लखनऊ में पांच अलग-अलग जगहों पर आयोजित हो रहे ‘‘दीन और हम’’ की दीनी क्लासेज में आज इमाम हसन (अ0) के जन्म दिवस के अवसर पर पूर्वानुसार क़ुराने मजीद की तिलावत के साथ हुआ जिसके बाद “इमामबाड़ाअफसर जहाँ” , विक्टोरिया स्ट्रीट, ‘‘मिलन मैरिज हॉल’’ दरगाह हज़रत अब्बास (अ0) रोड, अलमास मैरिज हॉल, नेपियर रोड हुसैनाबाद और नर्जिस मंजिल सरफ़राज़ गंज हरदोई रोड में क्रमानुसार शायर-ए-अहलेबैत श्री अहसान नासिर , श्री मुर्तुज़ा , श्री मोहम्मद अब्बास, श्री आले हसन एवं श्री वसी अहमद काज़मी ने हज़रत इमाम हसन (अ0) की शान में अश्आर नज़्म करते हुए श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
नज़्म के बाद सम्बन्धित कक्षाओं में प्रवक्ताओं ने अपने लेक्चर के आरम्भ में इमाम हसन (अ0) के जन्म दिवस की मुबारकबाद पेश करते हुए उनके चरित्र एवं व्यक्तित्व के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु प्रस्तुत किये एवं अन्य विषयपरक व्याख्यान दिया।
इस मौके पर मौलाना अली अब्बास खान साहब ने बताया के इमाम हसन अस खानदाने अहलेबैत में करीम के लक़ब से पहचाने जाते थे और आपके करम का आलम ये था के आप अपने पुरे सरमाये को दो हिस्सों में तक़सीम कर के आधा खुदा की रह में बक्श देते थे , अपने खुदा की मोहब्बत को इस तरह से पाया था के अपने ज़िंदगी के काफी हज पैदल अंजाम दिए , रसूल इ अकरम सल्लल्लाहो व आलेहे वस्सलाम आप और आपके भाई इमाम हुसैन अस के हसन और हुसैन जवानाने जन्नत के सरदार हैं और अपने फ़रमाया के हसन और हुसैन उम्मत के इमाम हैं चाहे बैठे (सुकूत ) हों या खड़े हो (जंग ), किताबे फिराए तुस सिमटाइन में इमाम हसन अस के बारे में मिलता है के अगर खुदा वनदे मुताल अक़्ल को इंसान का लिबास पहनता तो इमाम हसन इ मुज्तबा की सूरत पर बनाता,
इमाम हसन ने अपने बाबा अली मुर्तुज़ा 10 साल मंसबे इमामत को संभाला गर चे 6 महीने बाद मुसलमनो ने आपकी बैयत तोड़ दी , मुसलमानो की बदनसीबी थी जिन्होंने इमाम हसन अस जैसा इमाम , खलीफा और हाकिम खो दिया , आज ज़माने को ज़रूरत है के इमाम हसन की सीरत का गौर से मुतलया करे और उसको अपनी ज़िंदगी में जमाये अमल पहनाये ताकि पूरी दुनिया में अख़लाक़ और किरदार का बोल बाला हो और वो इंसान जो इलाही अदालत को पूरी दुनिया में फैलाएगा उसके आने के लिए ज़मीन हमवार हो
इस अवसर पर प्रत्येक वर्ष की तरह आयोजकों द्वारा कक्षा के वातावरण को हर्षपूर्ण बनाने के प्रबन्ध किये गये थे तथा सभी उपस्थित अतिथियों/विद्यार्थियों को मिठाईयां वितरित की गईं। उल्लेखनीय है ‘‘दीन और हम’ में इस्लामिक विशिष्ट अवसरों पर विशिष्ट प्रबन्ध किये जाते रहे हैं।
शहर लखनऊ में पांच अलग-अलग जगहों पर आयोजित हो रहे ‘‘दीन और हम’’ की कक्षाओं में लगभग 450 से अधिक युवक-युवतियां नियमित रूप से उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। आयोजकों के अनुसार प्रतिदिन लगभग सभी स्थानों की सीटें भर जाती हैं।
इन कक्षाओं में नवयुवा पीढ़ी के विशेष रूप से भाग लेने का कारण यहां का अनुशासन, प्रवक्ताओं जिनमें मौलाना अली अब्बास ख़ान साहब, मौलाना अक़ील अब्बास मारूफ़ी साहब, मौलाना सैयद अदील असग़र काज़मी साहब, मौलाना हसनैन बाकरी साहब और मौलाना मुशाहिद आलम साहब द्वारा दिया जाने वाला व्याख्यान तथा युवकों के सन्देह एवं प्रश्नों का सन्तोषजनक उत्तर प्राप्त करना है। शहर में इस प्रकार के लेक्चर का आयोजन अद्वितीय एवं अतुलनीय है।
यह सूचना ‘‘दीन और हम’’ के प्रबन्धन के प्रवक्ता की ओर से प्रदान की गई है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष यह कक्षाएं ‘‘ऐनुल हयात ट्रस्ट’’ द्वारा और ‘‘हैदरी एजूकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी’’ तथा “अल मुअम्मल कल्चरल फॉउंडेशन” के सहयोग से आयोजित हो रही हैं।