
तहलका टुडे टीम
लखनऊ : दाइश के खिलाफ मुहिम चला कर धर्म और संप्रदाय से उठ कर विश्व शांति के अलमबरदार और मानवता के शुभचिंतक, हमेशा हक़ और सच्चाई का साथ देकर मज़लूमों की हिमायत करने वाले वरिष्ठ धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़मा सय्यद सीस्तानी साहब का अपमान नही बर्दाश्त करेंगा हिंदुस्तान,सऊदी सरकार अगर आतंकवाद की हिमायती तो अपना मत साफ करे,और अगर मुखलिफ़ है तो समाचार पत्र अश्शरक़ुल औसत में अपमान जनक कार्टून प्रकाशित करने पर अखबार के खिलाफ कार्यवाही करें,ये बात दुनिया के सबसे बड़ी संस्था 1200 मकतबों के बोर्ड तंज़ीमुल मकातिब के सेक्रेट्री मौलाना सय्यद सफ़ी हैदर साहब ने रोष प्रकट करते हुए बयान जारी कर कहा है। उन्होंने सभी से अपील की है सऊदी सरकार और अखबार के ट्विटर अकाउंट पर जाकर विरोध दर्ज कराए। डीएम के ज़रिए से दिल्ली में सऊदी सरकार की एम्बेसी को ज्ञापन भेज
मौलाना सय्यद सफ़ी हैदर साहब ने आगे कहा सिस्तानी साहब ने पूरे इलाक़े बल्कि पूरी मानवता को दाइश जैसे दहशत गर्द टोले से निजात दिलाने में बहुत प्रभावी किरदार निभाया और आपके दूरदर्शी और सही समय पर लिए गए प्रभावी फ़ैसलों ने ना सिर्फ़ इराक़ बल्कि पूरी दुनिया को वहाबी दरिंदों से बचा लिया, इस के अलावा आपने ना सिर्फ़ इत्तेहादे इंसानियत को बढ़ावा दिया बल्कि समस्त मानव जाती के बीच एकजुटता के लिए अन्य धर्मों और संप्रदायों के प्रमुखों से भी इसी रास्ते पर चलने का आह्वान किया।
तंजीमुल मकातिब के सेक्रेटरी ने कहा कि आयतुल्लाहिल उज़मा सय्यद सीस्तानी की दूरदर्शिता एवं समझ बूझ ने अमेरिका को वह दिन दिखाया कि इराक़ से अमेरिका फ़ौजों को बे दख़ल करने का फैसला सुन दिया गया।
सऊदी समाचार पत्र अश्शरक़ुल औसत ने इज़राईल अमेरिका के इशारे पर आयतुल्लाह सिस्तानी साहब जो विश्व व्यापी और आफ़ाक़ी हस्ती रखते है का अपमान करके साम्राज्यवादी धड़े की ग़ुलामी का सुबूत दिया है और अपने चेहरे से इस्लाम की तथाकथित नक़ाब को भी नोच कर फेंक दिया और स्पष्ट कर दिया कि सऊद व यहूद का एजेंडा एक है।
मौलाना सय्यद सफ़ी हैदर ने कहा, हम इस निहायत ही घटिया काम की कड़ी से कड़ी निंदा करते हैं और दुनिया के तमाम इंसानियात पसंद, इल्म दोस्त, शांति और सुकून के इच्छुक तथा इंसाफ और न्याय प्रेमी लोगों से अपील करते हैं वह इस काम की कड़ी निंदा करें और जो कुछ भी संभव हो वह काम करें ताकि सऊदी अरब के इस दुस्साहसी समाचार पत्र को माफ़ी मांगने और भविष्य में ऐसा कोई काम तो दूर ऐसी कल्पना भी न करने के लिए बाध्य किया जा सके।