करबला के शहीदों का ख़ून पूरे विश्व में दिन-प्रतिदिन परिवर्तन पैदा करेगा,आशूरा आज भी जीवित है जिसका के बहुत ही स्पष्टि जलवा, ईरान की इस्लामी क्रांति है ये पैग़ाम देने वाले ईरान के राष्ट्रपति आयतुल्लाह इब्राहीम रईसी कौन है?
ईरान के राष्ट्रपति आयतुल्लाह इब्राहीम रईसी इससे पहले
ईरान के न्यायपालिका प्रमुख और विशेषज्ञ परिषद के उप प्रमुख थे,
सैयद इब्राहीम रईसी ने धार्मिक शिक्षा केंद्र से उच्चतम डिग्री हासिल की है और वे इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के शिष्यों में से हैं।
रईसी का जन्म 14 दिसम्बर सन 1960 को पवित्र नगर मशहद के नोग़ान मुहल्ले में हुआ। उन्होंने आरंभिक शिक्षा जवादिया स्कूल में हासिल की और फिर मदरसए नव्वाब और फिर मदरसए मूसवी नेजाद में धार्मिक शिक्षा प्राप्त की। वे सन 1975 में उच्च धार्मिक शिक्षा के लिए पवित्र नगर क़ुम पहुंचे और धार्मिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने क़ानून में मास्टर्ज़ की डिग्री हासिल की। सैयद इब्राहीम रईसी ने सन 2001 में डाॅक्ट्रेट की डिग्री प्राप्त की।
वे सन 1980 में करज ज़िले के अटाॅर्नी बने। इस शहर के जटिल हालात को बेहतर बनाने की वजह से सन 1982 में उन्हें करज के साथ ही हमदान शहर का भी अटाॅर्नी बना दिया गया। सन 1985 में रईसी तेहरान के डिप्टी अटाॅर्नी बने। इसके बाद सन 1989 में उन्हें तेहरान का अटाॅर्नी नियुक्त किया गया और उन्होंने पांच साल तक इस पद पर काम किया। सन 1994 में सैयद इब्राहीम रईसी को देश की इंसपेकशन संस्था का प्रमुख नियुक्त किया गया और वे दस साल तक इस पद पर काम करते रहे।
सन 2004 से 2014 तक वे देश की न्यायपालिका उप प्रमुख बने और मार्च 2005 में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने उन्हें इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के पवित्र रौज़े का मुतवल्ली नियुक्त किया, इससे पहले वे तेहरान में इमामज़ादा सालेह के रौज़े के भी मुतवल्ली रह चुके थे। 14 अगस्त सन 2017 को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के आदेश पर वे पांच साल के लिए देश की इस्लामी व्यवस्था की हित संरक्षक परिषद के सदस्य नियुक्त हुए। रईसी ने सन 2017 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भी भाग लिया था और 38.30 प्रतिशत वोट हासिल करके वे चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी थे।
7 मार्च सन 2019 को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने एक आदेश के माध्यम से सैयद इब्राहीम रईसी को देश की न्यायपालिका का प्रमुख नियुक्त किया। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अपने आदेश में कहा था कि धर्म के व्यापक ज्ञान, अनुभव, अमानतदारी और योग्यता के साथ ही न्यायपालिक के सभी आयामों से अवगत होने के कारण उन्हें इस अहम विभाग का प्रमुख नियुक्त किया जा रहा है।
63 वर्षीय पूर्व न्यायपालिका प्रमुख ने एक चुनाव में भारी जीत के बाद हसन रूहानी का स्थान लिया था।
उन्होंने सत्ता तब संभाली जब ईरान को गंभीर आर्थिक समस्याओं, बढ़ते क्षेत्रीय तनाव और विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते के पुनरुद्धार पर रुकी हुई बातचीत सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
हालाँकि, उनके कार्यकाल के दौरान 2022 में पूरे ईरान में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के साथ-साथ इज़राइल और ईरान समर्थित फिलिस्तीनी समूह हमास के बीच गाजा में मौजूदा युद्ध भी हावी रहा, जिसके दौरान इज़राइल के साथ ईरान का छाया युद्ध छिड़ गया।
एक छात्र के रूप में उन्होंने पश्चिमी समर्थित शाह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया, जिसे अंततः 1979 में अयातुल्ला रूहुल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में एक इस्लामी क्रांति में अपदस्थ कर दिया गया था।
क्रांति के बाद वह न्यायपालिका में शामिल हो गए और अयातुल्ला खामेनेई द्वारा प्रशिक्षित होने के दौरान कई शहरों में अभियोजक के रूप में कार्य किया,
उसी समय, मध्य पूर्व में सक्रिय ईरान के सहयोगी सशस्त्र समूहों और प्रॉक्सी के नेटवर्क – जिसमें लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हौथिस और इराक और सीरिया में विभिन्न मिलिशिया शामिल थे – ने इजरायल के खिलाफ अपने हमलों को काफी तेज कर दिया था, जैसा कि उन्होंने कहा था। फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन।
श्री रायसी ने सीरिया में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर घातक हमले के जवाब में इज़राइल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें लॉन्च करने के फैसले का समर्थन किया। उनमें से लगभग सभी को इज़राइल, पश्चिमी सहयोगियों और अरब साझेदारों द्वारा मार गिराया गया था और दक्षिणी इज़राइल में एक एयरबेस पर हमला होने पर केवल मामूली क्षति हुई थी।
संयम बरतने के पश्चिमी आह्वान के बाद इज़राइल ने एक मिसाइल लॉन्च करके जवाब दिया जो ईरानी हवाई अड्डे पर हमला कर गया।
अप्रैल में ईरान द्वारा इज़राइल पर अपना पहला प्रत्यक्ष सैन्य हमला करने के बाद इस बात की आशंका बढ़ गई थी कि क्षेत्रीय युद्ध छिड़ जाएगा।
श्री रायसी ने उस हमले के महत्व को अधिक महत्व नहीं दिया और कहा कि ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमले ने “हमारे राष्ट्र के दृढ़ संकल्प को दिखाया”।
रविवार को, उत्तर-पश्चिमी ईरान में अपने हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से कुछ घंटे पहले, श्री रायसी ने फिलिस्तीनियों के लिए ईरान के समर्थन पर जोर देते हुए घोषणा की कि “फिलिस्तीन मुस्लिम दुनिया का पहला मुद्दा है”।
श्री रायसी के निजी जीवन में, सिवाय इसके कि उनकी पत्नी जमीलेह तेहरान में शाहिद बेहिश्ती विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं और उनकी दो वयस्क बेटियाँ हैं। उनके ससुर अयातुल्ला अहमद अलमोल्होदा हैं, जो मशहद में इमामे जुमा है।
ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने वर्तमान समय में मानव समाज के लिए ईश्वर और आध्यात्म की ओर ध्यान देना बहुत ज़रूरी हो चुका है का पैगाम दिया था।
उन्होंने कहा कि इस समय विश्व की जो स्थिति है उसको देखते हुए किसी एक देश को नहीं बल्कि पूरे मानव समाज को आध्यात्म की ओर रुख़ करना चाहिए। सैयद इब्राहीम रईसी के अनुसार क़ुरआनी शिक्षाओं के अनुसार इब्राहीमी धर्म के अनुयाई होने के नाते हमारे बीच एकता और एकजुटता होनी चाहिए।
उन्होंने ये भी कहा कि इस दौर में जो लोग संसार में अत्याचार करते हैं वे अगर ईसा मसीह की शिक्षाओं की ओर ध्यान दें तो फिर वह यह बुरा काम कभी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि संदर्भ में वैटिकन प्रभावशाली भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि ईसा मसीह और पैग़म्बरे इस्लाम की शिक्षाओं के बारे में बैठकर शास्त्रार्थ किया जाए ताकि दृष्टिकोण एक-दूसरे के निकट आ सकें।
राष्ट्रपति रईसी परमाणु वार्ता में ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध लगे सारे प्रतिबंधों को हटवाने के बारे में हम बहुत गंभीर हैं।
ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने कहा था कि हम न्याय स्थापित करने के प्रति कटिबद्ध हैं।
राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने कहा था कि करबला की घटना, इमाम इुसैन से श्रद्धा रखने वालों के लिए अब भी एक पाठ के समान है।
इब्राहीम रईसी ने कहा कि समाज की समृद्धि ओर गरिमा के लिए हमें इमाम हुसैन की जीवन शैली के आधार पर प्रयास करने चाहिए।
राष्ट्रपति का कहना था कि मानव समाज मेंं परिवर्तन, इमाम हुसैन के नाम से जुड़ चुका है। उन्होंने कहा कि करबला के शहीदों का ख़ून पूरे विश्व में दिन-प्रतिदिन परिवर्तन पैदा करेगा। रईसी के अनुसार आशूरा आज भी जीवित है जिसका के बहुत ही स्पष्टि जलवा, ईरान की इस्लामी क्रांति है।
ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने कहा कि धर्म के दुश्मनों की इच्छा यह थी कि करबला की घटना को इतिहास से हमेशा के लिए मिटा दिया जाए किंतु ईश्वर की कृपा से यह, इतिहास की एक अति महत्वपूर्ण घटना में परिवर्तित हो गई जिसके आधार पर बहुत सी क्रांतियां आईं।
राष्ट्रपति रईसी ने कहा कि शहीद सुलैमानी के लिए कहा था कि जो महान व्यक्तित्व है उससे सबको परिचित करवाया जाए। उन्होंने कहा कि शहीद क़ासिम सुलैमानी, किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं है बल्कि वे एक विचारधारा हैं।
राष्ट्रपति इब्राहीम के अनुसार शहीद सुलैमानी के प्रयास साफ्ट वाॅर और हार्ड वाॅर दोनों के लिए थे। इब्राहीम रईसी ने बताया कि शहीद सुलैमानी इस बात को लेकर बहुत दुखी रहते थे कि कुछ लोग धोखे में आकर तकफ़ीरी आतंकवाद के दुष्प्रचारों से प्रभावित हो रहे हैं। वे विभिन्न मार्गों से इस प्रकार के लोगों के सुधार के प्रयास में रहते थे।
उन्होंने कहा कि शहीद सुलैमानी की एक विशेषता यह रही कि उन्होंने इराक़ और सीरिया की सुरक्षा के लिए इन्हीं देश के रहने वाले योग्य बलों को प्रशिक्षित किया। उनके इस प्रयास ने इस्लामी जगत में उनके कार्यों को अमर बना दिया।