लखनऊ । प्रदेश भर में दो अप्रैल को हुए दलित आंदोलन के बीच अपर पुलिस अधीक्षक डॉ.बीपी अशोक ने पहले सशर्त इस्तीफा दिया और फिर वीआरएस (स्वैछिक सेवानिवृत्ति) मांगकर सुर्खियां बटोरीं, लेकिन अब लगता है कि उनका जोश ठंडा हो गया है। डॉ.अशोक ने खुद तो नहीं, लेकिन उनकी पत्नी ने डीजीपी मुख्यालय में अर्जी लगाई है कि उनके पति के वीआरएस आवेदन पर विचार न किया जाए।
वीआरएस को लेकर पत्नी द्वारा दी गई अर्जी के संदर्भ में जब डॉ.अशोक से पूछा गया तो उन्होंने इसका संज्ञान होने से इन्कार किया। पर, उनकी पत्नी ने डीजीपी मुख्यालय में दिए प्रार्थनापत्र में कहा है कि डॉ.अशोक ने जब वीआरएस की मांग की थी, तब वह गहरे तनाव में थे। डॉ.बीपी अशोक वर्तमान में पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में एएसपी के पद पर तैनात हैं। वह 1992 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं और उनका कार्यकाल वर्ष 2025 तक है।
उल्लेखनीय है कि दो अप्रैल को एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में भारत बंद के दौरान राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सशर्त इस्तीफा भेजा था। डॉ. अशोक ने इस्तीफे में सात सूत्री मांग रखी थी, जिसमें दो टूक कहा था कि एससी/एसटी एक्ट को कमजोर किया जा रहा है। इसके अगले ही दिन उन्होंने डीजीपी मुख्यालय को एक पत्र भेजकर स्वैछिक सेवानिवृत्ति की मांग की थी। डॉ.अशोक ने अपने प्रार्थनापत्र में वीआरएस के लिए कोई तारीख घोषित नहीं की थी।
इस पर डीजीपी मुख्यालय स्तर से उन्हें तारीख घोषित करने संबंधी पत्र भेजा गया था। इस बीच डॉ.अशोक की पत्नी की ओर से प्रार्थनापत्र दिया गया। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार का कहना है कि गत दिनों डॉ.अशोक की पत्नी ने डीजीपी मुख्यालय को प्रार्थनापत्र देकर उनके पति के वीआरएस संबंधी आवेदन पर विचार न किए जाने की मांग की है। उन्होंने डीजीपी मुख्यालय से संबंधित पत्रावलियां मांगी हैं। ताकि उनके अनुरूप अंतिम निर्णय किया जा सके। दूसरी ओर डॉ.अशोक ने उनकी पत्नी की ओर से प्रार्थनापत्र दिए जाने की बात संज्ञान में होने से इन्कार किया।