क़तीफ इलाके में पंजेतन पाक के मानने वालों पर जुल्म की इंतहा हुई पार
तहलका टुडे इंटरनेशनल टीम
क़तीफ (मशरिख़ी अरब) से ताल्लुक़ रखने वाले तीन शिया नौजवानों को फांसी देने की ख़बर दी| वही आज शिया नशीन इलाके शरीख़ा से ताल्लुक़ रखने वाले एक नौजवान को फांसी देने की खबर से दुनिया के हिंदुस्तान समेत कई मुल्को में हड़कंप मच गया है, सोशल मीडिया पर सऊदी के ज़ालिम हुक्मरानों के खिलाफ लानत की अंबार लगी हुई है।जिसको रखने के लिए वो अब मक्कारी के गुब्बारे फुला कर उड़ा रहे है।
मालूम हो सऊदी अरब में हिंदुस्तान समेत कई मुल्को के बेकसूर नवजवानों को कैद कर उन पर जुल्म की इंतहा खत्म कर दी गयी है,अगर वोह उनके टार्चर करने से भी नही मर रहा है तो उसका कत्लेआम किया जा रहा है।
हस्नुल मिन्हा, हैदरूल मूवीस और मोहम्मदुल मूवीस तीन शिया नौजवान हैं जिन्हें सऊदी अरब के हुक्कामो ने झूठे सियासी इलज़ामात के तहत पिछले दिनों फांसी दे दी।
अल जज़ीरा के मुताबिक़ ३ शिया नौजवानों की फांसी मामूल के मुजरमाना तरीक़ा-ए-कार से गुज़रे बग़ैर अमल में लायी गयी|
वैसे हिंदुस्तानी लोगो का कहना है सऊदी अरब के लोगो की मक्कारी और अवाम को तंग करने की ज़ालिम हरकत अगर सबसे खतरनाक ना होती तो रब्बे करीम पैग़म्बरे इस्लाम सल्लाहो अलैहे वासलल्लम को यहाँ ना उतार कर तब्लीग ना कराता, पूरी ज़िंदगी इन सउदी लोगो के ज़ुल्म का शिकार बने नबी करीम हक़ और इंसाफ को लोगो मे फैलाते रहे,लेकिन वो मक्कारिया आज भी नबी स.अ. के आल के चाहने वालो पर नबी स.अ. से दुश्मनी रखने वालों की नस्लो का कहर जारी है।
जो पूरी दुनिया मे चर्चा का विषय बना है, हर तरफ इस ज़ुल्म के खिलाफ सऊदी अरब समेत तमाम मुल्को और हिंदुस्तान में भी विरोध जारी है।
सऊदी विज़ारात दाख़िला ने मज़म्मत से अपना दामन बचाने के लिए ऐलान किया के ” इन तीनों को इसलिये सज़ा-ए-मौत सुनाई गयी क्यूंकि वोह सऊदी अरब से बाहर एक कैंप में सऊदी अरब के ख़िलाफ़ एक दहशतगर्द गिरोह की ख़िदमत करने और उसके कैंपों में हथियारों और बमों के इस्तेमाल का तरीक़ा सीखने के लिये गये थे”|
जबकि हक़ीक़त ये थी ये इल्ज़ाम था,सऊदी अरब में हज़्बे इख़्तिलाफ़ के ज़राय ने इन फांसियों की वजह सिर्फ़ सियासी क़रार दिया है|
सऊदी हुकूमत के मुख़ालिफ़ गुरूपों के मुताबिक़ इन तीनों अफ़राद को २०१३ में गिरफ़्तार किया गया था और वोह गुज़िश्ता १० सालों से जेल की सलाख़ों के पीछे थे, और इन तीनों अफ़राद को इस अरसे में शदीद जिस्मानी और ज़हनी तशद्दुद का निशाना बनाया गया|
सऊदी अरब के मशरिख़ी शहर बुनियादी तौर पर शिया हैं और वहां के बाशिंदों को अमूमन सियासी वजूहात की बिना पर गिरफ़्तार किया जाता है और इन पर मुक़दमा चलाया जाता है|
वही दूसरी तरफ आज फिर सऊदी अरब की विज़ारत दाख़िला ने आज शिया नशीन इलाके शरीका से ताल्लुक़ रखने वाले एक नौजवान को फांसी देने का ऐलान किया और इलज़ाम लगाया के ये नौजवान दुशमन मुल्क के लिये जासूसी कर रहा था|
इस सऊदी विज़ारत ने एक बयान शाय करते हुए बताया के ये शिया नौजवान को ” मुल्के दुशमन के लिये जासूसी ” और सऊदी अरब से “ग़ैर क़ानूनी रवानगी” के इलज़ाम में फांसी दी गयी, इस सऊदी विज़ारात ने दावा किया के सज़ा-ए-मौत पाने वाला शख़्स हथियार इस्तेमाल करने की तरबियत ले रहा था और हमले करने की तय्यारी कर रहा था|
अल अर्बिया न्यूज़ चैनल ने इस बयान का हवाला देते हुए इत्तिला दी है के “अहमद बिन अली बिन मातूक़ आले बद्र” की सज़ा-ए-मौत पर अमल दरामद शर्ख़िया के इलाके में किया गया|
वाज़ेह रहे के सऊदी अरब का मशरिख़ी इलाका बुनियादी तौर पर शिया अवाम से भरा पड़ा है और यहां के लोगों को अमूमन सियासी वजूहात की बिना पर गिरफ़्तार कर के उन पर मुक़दमा चलाय जाता है|