लखनऊ । एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इस समय बहुजन समाज पार्टी विरोध भले ही कर रही है, लेकिन एक समय अपने शासनकाल में ही उसने माना था कि एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है। तब प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती थीं और उनके निर्देश पर मुख्य सचिव ने निर्दोषों को न फंसाए जाने के लिए शासनादेश भी जारी किए थे। भारत बंद के दौरान हिंसा होने के बाद यह शासनादेश फाइलों से बाहर निकलकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
चूंकि पूर्व में मायावती सरकार में एससी-एसटी एक्ट के जमकर दुरुपयोग के आरोप लगे थे, इसलिए तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रशांत कुमार ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिया था कि अनुसूचित जाति और जनजाति के उत्पीडऩ के मामलों में ध्यान दिया जाए कि किसी निर्दोष व्यक्ति को अनावश्यक परेशान न किया जाए और यदि किसी मामले में आरोप झूठे पाए जाते हैैं तो भादंवि की धारा 182 के तहत कार्यवाही की जाए।
मंगलवार को यह शासनादेश सोशल साइट्स पर वायरल होता रहा। मंगलवार को भाजपाई इस मुद्दे पर बसपा पर भले ही कटाक्ष करते रहे हों लेकिन, 2007 में उन्होंने इस शासनादेश का स्वागत किया था। यह अलग बात है कि अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उसके फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी जो मंगलवार को खारिज हो गई।