नोएडा । पुलिस मुठभेड़ में मारा गया श्रवण पुलिस का दबाव बढऩे पर नेपाल भाग जाता था। नेपाल में उसका ननिहाल था। बिसरख में 15 नवंबर 2017 को मुठभेड़ के दौरान फरार होने के बाद भी वह नेपाल चला गया था। वहां तीन माह रहने के बाद फरवरी के बीच में गाजियाबाद वापस आ गया था।
नक्सलियों के हाथ बचता था लूट की कार
श्रवण सिर्फ एसयूवी कार को निशाना बनाता था, जिसे वह 80 हजार में बेच देता था। लूट कार को वह नक्सलियों को भी बेचता था। श्रवण के संपर्क में आजमगढ़ का अली, मुंबई का रईस, औरंगाबाद महाराष्ट्र का सलीम, छतीसगढ़ का सुखविंदर सरदार और मुरादाबाद का साटा थे। यह भी श्रवण से लूटे गए वाहन को खरीदते थे।
गुड्डू के साथ मिलकर वाहन लूट करने लगा
इस बार वह गुड्डू के साथ मिलकर वाहन लूट करने लगा। गुड्डू एक मार्च को ग्रेटर नोएडा में पकड़ गया जबकि श्रवण फरार हो गया था। अब वह एके 47 खरीद चुका था। पुलिस का मानना है कि वह राशिद हत्याकांड के गवाहों को मारना चाहता था, जिसमें एके 47 का इस्तेमाल करता।
श्रवण ने दिल्ली के सीलमपुर में 9 नवंबर 2017 को राशिद की हत्या की थी। पुलिस को शक है कि एके 47 को बिहार से तीन लाख रुपये में खरीदा गया है।
मोटरसाइकिल चोरी से अपराध जगत में आया था
श्रवण सबसे पहले वर्ष 2014 में मोटरसाइकिल चोरी में विजय नगर गाजियाबाद में पकड़ा गया था। उसने जेल में नेटवर्क बढ़ाया। पहले उधमसिंह नगर उत्तराखंड के रहने वाले इरफान से जुड़ा। फिर उसके माध्यम से गुड्डू से जुड़ा। दोनों वाहन लूट करते थे। इन दोनों के साथ वाहन लूट करते हुए वह गैंग का सरगना बन गया।
मोबाइल से दूर रहता था
श्रवण मोबाइल नहीं रखता था। कार लूट के बाद वह गाड़ी रोककर साथियों से बात करता था। कार की डिलीवरी देने के लिए वह राहगीरों से जरूरी काम का बहाना बनाकर मोबाइल ले लेता था। फिर निर्धारित स्थल पर बुलाकर साथियों को कार दे देता था।