नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराए गए लोगों द्वारा चुनाव में प्रत्याशी तय किए जाने पर सवाल उठाया है। अदालत ने सोमवार को हैरानगी जताई कि जिन्हें चुनावी राजनीति से प्रतिबंधित किया गया है वे उम्मीदवारों के नाम किस तरह तय कर सकते हैं और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी कैसे सुनिश्चित हो सकती है।
शीर्ष अदालत दोषी व्यक्तियों को राजनीतिक दल गठित करने और उसके पद पर बने रहने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका की सुनवाई कर रही है। याचिका में चुनावी कानून के तहत अयोग्य करार दिए जाने की अवधि में इसपर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। शीर्ष अदालत ने याचिका का निपटारा करने के लिए तीन मई की तारीख तय की है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘एक व्यक्ति जिसे दोषी ठहराया गया है और उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है तो वह चुनाव के लिए प्रत्याशी का फैसला कैसे ले सकता है। लोकतंत्र की सुचिता कैसे बनी रहेगी?’ पीठ ने मजाकिया लहजे में कहा कि दोषी व्यक्ति दोषियों का संघ बना सकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘वे चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि संवैधानिक रूप से प्रतिबंधित हैं। क्या वे पार्टी पद पर बने रह सकते हैं और वे राजनीतिक दल गठित कर सकते हैं। निश्चित रूप से वे दोषी व्यक्तियों का एक संगठन बना सकते हैं, लेकिन क्या वे राजनीतिक दल का गठन कर सकते हैं?’ पीठ ने सभी पक्षों से तीन मई को अपना लिखित पक्ष सौंपने के लिए कहा है।