रेरित करती है। विजेता के रूप में उत्तर दायित्वों का निर्वहन करते हुए कैसे कार्य किया जाना चाहिए यह सभी के सामने है। उन्होंने कहा कि मई 2022 में आयोजित प्रदेश कार्यसमिति में यूपी में विजय का उत्साह था तो जिम्मेदारियों के निर्वहन का भी था।
वैश्विक नारा बन चुका है मोदी है तो मुमकिन है
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी है तो मुमकिन है अब केवल भारत का नहीं, बल्कि वैश्विक नारा और मंत्र बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जी-20 दुनिया में वैश्विक समृद्धि, लोककल्याण व मानव कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करने जा रही है।
55 वर्ष तक शासन करने वालों को बच्चों की चिंता नहीं हुई
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में 55 साल तक शासन करने वालों को यूपी के बच्चों की चिंता नहीं हुई। विपक्षी दलों के एजेंडे में गरीब, किसान, मजदूर, युवा, नहीं है। जिनके मासूम दम तोड़ रहे थे वह मां उनके एजेंडे में नहीं थी। उनके एजेंडे में केवल जाति और मजहब था। जबकि दिमागी बुखार से 80 फीसदी मौतें अल्पसंख्यक और अनुसूचित समाज में होती थी। वहीं भाजपा सरकार के शासन में दिमागी बुखार से मौतों को 95 नियंत्रित किया है।दुनिया भारत की तरफ कौतुहल से देख रही है
मुुख्यमंत्री ने दुनिया भारत की तरफ कौतूहल से देख रही है। दुनिया में जहां भी संकट आ रहा है लोगों की निगाहें पीएम मोदी पर विश्वास की तरफ देख रही है।
पहले देश, फिर दल का हित
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ही एक मात्र राजनीतिक संगठन है जिसके कार्यकर्ताओं के मन में पहले देश, फिर दल और सबसे अंत में स्वयं के हित की भावना है।
यूपी एक्सपोर्ट प्रदेश बन गया
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले लोग यूपी को बीमारू राज्य कहते थे। लेकिन अब यूपी परंपरागत उद्यम से एक करोड़ 60 लाख रुपये का उत्पाद का निर्यात करता है। यूपी एक्सपोर्ट प्रदेश बन गया।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए खुद को किया समर्पित
मुख्यमंत्री ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन के समय बिना किसी चाह के लोगों ने खुद को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पित किया। उन्होंने कहा कि भौतिक ताकत नहीं थी लेकिन आध्यात्मिक ताकत थी। लोगों ने पलायन का रास्ता नहीं अपनाया। किसी के मन में सांसद, विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री बनने की चाहत नहीं थी केवल विजेता का भाव था। उसी विजेता के भाव का परिणाम मिला है।
लखनऊ में संपन्न हुई प्रदेश कार्यकारिणी में मंच पर नेता का कद बड़ा हुआ तो वह थी प्रियंका सिंह रावत वहीं प्रदेश उपाध्यक्ष व युवा विधायक पंकज सिंह ने राजनीतिक प्रस्ताव पढ़ा तो प्रदेश महामंत्री प्रियंका सिंह रावत ने इस राजनीतिक प्रस्ताव का मंच पर अनुमोदन किया
कौन है प्रियंका सिंह रावत
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने 22 अगस्त 2020 को जब अपनी बहुप्रतीक्षित टीम घोषित की तो इसमें सबसे चौंकाने वाला नाम प्रियंका सिंह रावत का था. बाराबंकी की 35 वर्षीया पूर्व सांसद प्रियंका ने यूपी भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में धमाकेदार एंट्री मारते हुए सीधे प्रदेश महामंत्री के रूप में जगह बनाई है. पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में बाराबंकी (सुरक्षिेत) संसदीय क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने के बावजूद प्रियंका पूरी निष्ठा के साथ पार्टी से जुड़ी रहीं और बाराबंकी में भाजपा के उम्मीदवार को पूरा समर्थन भी दिया. प्रियंका की इसी निष्ठा का ईनाम भाजपा ने तीन वरिष्ठ दलित नेताओं की दावेदारी को नकारते हुए इन्हें प्रदेश महामंत्री बनाकर दिया है. 43 सदस्यीय प्रदेश कार्यकारिणी में भाजपा ने आठ दलित नेताओं को जगह दी है जिसमें पासी जाति से संबंध रखने वाली प्रियंका सबसे युवा हैं.
यूपी में भाजपा के पास प्रभावशाली दलित नेताओं का अभाव है. पिछले कुछ वर्षों में पार्टी ने रामशंकर कठेरिया, कौशल किशोर, कृष्णा राज, कांता कर्दम जैसे नेताओं को आगे किया लेकिन ये पूरे यूपी में दलितों के बीच अपना प्रभाव छोड़ पाने में असमर्थ साबित हुए. फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली तेजतर्रार नेता प्रियंका के जरिए भाजपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले दलितों और खासकर युवाओं के बीच पकड़ बनाने की रणनीति बनाई थी. अब 2024के लिए सक्रिय है।
मूल रूप से बरेली के एकता नगर इलाके की रहने वाली प्रियंका के पिता उत्तमराम सिंह ब्लॉक डेवलेपमेंट अफसर थे. ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से जुड़े पिता के कार्यक्षेत्र का असर प्रियंका पर बचपन से पड़ा था. प्रियंका को भी किसान, खेती जैसे विषयों पर काफी रुचि रहती थी. प्रारंभिक शिक्षा बरेली से पूरी करने के बाद प्रियंका ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीतिक शास्त्र से बीए और राजनीतिक शास्त्र विषय से एमए किया. विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही प्रियंका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गई थीं. वर्ष 2007 में राजनीतिक शास्त्र से एमए करने के साथ ही प्रियंका ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन इन इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिज्म का कोर्स भी किया. इसी वर्ष प्रिेयंका का विवाह इंडियन रेवेन्यु सर्विस (आइआरएस) के अधिकारी और गोंडा जिले के रहने वाले रघुनाथ सिंह से हुआ. वर्तमान में रघुनाथ आयकर विभाग में कमिशनर के पद पर तैनात हैं.
शादी के बाद प्रियंका पति के साथ नागपुर में आकर रहने लगीं और यहीं पर एक न्यूज चैनल में रिपोर्टिंग और एंकरिंग भी करने लगीं. पत्रकारिता से जुड़ने के बाद प्रियंका के भीतर समाज के लिए कुछ करने की इच्छा लगातार बलवती होती गई. वह पत्रकारिता के साथ सक्रिय समाजसेवा भी करने लगीं. प्रियंका ने बाराबंकी में रहकर भी समाजसेवा के कार्यक्रम शुरू किए. वर्ष 2013 में तत्कालीन यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने प्रियंका रावत को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई और इन्हें बाराबंकी में जाकर पार्टी का काम करने का निर्देश दिया. इसके बाद प्रियंका पूरे जोश के साथ बाराबंकी में भाजपा को मजबूत करने में जुट गईं. धीरे-धीरे प्रियंका ने बाराबंकी के भाजपा संगठन में अपनी छवि मेहनतकश युवा कार्यकर्ता के रूप में बना ली.
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने विजयशंखनाद रैली का आयोजन शुरू किया तो इसके सफलतापूर्वक आयोजन में भी स्थानीय रूप से प्रियंका रावत ने बड़ी भूमिका निभाई थी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बाराबंकी (सुरक्षित) से उम्मीदवार बनाने के लिए एक नए और युवा नेता की जरूरत महसूस हुई तो पार्टी की खोज प्रियंका रावत पर आकर टिक गई. प्रियंका बाराबंकी (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की उम्मीदवार घोषित हुईं और मोदी लहर पर सवार होकर लोकसभा चुनाव के रूप जीवन के पहले ही चुनाव में जीत का डंका बजा दिया. इसके बाद प्रियंका रावत बाराबंकी में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क के क्षेत्र में विकास कार्य शुरू करवाए. प्रियंका ने बाढ से प्रभावित बाराबंकी में घाघरा नदी (अब सरयू) के किनारे रामनगर के सूरतगंज के तरफ काफी समय से अधूरे पड़े बांध का मुद्दा सदन में उठाकर सबका ध्यान खींचा था. इसके बाद यह बांध बनना शुरू हुआ.
सांसद के रूप में बाराबंकी में सड़कों को दुरुस्त करवाना और नई सड़क बनवाना प्रियंका की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही. नेशनल हाइवे-28 पर बाराबंकी में रामनगर से रुपहिडिया बॉर्डर को जाने वाली सड़क, नेशनल हाइवे-56 को बनवाना प्रियंका की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही. इसके अलावा प्रि्यंका ने देवा रोड, लखनऊ आउटर रिंग रोड में बराबंकी के एक दर्जन गांव शामिल करवाए. प्रियंका के प्रयास से ही बाराबंकी में एक ट्रामा सेंटर और जिले के दरियाबाद क्षेत्र में महाविद्यालय स्थापित हुआ. पांच साल के कार्यकाल में प्रियंका ने एक लाख से अधिक किसानों के खेतों की मिट्टी का लैब से परीक्षण कराकर सर्टिफिकेट दिलवाए जिससे कि उन्हें पता चल सके कि खेत में कितना उर्वरक डालना है.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का टिकट न पाने वाली प्रियंका रावत की जितनी धमाकेदार एंट्री पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में महामंत्री के रूप में हुई है उससे कहीं ज्यादा बड़ी चुनौती उनके सामने भी है. संगठन में पदाधिकारी के तौर पर काम करने का अनुभव नहीं रखने वाली प्रियंका को अब यह साबित करना है कि यूपी भाजपा ने उनको खैरात में नहीं बल्कि योग्यता के बूते इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी थी, प्रियंका ने यह साबित कर दिया कि वो यूपी में एक नये युवा दलित नेता है जो समाज के हर वर्ग के जोड़ने का शरफ हासिल किए हुए है,
बाराबंकी में उनके चाहने वालो की तादात बढ़ती ही जा रही है,
आजके कार्यक्रम में प्रियंका सिंह रावत का कद ऊंचा होने से चर्चा का विषय बन गया वही कुछ लोगो में और विपक्ष में हड़कंप मच गया है।