
तहलका टुडे टीम
नई दिल्ली;हिजाब आंदोलन पर पश्चिमी मीडिया के “प्रचार” का मुकाबला करने के प्रयास में, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ब्रॉडकास्टिंग (आईआरआईबी) के प्रमुख डॉ. पैमान जेबेली ने कहा कि लैंगिक समानता और व्यक्तिगत मानवाधिकारों के लिए सम्मान इस्लामी गणराज्य के मौलिक शासी सिद्धांत हैं। उन्होंने ये भी कहा कि अगर ईरान इंडिया मीडिया ,झूठ,मक्कारी, पश्चिमी वैश्विक संस्कृति मीडिया के खिलाफ एक हो जाय तो दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होगा इंडिया।

डॉ जिबल्ली का कहना था आज सभी देशों के पारंपरिक और आधिकारिक संचार माध्यमों को सोशल नेटवर्किंग साइटों से गंभीर चुनौती का सामना है। पूरी दुनिया में बड़े टीवी चैनलों की ख़बरों की खपत कम हो रही है और इसका स्थान सोशल नेटवर्किंग साइट्स ले रही हैं।
आईआरआईबी पर होने वाले लगातार हमलों का उल्लेख करते हुए इस ऑर्गनाइज़ेशन के प्रमुख ने कहा कि यह हमले, आईआरआईबी की सफलता का सुबूत हैं।

16 सितंबर को ईरानी महिला महसा अमिनी की मौत पर, उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘यह उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण ब्रेन ट्यूमर की वजह से थी, लेकिन मीडिया के कुछ वर्गों ने अपने निहित स्वार्थों के लिए इस तथ्य को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।’
दोहा में फीफा मैच के दौरान हमारी फुटबॉल टीम के खिलाड़ियों द्वारा राष्ट्रगान गाने से इनकार करने से ईरान को कोई समस्या नहीं है। ईरान में हमारे कुछ निश्चित नियम नहीं हैं। जेबेली ने कहा, राष्ट्रगान के दौरान ही लोग खड़े होकर सम्मान दिखाते हैं।

हर देश कुछ गलतियां करता है, तो क्या ईरान भी इसे स्वीकार करता है, लेकिन जिस तरह से पश्चिमी मीडिया ईरानी समाज को पेश कर रहा है, वह वास्तविकता से बहुत दूर है। उन्होंने कहा कि समाचार रिपोर्टों में हेरफेर किया जाता है, ईरान को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर छेड़छाड़ किए गए वीडियो और तस्वीरें साझा की जा रही हैं।
“हिजाब हमारी संस्कृति का हिस्सा है; यह हमारे संविधान का हिस्सा है। लेकिन हम इसके निहितार्थ के लिए जबरदस्ती के उपायों का उपयोग नहीं करते हैं। कभी-कभी महिलाएं हिजाब को नजरअंदाज कर देती हैं लेकिन हम उन पर न तो थोपते हैं और न ही कड़ी कार्रवाई करते हैं।’

डॉ पैमान जिबल्ली ने कहा कि ईरान शांतिपूर्ण विरोध और रैलियों के अधिकार का सम्मान करता है, लेकिन बाहरी लोगों द्वारा भड़काई गई हिंसा और आतंक को निश्चित रूप से अनुमति नहीं दी जाएगी। “ईरान की सामाजिक और राजनीतिक प्रणाली जिसमें हिजाब पर कानून शामिल हैं, सभी को चुनाव और संसद सहित एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से तय किया गया है। हम एक ‘इस्लामी’ गणराज्य हैं, इसलिए हम अपने स्वभाव और लोकतांत्रिक अधिकारों दोनों का ख्याल रखते हैं।’ उन्होंने एक सर्वेक्षण का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि 70% ईरानी महिलाएं हिजाब पहनने का समर्थन करती हैं।

“ईरान में 60% छात्र महिलाएँ हैं। महिलाओं द्वारा 200 से अधिक फिल्में बनाई गईं; कई महिलाओं ने ओलंपिक पदक जीते, 1000 से अधिक जज महिलाएं हैं। हिजाब ईरानी महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा नहीं है। हम गर्व से कह सकते हैं कि किसी भी पश्चिमी देश की तुलना में ईरानी महिलाएं सबसे अधिक सशक्त हैं।
देश की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था पर, भारत में ईरानी राजदूत डॉ. इराज इलाही ने कहा: “भारत को तेल बेचना चाहते हैं … हम अपने आर्थिक संबंधों को पारस्परिक रूप से विकसित करना चाहते हैं। हम अवैध अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद भारत को उसकी जरूरत के हिसाब से तेल की आपूर्ति कर सकते हैं और हमें जो भी जरूरत है, वह भारत से खरीद सकते हैं।

नई दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास के कर्मचारियों और राजदूत की मौजूदगी में पैमान जिब्बली ने कहा कि आईआरआईबी भारत में सक्रिय ईरानी व्यापारियों और इसी तरह से भारतीय व्यापारियों की मांगों को उठाने और उनकी हर संभव मदद करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि ईरानी व्यापारियों की मांगों और दोनों देशों की आर्थिक योजनाओं को पूरा करने के मार्ग में आने वाली चुनौतियों से संबंधित सूचनाओं के प्रसारण से हम इन समस्याओं से निपटने में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं।
डॉक्टर पैमान जिबल्ली ने आगे कहा कि भारतीयों को ईरान के बाज़ार से परिचित कराने से दोनों देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और मीडिया संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए भूमि प्रशस्त करने के लिए हम उनका इस्तेकबाल करेंगे।
आईआरआईबी प्रमुख एशिया-प्रशांत रेडियो और टेलीविज़न एबीयू के सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली की यात्रा पर थे।
मालूम हो इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई के आदेशानुसार पैमान जिबल्ली, आईआरआईबी के प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए सितंबर 2021 को नियुक्त किया गया था।
उस वक्त वरिष्ठ नेता के बयान में आया था कि जन जागरूकता तथा ज्ञान को बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मीडिया, एक विश्विद्यालय के समान है। यह संस्था, शत्रुओं के षडयंत्रों का मुक़ाबला करने के लिए एक मंच के रूप में है। साथ ही यह देश के सार्वजनिक वातावरण में आशा और प्रसन्नता फैलाने वाला है।
वरिष्ठ नेता के बयान में आया था कि हमारी प्राथमिकताओं में सांस्कृतिक मार्गदर्शन, राष्ट्रीय एवं क्रांतिकारी भावना को मज़बूत करना, इस्लामी-ईरानी जीवनशैली का प्रचार एवं प्रसार और राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ाना देना शामिल है जिनकों मानव पूंजी का प्रयोग करते हुए कार्यक्रमों की गुणवत्ता को बढ़ाकर हासिल किया जा सकता है और इसके लिए दिनरात अथक प्रयासों की आवश्यकता है।
अपने इस संदेश में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने पैमान जिबिल्ली के लिए ईश्वर से सफलता की कामना की है।
आपको ये भी बतादे डॉ पैमान जिबल्ली,
शहीद कासिम सुलेमानी की तर्ज पर मीडिया में चल रही खुराफातो के खिलाफ जंग जारी किए है।