आयतुल्लाह अली खामेनाई के जुमा के पैगाम पर इमामे जमाना के नायब, ग्रांड रिलिजियस अथॉरिटी आयतुल्लाह अली सिस्तानी की लगी मोहर
तहलका टुडे टीम
नई दिल्ली:दुनिया के सबसे प्रभावशाली इस्लामी नेताओं में से एक, आयतुल्लाह अली सिस्तानी ने हाल ही में आयतुल्लाह अली खामेनाई के जुमा के पैगाम पर अपनी मुहर लगा दी है। खामेनाई का पैगाम इस्लामी उम्मत को एकजुटता और फिलिस्तीन की आजादी के लिए संघर्ष करने की अपील थी। सिस्तानी साहब का समर्थन इस्लामी दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिसने वैश्विक मुस्लिम समुदाय को एक नई दिशा और ताकत दी है।
आयतुल्लाह खामेनाई ने अपने जुमा के पैगाम में जोर देकर कहा था कि कुद्स (यरूशलेम) पर इजरायली कब्जा एक अन्याय है और इसे खत्म करना पूरे मुस्लिम जगत की जिम्मेदारी है। उन्होंने उम्मत से अपील की थी कि वे इस मुद्दे पर एकजुट हों और अपने अधिकारों के लिए मजबूती से खड़े हों। उनके इस संदेश को आयतुल्लाह सिस्तानी का समर्थन मिलना एक बड़ा मोड़ है, जिसने मुस्लिम समुदाय के लिए यह साबित कर दिया कि फिलिस्तीन का मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक और नैतिक भी है।
आयतुल्लाह सिस्तानी की मुहर: उम्मत की एकजुटता का पैगाम
आयतुल्लाह अली सिस्तानी का यह बयान उनके पहले दिए गए बयानों की तरह स्पष्ट और निर्णायक है। उन्होंने कुद्स को “कब्जा किया हुआ इलाका” करार देते हुए फिलिस्तीनी जनता के हक के लिए संघर्ष करने की बात की है। सिस्तानी साहब ने कहा कि “यह हकीकत नहीं बदलती कि कुद्स एक कब्जा किया हुआ इलाका है, और इसे उसके असल हकदारों को लौटाना अनिवार्य है।” उन्होंने उम्मत से एकजुट होने और इस दिशा में हरसंभव प्रयास करने की अपील की।
सिस्तानी का यह बयान न केवल खामेनाई के जुमा के पैगाम की पुष्टि करता है, बल्कि इस्लामी उम्मत के लिए एकजुटता की आवाज को और मजबूत करता है। दोनों बड़े धार्मिक नेताओं का एक साथ आना मुस्लिम दुनिया में एकजुटता और सामूहिक संघर्ष का प्रतीक बन चुका है, जिससे फिलिस्तीन की आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा मिली है।
फिलिस्तीन की आजादी: दोनों नेताओं का साझा दृष्टिकोण
आयतुल्लाह खामेनाई और आयतुल्लाह सिस्तानी दोनों ने अपने-अपने बयानों में फिलिस्तीन की आजादी के मुद्दे पर जोर दिया है। खामेनाई का जुमा का पैगाम और सिस्तानी की इस पर लगी मुहर ने इस बात को साबित कर दिया है कि फिलिस्तीन का मुद्दा अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है। दोनों नेताओं का यह मानना है कि जब तक मुस्लिम उम्मत एकजुट होकर इस संघर्ष में शामिल नहीं होगी, तब तक कुद्स और फिलिस्तीन की आजादी मुमकिन नहीं है।
वैश्विक प्रतिक्रिया: मुस्लिम जगत में हलचल
आयतुल्लाह सिस्तानी और आयतुल्लाह खामेनाई के इन बयानों ने मुस्लिम दुनिया में बड़ी हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर ये संदेश तेजी से फैल रहे हैं, और दुनिया भर के मुसलमानों ने इन्हें समर्थन दिया है। कई धार्मिक और राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस्लामिक जगत में अब फिलिस्तीन के मसले पर एकजुटता का एक नया दौर शुरू हो सकता है।
आयतुल्लाह अली खामेनाई के जुमा के पैगाम पर आयतुल्लाह अली सिस्तानी की लगी मुहर ने इस्लामी दुनिया में फिलिस्तीन के मुद्दे को एक नई मजबूती दी है। दोनों बड़े धार्मिक नेताओं का एकजुट होकर इस मसले पर स्पष्ट और दृढ़ स्टैंड लेना यह दिखाता है कि फिलिस्तीन की आजादी की लड़ाई सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक और नैतिक भी है। अब उम्मत के लिए यह जरूरी है कि वे इस नेतृत्व का पालन करें और कुद्स की आजादी के लिए संघर्ष को और तेज करें।