तहलका टुडे टीम/उमेश श्रीवास्तव
बाराबंकी-लोकसभा चुनाव जैसे जैसे नज़दीक आ रहे हैं वैसे वैसे राजनैतिक पार्टिया एक्टिव होती जा रही हैं।भाजपा आस्तीन के सांपो और गद्दारो से जायदा परेशान इसी को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने बड़े स्तर पर अपनी तैयारी शुरू कर दी है।ये तैयारी जनता के बीच भाजपा के लिए रात दिन एक करने वाली तेज़तर्रार सांसद प्रियंका सिंह रावत के बाराबंकी संसदीय इलाके से शुरू हो रही हैं।इस कार्यक्रम में बाराबंकी समेत अंबेडकरनगर, अयोध्या के सेक्टर संयोजक और प्रभारी भी शामिल होंगे।
सपा-बसपा का गठबंधन बनने और प्रियंका गांधी के राजनीति में सक्रिय भूमिका में कूदने से यूपी में बढ़ी चुनौतियों से निपटने के लिए बीजेपी अपने तजुर्बेकार और सीनियर नेताओं का सहारा लेने जा रही है।बड़े चेहरों के जरिये बीजेपी बूथ लेवल पर अपने नेताओं को गद्दारो आस्तीन के सांपो से होशियार रहने के साथ चुनावी प्रबंधन के गुर सिखाएगी।
इसी के तहत बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्याक्ष और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को बाराबंकी आ रहे हैं।
मतदाताओं को किस तरह के घर से बूथ तक लाया जाए और बूथ स्तर पर किस तरह से वोटरों को अपनी तरफ खींचा जाए,शिवराज सिंह बीजेपी नेताओं को इसकी पुरी ट्रेनिंग देंगे।
संग़ठन को नई दिशा देने के लिए बाराबंकी, अयोध्या और अंबेडकरनगर लोकसभा के सेक्टर संयोजक, प्रभारी, तीनों जिलों के विधायक और सांसद समेत बीजेपी टीम के सभी लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्याक्ष और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी प्रबंधन के गुर सिखाएंगे। इसके साथ ही अवध क्षेत्र के प्रांत प्रभारी गोवर्धन झड़फिया भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।
जीआईसी के ऑडिटोरियम में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के जरिये बीजेपी अपने बूथ को मजबूत करेगी और आस्तीन के सांपो और गद्दारो से बचाव के साथ आपसी गुट बंदी से नाराज़गी को दूर करने का भी प्रयास करेगी
सूत्रों के मुताबिक मध्य्प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ में सबसे ज़्यादा मतलब परास्तो आस्तीन के सांपो ने नुकसान पहुचाया हैं।
शिव राज सिंह की कौन हैं
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के ग्राम जेत, पोस्ट सरदार नगर, विधानसभा बुधनी, जिला सीहोर के मूल निवासी हैं। इनके पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान एवं माता का नाम सुंदर बाई है। पहले इनके पसंदीदा राजनेता श्री लालकृष्ण आडवाणी हुआ करते थे। अब नरेंद्र मोदी हैं। इनकी जाति किरार है। मध्यप्रदेश में यह जाति अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है। मध्यप्रदेश में किरार जाति के लोगों को ‘धाकड़’ भी कहते हैं। इनकी पत्नी श्रीमती साधना सिंह किरार समाज के एक संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
शिवराज सिंह सरनेम चौहान क्यों लगाते हैं।
दरअसल, सरनेम चौहान से तात्पर्य माना जाता है क्षत्रिय। महाराणा प्रताप के वंशज या पृथ्वीराज सिंह चौहान के वंशज या ऐसे ही कई महान क्षत्रिय राजाओं के वंशज परंतु सीएम शिवराज सिंह जाति से क्षत्रिय नहीं हैं। वो किरार हैं। उनकी पत्नी श्रीमती साधन सिंह किरार महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। किरार समाज में ‘चौहान’ सरनेमा सामान्यत: उपयोग नहीं किया जाता। जो लोग सीएम शिवराज सिंह को व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानते वो ‘चौहान’ से तात्पर्य क्षत्रिय ही लगाते हैं। यह सरनेमा शिवराज सिंह ने ही उपयोग करना शुरू किया या उनके वंश में पहले से चला आ रहा है, इसका कोई प्रमाणित उल्लेख नहीं मिला ।
वही आज मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भाजपा के सोशल मीडिया कार्यशाला में संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह न तो साधारण चुनाव है और न हीं किसी एक व्यक्ति के चयन का चुनाव है। यह भारत को बचाने का चुनाव है।”
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बावजूद जनता एक ‘हीरो’ की तरह उनका स्वागत करती है। चौहान ने कार्यशाला में कार्यकर्ताओं से कहा, “यद्यपि हम विधानसभा चुनाव हार गए, इसके बावजूद जनता के बीच अभी भी मेरे लिए प्यार बरकरार है। जहां भी मैं जाता हूं, वे एक हीरो की तरह मुझे सम्मान देते हैं और स्वागत करते हैं। जनता कांग्रेस और भाजपा के बीच के अंतर को समझ चुकी है। अब उनकी आंखों में आंसू है और उन्हें आशा है कि भाजपा फिर से सत्ता में लौटेगी।”
शिवराज ने आगे कहा, “जब मैंने जनता से पूछा कि हमसे क्या भूल हुई, तो लोग बोले ‘भूल हमसे हो गई मामा। अब हम उसे सुधार लेंगे।” इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया के माध्यम से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के टिप्स भी दिए। उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनाव धर्मयुद्ध है। यह देश बांटने वाली शक्तियों और देशभक्तों के बीच की लड़ाई है। यह न तो साधारण चुनाव है और न हीं किसी एक व्यक्ति के चयन का चुनाव है। यह भारत को बचाने का चुनाव है।”