रिज़वान मुस्तफ़ा/तहलका टुडे टीम
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दिल्ली-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने आज कल अपनी तक़रीरों से फ़िरकापरस्त ताकतों और देश को हिन्दू मुसलमान में बांटने वाली शक्तियों के नाक में दम कर उनके मंसूबो पे पानी फेर कर हड़कम्प मचा दिया है, उन्होंने भारत के दर्द और दिल को बताते हुए कहा है कि अंग्रेज़ों ने भारत का इतिहास फिर से लिखा, लिहाज़ा हमें देश का असल इतिहास फिर से वापस लौटाने की ज़रूरत है. उन्होंने ये भी कहा कि मज़बूत समाज के लिए हमें हिंदुत्च को मज़बूत बनाने की ज़रूरत है.
वे शनिवार को ग्वालियर में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
उस कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “हमें ‘हिंदू ही भारत है और भारत हिंदू है’, इस तथ्य को मज़बूत बनाने की ज़रूरत है, क्योंकि अंग्रेजों ने हमारे इतिहास को फिर से लिखकर हमारी मूल पहचान ही बदल दी. जिन घुमक्कड़ों को अंग्रेज़ों ने अपराधी कहा और आज़ादी के बाद हमने जिन्हें नोटिफ़ाई किया, वे संत और सिद्धपुरुषों के आदमी थे.”
श्री मोहन भागवत ने आगे कहा, ”वे लोग समाज को गौरव देने के अभियान का हिस्सा थे. हिंदुत्व को भारत से और भारत को हिंदुत्व से अलग नहीं किया जा सकता. इस सोच ने हमें ख़ास बनाया लेकिन अंग्रेज़ों ने यहां आकर भारत के इतिहास को फिर से लिखा. अंग्रेजों ने लिखा कि हमारे पूर्वज 15 पीढ़ी पहले नहीं थे. क्योंकि इतिहास में कोई हिंदू नहीं यानी भारत नहीं है. इससे अखंड भारत टूट गया.”
आरएसएस प्रमुख के अनुसार, 1947 में हुए देश के विभाजन ने हिंदुओं को कमज़ोर कर दिया. उन्होंने कहा, “जब पाकिस्तान बना तो हमें नहीं बताया गया कि हम भारत और हिंदुस्तान बन जाते हैं. आपने उस देश का दूसरा नाम रखा क्योंकि उन्हें मालूम था कि भारत हिंदू है और हिंदू ही भारत है.”
मोहन भागवत के मुताबिक़, ”अखंड भारत वहां बंटा, जहां हिंदू कमज़ोर हैं. फिर भी यदि हम भारत में उन जगहों को देखें जहां के लोग परेशान हैं और जहां देश की अखंडता ख़तरे में है, तो पाएंगे उस जगह के हिंदू और हिंदुत्व के विचार कमज़ोर हैं. हमें अपनी आत्मा को ज़िंदा रखना है. इसलिए मोहम्मद इक़बाल ने कहा कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी.”
श्री मोहन भागवत ने ये भी कहा कि ”हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है और उसका उद्गम हिंदुत्व था । हिंदू भारत से अविभाज्य हैं और भारत हिंदू से अविभाज्य है।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत को अपनी पहचान बनाये रखनी है तो उसे हिंदू बने रहना होगा तथा हिंदू यदि हिंदू बने रहना चाहते हैं तो भारत को ‘अखंड’ बनना ही होगा। संघ प्रमुख ने कहा, ‘इतिहास गवाह है कि जब भी हिंदू ‘भाव’ (पहचान) को भूले, देश के सामने संकट खड़ा हो गया और वह टूट गया लेकिन अब (हिंदू का) पुनरूत्थान हो रहा है तथा भारत की प्रतिष्ठा वैश्विक रूप से बढ़ रही है। दुनिया भारत को निहार रही है और उसके लिए समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘यदि भारत को भारत बने रहना है तो उसे हिंदू बने रहना होगा और यदि हिंदू हिंदू बने रहना चाहते है तो भारत को अखंड होना ही होगा। यह हिंदुस्तान है जहां हिंदू रह रहे हैं और अपनी परंपराओं का पालन कर रहे हैं। जिस किसी बात को हिंदू कहा जाता है, उसका विकास इसी भूमि में हुआ।’ भागवत ने कहा कि हिंदुओं के बिना भारत नहीं है और भारत के बिना हिंदु नहीं है। उन्होंने कहा, ‘भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान बना क्योंकि हम उस भाव (पहचान) को भूल गये कि हम हिंदू हैं। और इसे मुसलमान भी भूल गये। ब्रिटिश ने हिंदुत्व की पहचान को तोड़ दिया तथा भाषा एवं धर्म के आधार पर बांट दिया।’