लखनऊ । राज्यसभा की दस सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान है। इसे लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है। भाजपा के आठ और सपा के एक उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है लेकिन, दसवीं सीट पर भाजपा और सपा-कांग्रेस-रालोद समर्थित बसपा उम्मीदवार के बीच रोमांचक मुकाबला है। इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में रस्साकसी बढ़ गई है। एक-एक वोट सहेजने के लिए दोनों पक्षों ने ताकत लगा दी है।
भाजपा, सपा और कांग्रेस की ओर से विधायकों को दी गई दावतों ने एक-एक वोट पर दलीय सक्रियता जाहिर कर दी है। मतदान में महज 36 घंटे अवशेष होने से जोड़-तोड़ और गणित भी तेज हो गई है। दसवीं सीट पर सत्ता और विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं लेकिन, परदे के पीछे भी दोनों तरफ कुछ ऐसा खेल चल रहा है जिसके कोई संकेत मिल नहीं पा रहे हैं। दोनों तरफ से भ्रम में रखने और शह-मात के लिए दिखावटी चाल भी चली जा रही है। विधायकों से संपर्क के लिए भाजपा में संगठन और सरकार के कुछ लोगों को जिम्मेदारी दी गई है, जबकि विपक्ष में बसपा, सपा और कांग्रेस के रणनीतिकार एक साथ काम कर रहे हैं।
नितिन अग्रवाल ने विपक्ष का खेल बिगाड़ा
भाजपा से केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, अशोक बाजपेई, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव और नवें उम्मीदवार के रूप में अनिल अग्रवाल चुनाव मैदान में हैं जबकि सपा की अधिकृत उम्मीदवार जया बच्चन और विपक्ष समर्थित बसपा उम्मीदवार भीम राव अम्बेडकर मुकाबले में है। भाजपा के पास 311, सहयोगी दल अपना दल एस के पास नौ और सुभासपा के पास चार विधायक (कुल 324) हैं। सपा के पास 47, बसपा के पास 19, कांग्रेस के पास, निर्दलीय तीन, निषाद के पास और रालोद के पास एक विधायक हैं।
एक उम्मीदवार को जीत के लिए 37 विधायकों के मत की जरूरत है। भाजपा के आठ उम्मीदवारों को 37-37 विधायक आवंटित करने के बाद 28 विधायकों के वोट बच रहे हैं। उधर, सपा का जया बच्चन को आवंटन के बाद 10, बसपा के 19, कांग्रेस के सात और रालोद के एक विधायक बच रहे हैं। इसे लेकर बसपा आश्वस्त थी लेकिन सपा सांसद नरेश अग्रवाल के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके पुत्र नितिन अग्रवाल को एक वोट के खिसकने की आशंका पर बुधवार को मुहर लग गई। नितिन योगी के आवास पर जाकर सपा-बसपा की उम्मीदों को झटका दे गए हैं। इससे विपक्ष का खेल बिगड़ गया है।
ऐसे में भाजपा ने द्वितीय वरीयता के मतों पर जोर दिया है। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र पांडेय का दावा है कि उनके सभी उम्मीदवार पहले चक्र में ही जीत जाएंगे। दरअसल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की बैठक में सपा के कई विधायकों के शामिल न होने से सत्तापक्ष की उम्मीदें परवान चढ़ गई हैं। हालांकि सपा की बैठक में न जाने वाले विधायकों के बारे में सपा का पक्का दावा है कि वोट उनके समर्थित उम्मीदवार को ही मिलेगा।