लखनऊ । सपा से तालमेल कर 2019 के लोकसभा चुनावों की रणनीति बुन रहीं बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सोमवार को पदाधिकारियों के बीच अपने पत्ते खोल दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सपा से गठबंधन तय है और भाजपा कितना भी भड़काने की कोशिश करे, गठबंधन टूटेगा नहीं।
माल एवेन्यू स्थित पार्टी मुख्यालय पर जोनल इंचार्ज, मंडल कोआर्डिनेटर, विधायकों और कुछ पूर्व विधायकों की बैठक में मायावती ने चुनाव की तैयारियों के मंत्र भी दिए। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के अलावा विधायक मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी व मेरठ और अलीगढ़ के महापौर क्रमश: सुनीता वर्मा व मुहम्मद फुरकान भी बैठक में शामिल हुए। मायावती ने कहा कि जमीनी स्तर पर भी सपा से समन्वय बनाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि बसपा अब आगामी उप चुनावों में गोरखपुर-फूलपुर की तरह सक्रिय नहीं रहेगी लेकिन, लोकसभा चुनाव पर पूरा ध्यान अभी से केंद्रित करेगी। वीवीपीएटी (फोटोयुक्त पर्ची) के इस्तेमाल की वजह से भाजपा अब ईवीएम में धांधली नहीं कर पाएगी और उसका किला ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगा। कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि वे लालची न बनें, बल्कि ईमानदारी से संगठन के लिए काम करके नाम पैदा करें।
अपने 45 मिनट के संबोधन में मायावती ने पदाधिकारियों को मीडिया से दूर रहने की सलाह दी। कहा कि भाजपा के इशारे पर मीडिया लड़ाने का काम कर सकती है। भाजपा मीडिया के जरिये दोनों दलों को तोडऩे की भी कोशिश करेगी। इससे सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने चुटकी भी ली कि राज्यसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा नेताओं ने यह सोचकर लड्डू खाये थे कि अब सपा-बसपा में दरार होगी, लेकिन षडय़ंत्र को समझ कर मैैंने दूसरे ही दिन प्रेस कांफ्रेंस करके उन्हें लड्डू हजम नहीं होने दिए।
बसपा प्रमुख ने कहा कि जो निष्ठावान विधायक मेरे साथ हैैं, मैैं वादा करती हूं उनका टिकट नहीं कटेगा। कोआर्डिनेटर कितनी भी शिकायत करे, मैं उन्हें चुनाव लड़ाऊंगी और सरकार बनने पर उसमें जगह भी दी जाएगी। उन्होंने आशंका भी जताई कि गठबंधन की मजबूती को देखते हुए उन्हें परेशान किया जा सकता है लेकिन वह इससे डरने वाली नहीं हैैं। पदाधिकारियों को कभी भी लोकसभा चुनाव के लिए तैयार रहने का निर्देश देते हुए मायावती ने कहा कि भाजपा, मध्यप्रदेश सहित दूसरे राज्यों के चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव समय से पहले करा सकती है।
बसपा प्रमुख ने संगठन को मजबूत करने की दिशा में किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि नए सिरे से सेक्टर स्तर तक के संगठन का गठन हर हाल में 31 मई तक कर लिया जाए। पहली जून से तीन माह में 23 पदाधिकारियों वाली पोलिंग बूथ कमेटियों का गठन पूरा किया जाए। विधानसभा चुनाव के बाद मायावती ने इन कमेटियों को पूरी तरह से भंग कर दिया था।
धूमधाम से मनाएं अंबेडकर जयंती
बसपा प्रमुख ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि 14 अप्रैल को मंडल स्तर पर धूमधाम से डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाए। राजधानी लखनऊ में गोमतीनगर स्थित अंबेडकर स्मारक पर लखनऊ मंडल के सभी छह जिलों के बड़ी संख्या में पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ता जुटें।
साढ़े चार साल बाद मोदी को याद आए अंबेडकर
इससे पहले अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बातÓ में डॉ. अंबेडकर का जिक्र किए जाने को लेकर उन पर निशाना साधा। कहा, मोदी नाटकबाजी कर रहे हैं। साढ़े चार साल बाद उन्हें अंबेडकर याद आए हैं। मायावती ने कहा कि अंबेडकर का समतामूलक समाज-व्यवस्था के निर्माण में बड़ा योगदान रहा है। भाजपा की सोच डा. अंबेडकर की की तरह हो ही नहीं सकती। यह संकीर्ण विचारधारा की जातिवादी और सांप्रदायिक पार्टी है। इसी कारण देश की जनता ने इनको लगभग 65-70 वर्षों तक सत्ता से दूर रखा था।
प्रदेश में सपा व बसपा के बीच 23 वर्ष बाद रिश्ते बेहतर हो रहे हैं। इसी सहयोग से समाजवादी पार्टी के दो प्रत्याशी लोकसभा पहुंचे हैं। बसपा ने फुलपुर-गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा उम्मीदवारों को समर्थन किया था। दोनों सीटों पर सपा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। इतना ही नहीं भाजपा के दुर्ग गोरखपुर में भाजपा 28 साल के बाद लोकसभा का चुनाव हार गई। सपा ने राज्यसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार को समर्थन दिया था, पर बसपा उम्मीदवार जीत नहीं सका। माना जा रहा है कि अब प्रदेश में सपा व बसपा का गठबंधन बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर बसपा का संक्षेप में कहना है कि देश के करोड़ों दलित, पिछडों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पयंख्यकों के साथ अपरकास्ट के गरीब के मामले में भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार न सिर्फ खराब व बदत्तर है बल्कि बदनाम भी है। इनके शासनकाल में देश कभी भी बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के सपनों का मानवतावादी व आदर्श लोक कल्याणकारी देश नहीं बन सकता है और इनके वर्तमान शासन में तो लोगों की यह धारणा और भी ज्यादा पक्की होकर उभरी है।
मायावती ने कहा हाल ही में राज्यसभा चुनाव के आये नतीजों को लेकर 24 मार्च को मेरी प्रेसवार्ता के बाद से तो भाजपा के सभी लोग बहुत बुरी तरह से बौखलाये व परेशान होकर घूम रहे हैं। यह लोग तो जहां-तहां पर सपा व बसपा की नजदीकी को लेकर किस्म-किस्म की बयानबाजी कर रहे हैं। उन्हें मैं यह बताना चाहती हूँ कि हमारी यह नजदीकी, अपने स्वार्थ के लिए नहीं बन रही हैं बल्कि केन्द्र व खासकर भाजपा शासित राज्यों में इनकी गलत-नीतियों व गलत कार्यशैली की वजह से जो अब देश की आमजनता जबरदस्त परेशानी में है। इनके बिना पूरी तैयारी के नोटबंदी व जीएसटी के लागू करने से देश में खासकर गरीब व नौजवान लोग काफी ज्यादा बेरोजगार होकर घूम रहे हैं। हमने देश व जनहित में यह नजदीकी बनाने का फैसला लिया है। जिसका पूरे देश में दिल से स्वागत किया जा रहा है।
इससे पहले मायावती ने पहले पार्टी विधायकों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुकाबला करने के लिए सपा-बसपा हाथ मिला सकते हैं। उपचुनाव में दोनों सीटों पर साथ आने का फायदा भी मिला है। दोनों के पास अपने-अपने मजबूत वोटबैंक है। ऐसे में सपा-बसपा के बीच गठबंधन होता है तो बीजेपी के लिए 2014 जैसा नतीजा दोहराना एक बड़ी चुनौती होगी। राज्यसभा चुनाव के बाद माना जा रहा था कि सपा-बसपा की दोस्ती में दरार पड़ जाएगी, लेकिन बसपा की मुखिया मायावती ने साफ किया कि सपा-बसपा के बीच बढ़ती नजदीकियों में किसी तरह की कोई दरार नहीं आएगी। बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा भी सपा के सहयोग को लेकर संतुष्ट नजर आए थे।
पीएम नरेंद्र मोदी की मानसिकता बाबा साहेब अंबेडकर के विपरीत : मायावती
उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में अपनी प्रत्याशी की हार के बाद से ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ ही भारतीय जनता पार्टी है। मायावती ने आज लखनऊ में बसपा के पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। मायावती ने कहा कि देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में दलितों के साथ हमेशा नाटक किया है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी भले ही अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते है, लेकिन उनकी मानसिकता बाबा साहेब के लिए बिल्कुल विपरीत दिखती है।
मायावती ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में सिर्फ दलितों के साथ नाटक किया है। मायावती ने पीएम नरेंद्र मोदी पर दलित विरोधी होने का आरोप जड़ा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी भले ही मन की बात में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते है, लेकिन यह सच है कि उनकी मानसिकता बाबा साहेब के लिए बिल्कुल विपरीत थी। उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ राज्य सरकार भी दलितों के सम्मान की अनदेखी कर रही है। मायावती ने भजापा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह लोग अक्सर ही हर जगह डॉ. अंबेडकर के नाम का जिक्र भले ही करते हैं लेकिन उन वर्गों से जुड़े लोगों पर हमला करते हैं।
मायावती ने कहा कि नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा ने साढ़े चार साल में अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्ग व दलित समुदाय के नाम पर बहुत नाटक किए हैं। अब न तो पीएम मोदी और न ही उनकी पार्टी को इन नाटकों का कोई राजनीतिक लाभ मिलेगा। मायावती ने कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर का न्यायसंगत सामाजित व्यवस्था और मानवताबादी भारत बनाने का सपना भाजपा-आरएसएस शासन में कभी पूरा नहीं होगा। भाजपा की विचारधारा अंबेडकर की विचारधारा और संविधान के खिलाफ है। इस बैठक में बसपा के जोनल कोऑर्डिनेटर, पार्टी पदाधिकारी के साथ-साथ विधायक और पूर्व विधायक शामिल थे।