उन्नाव । दुष्कर्म पीडि़त किशोरी के चाचा की आवाज दबाने के लिए चार-पांच मुकदमे दर्ज कराए गए। इन्हीं के जरिए उस पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया गया। मजे की बात तो यह है कि फर्जी मुकदमों की कहानी विधायक के लोगों से लेकर उनके वकील तक की जानकारी में थी। इसके बाद भी फर्जी मुकदमों से परिवार के लोग डराए जाते रहे और कोई कुछ नहीं बोला। इस बात का राजफाश सीबीआइ जांच के दौरान सामने आई ऑडियो क्लिप से हुआ है।
चाचा ने भाई की पिटाई के बाद की थी वकील से बात
वकील- हलो।
चाचा- नमस्कार भाई साहब।
वकील- अरे नमस्कार… बताओ उतने टाइम तुम फोन किए रहो तो बहुत लोग खड़े थे तो हमने कहा कि तुमसे बाद में बात करता हूं।
चाचा- फोन तो मैंने इसलिए किया था कि हमारी आपसे बात हो रही थी, लड़ाई में तो भला किसी का नहीं होता। कोई हो, चाहे वो, हम हो, कोई हो। मेरी नेता जी से बात भी हुई थी तीन बार अभी जल्दी में। मैंने कहा कि आप शरीफ, हम शरीफ लेकिन आपका सिस्टम शरीफ नहीं है। उसको विनोद मिश्रा ने बताया कि मैं कह रहा हूं कि उनका अंपायर ध्वस्त कर दूंगा। मैंने कहा कि मेरी तो उससे या किसी से ऐसी कोई बात नहीं हुई। ऐसे ही कुछ लोग कान भरते हैं, ये कान के कच्चे हैं। यही लोग पटने नहीं देते। बाकी हमारा उनका न जमीन का झगड़ा न जायदाद का झगड़ा। न तू-तू मैं-मैं का झगड़ा मैं तो तू-तू मैं-मैं भी नहीं करता। इसी तरह की तमाम बातें दोनों के बीच होती रही। इसके बाद
वकील बोले- यार….एक बात बताओ। अभी कल पप्पू की बेल में मैं गया था, हमने सुबह तुमसे कहा था, यहां यार इतनी प्रॉब्लम है, आप वाले मैटर को हमने बहुत एवाइड किया हां। हम तो जब एफआइआर नहीं लिखवा रहे थे, तो हमसे पूछा कि आपकी तरफ से लिखवा दें, मैंने कहा कतई नहीं, हमारी कोई उनसे दुश्मनी थोड़ी है। मैंने बताया भी था। वो लड़का आता है मुझसे मिलता है। बड़े की बात नहीं करते वह तो नशेड़ी-गंजेड़ी आदमी है लेकिन … लड़के ने आज तक मुझसे अशिष्टता से बात नहीं की। जहां मिलते हैं मुझे सम्मान देता है। कहीं से नजदीक भी आता है। मैंने कहा विधायक जी, ऐसे बनेगा नहीं। आप खुश रहो या नाराज रहो। अब देखो गुड्डू ने भी एफआइआर दर्ज कराने से मना कर दिया उनसे भी नाराज रहे हैं।
चाचा- हां मुझे मालूम है गुड्डू ने मना कर दिया था।
वकील- उसे लेकर भी वो मुंह फुलाए रहे। हमने कहा कि भाई फुलाए रहा, हम ऐसा कैसे कर लेते।
ऑडियो क्लिप बताती है कि कैसे दर्ज हुई एफआइआर
पीडि़ता के चाचा और वकील के बीच हुई बातचीत से साफ है कि पीडि़ता के चाचा पर दर्ज हुए मुकदमों में कितनी हकीकत है। मुकदमे लोगों को बुलाकर दर्ज कराए गए और जिसने मना कर दिया उसे विधायक की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। ऐसे में पीडि़ता के चाचा और चाची पर दर्ज मुकदमे कितने सही रहे होंगे इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।