
नई दिल्ली : भारतीय स्त्रियां आत्महत्या करने के मामले में पुरुषों से आगे हैं। दुनिया में आत्महत्या करने वाली औरतों में हर तीसरी महिला भारतीय होती है। जबकि आत्महत्या करने वाला हर चौथा पुरुष भारतीय होता है।
यह खुलासा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के बुधवार को प्रकाशित अध्ययन में हुआ है। शोधकर्ताओं ने ये नतीजे 1990 से 2016 के बीच आत्महत्या के आंकड़ों के आधार पर निकाले हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 1990 में भारत में कुल 1,64,404 लोगों ने आत्महत्याएं की थीं, जो कि वर्ष 2016 में 40 फीसदी बढ़कर 2,30,314 हो गईं। यह उक्त वर्ष दुनियाभर में हुईं कुल आत्महत्याओं 8,17,147 का 28.2 फीसदी है।
इसमें महिलाओं की आत्महत्या की संख्या 94,380 रही, जो दुनिया में कुल महिलाओं की आत्महत्या 2,57,624 का 36.6 फीसदी रही। वहीं, पुरुषों द्वारा की गई आत्महत्याओं की संख्या 1,35,934 रही, जो दुनिया में कुल पुरुषों द्वारा की गई आत्महत्या 5,59,523 का 24.3 फीसदी है।
2016 की आंकड़ों की माने तो उस साल आत्महत्या मौत के कारणों में 9वें स्थान पर था। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाओं द्वारा आत्महत्या करने की दर 14.7 प्रति एक लाख आबादी है। जबकि दुनिया की औसत दर 7 प्रति एक लाख आबादी है। इस प्रकार से ये दोगुनी से अधिक है।
आयुवर्ग के लिहाज से देखें तो सबसे ज्यादा आत्महत्याएं 15 से 39 आयुवर्ग में हो रही हैं। 2016 में आत्महत्या करने वाली भारतीय महिलाओं में 71.2 फीसदी महिलाएं इसी आयुवर्ग से थीं। वहीं, इसी आयुवर्ग के पुरुष भी सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं। हालांकि पुरुषों का प्रतिशत महिलाओं के मुकाबले खासा कम है।
2016 में आत्महत्या करने वाले भारतीय पुरुषों में से 57.65 फीसदी पुरुष इस आयु वर्ग से थे। आंकड़े बताते हैं कि संपन्न राज्यों में आत्महत्या की दर गरीब राज्यों से ज्यादा है। आत्महत्या की सबसे अधिक दर कर्नाटक में है, जहां प्रति लाख 30.7 लोग आत्महत्या कर लेते हैं।
सबसे अधिक आत्महत्या दर वाले पांच राज्यों से चार दक्षिण भारत के हैं। वहीं, बड़े राज्यों में आत्महत्या की सबसे कम दर बिहार (7.4) में है। बिहार के अलावा झारखंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और दिल्ली भी कम आत्महत्या दर वाले राज्यों में शामिल हैं।