नई दिल्ली । सीलिंग के समाधान को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा मॉनिटरिंग कमेटी के साथ आयोजित सर्वदलीय बैठक को भाजपा ने सकारात्मक कदम बताया है। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मास्टर प्लान-2021 में संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक मॉनिटरिंग कमेटी से सीलिंग की कार्रवाई रोकने की मांग की है।
कांग्रेस पर उठाए सवाल
मनोज तिवारी ने कहा कि यदि सरकार दो माह पहले बैठक बुला लेती तो यहां अफरातफरी का माहौल नहीं होता। उन्होंने बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया और कहा कि जब सीलिंग से समाधान निकालने की बात आई तो सड़कों पर हल्ला करने वाली कांग्रेस के मुखिया ने इससे दूरी बना ली। इससे लगता है कि उन्हें दिल्ली की जनता की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है।
लाखों लोगों को भुगतना पड़ रहा है
भाजपा ने मॉनिटरिंग कमेटी के सामने जनता की पीड़ा को रखा और कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है। इसलिए अदालत के निर्णय से पहले सीलिंग का अभियान मानवीयता के खिलाफ है। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की दुकानें और संपत्तिया सील कर दी गई हैं, उनको डी-सील करने का रास्ता निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील दिल्लीवासियों का सही पक्ष रखने में असमर्थ रहे, जिसका खामियाजा लाखों लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
समस्या के समाधान के लिए काम जारी है
तिवारी के अनुसार स्वयं केजरीवाल ने भी इसे स्वीकार किया है। उन्होंने कमेटी से समस्या का हल निकालने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों को एक वर्ष का समय देने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिस कानून से दिल्ली के बहुसंख्यक लोग पीड़ित हो रहे हों, उसे बदलना जरूरी है। केंद्र सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण संवैधानिक व्यवस्था के दायरे में इस समस्या के समाधान के लिए काम कर रही है।
एक लाख रुपये शुल्क अव्यावहारिक
दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा आपत्ति रखने के लिए निर्धारित एक लाख रुपये शुल्क को अव्यावहारिक बताया। उन्होंने कहा कि जिस व्यापारी का कन्वर्जन चार्ज दस हजार रुपये होगा वह एक लाख रुपये क्यों देगा। इसलिए इसमें बदलाव होना चाहिए।