नई दिल्ली । सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर पूरी दुनिया के लोग जुड़े हुए हैं। एक दूसरे को कनेक्ट रखने के लिए बनी यह वेबसाइट अब लोगों की आदत बन चुकी है। लेकिन क्या इस तरह की वेबसाइट्स पर मौजूद आपका डाटा, आपकी जानकारी सुरक्षित है? हाल ही में सामने आए एक मामले में पता चला है कि 2014 में कैम्ब्रिज एनलिटिका ने 50 मिलियन फेसबुक प्रोफाइल्स का अधिग्रहण कर लिया था। यह डेटा चोरी का अब तक का सबसे बड़ा मामला माना जा सकता है।
क्या है पूरा मामला? आपके मन में यह सवाल जरूर उठा होगा की आखिर इतने बड़े स्तर पर डाटा की चोरी कैसे हुई? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डाटा को एक एनालिस्ट (विश्लेषक) की ओर से एकत्रित किया गया। फेसबुक के अनुसार- इस विश्लेषक की ओर से एक सर्वे दिया गया था, जिसे 270000 यूजर्स ने भरा है। यह सर्वे सिर्फ उन यूजर्स से ही नहीं बल्कि उनके दोस्तों आदि से भी भरवाया गया। इन यूजर्स को इस सर्वे से सम्बंधित कोई जानकारी नहीं थी। सर्वे के बाद ये सारी जानकारी कैम्ब्रिज एनलिटिका को दे दी गई जो की फेसबुक के नियमों के खिलाफ है। अब इस पर सवाल उठ रहे हैं की इस डाटा का आखिर क्या किया गया?
फेसबुक के शेयर में भारी गिरावट: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर करीब पांच करोड़ से ज्यादा यूजर्स के डेटा लीक होने की खबरों से फेसबुक के शेयर्स में भारी गिरावट देखने को मिली है। फेसबुक के शेयर्स में करीब आठ फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई है। इस कारण मार्क जुकरबर्ग को एक ही दिन में 395 अरब रुपये (6.06 अरब डॉलर) और कंपनी को 35 अरब डॉलर का घाटा हुआ है।
फेसबुक की विश्वसनीयता खतरे में: फेसबुक ने इससे प्रभावित यूजर्स को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी। कहा जा रहा है की कैम्ब्रिज एनलिटिका ने इन प्रोफाइल्स का इस्तेमाल ऐसी तकनीक का निर्माण करने में किया जिससे वोटर्स को प्रभावित किया जा सके। ऐसे आरोप लगे हैं की अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प की मदद करने के लिए कैम्ब्रिज एनलिटिका ने फेसबुक के यूजर्स की प्रोफाइल्स की चोरी की थी। इसे इलेक्शन के दौरान गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। यह खबर मिलने पर अमेरिकी और यूरोपीय सांसदों ने फेसबुक से जवाब-तलब किया है। वे जानना चाहते हैं कि ब्रिटेन की कैंब्रिज एनालिटिका ने डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव जीतने में किस प्रकार मदद पहुंचाई। आपको बता दें कि फेसबुक पहले ही यह खुलासा कर चुका है कि 2016 में अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव से पहले उसके प्लेटफॉर्म का रूसी लोगों ने कैसे इस्तेमाल किया था, लेकिन इसे लेकर मार्क जकरबर्ग कभी सवालों के घेरे में नहीं आए थे। इस मामले से सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सख्त रेगुलेशन का दबाव भी बन सकता है।
डाटा रेगुलेशन की सख्त जरुरत: फेसबुक के फिलहाल 2.1 बिलियन यूजर्स एक्टिव हैं। इनमें से 1.4 बिलियन यूजर्स रोजाना साइट का इस्तेमाल करते हैं। सोशल नेटवर्किंग साईट होने के चलते इस पर लोग नियमित तौर पर अपने विचार, फोटोज और लाइफ इवेंट्स शेयर करते हैं। इससे फेसबुक के पास किसी भी कंपनी या व्यक्ति की हाई रिजोल्यूशन पिक्चर और जानकारी साझा हो जाती है। यह जानकारी लीक होने पर इसका कई बड़े स्तर पर गलत तरह से प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है की क्या आने वाले समय में प्राइवेसी प्रोटेक्शन और डाटा रेगुलेशन को लेकर कानून बनाए जाएंगे या नहीं? क्योंकि इस बड़े डाटा चोरी के मामले के बाद यूजर्स की निजी जानकारी की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे कानूनों की सख्त जरुरत लगती है।