तहलका टुडे टीम
बाराबंकी की सरज़मी हमेशा महंतों और संतो से खाली नही रही
और सबसे बड़ी खास बात यह रही की इन लोगो ने धर्म भेदभाव से उठकर हमेशा इंसानियत के लिए काम इसी में से श्री राम वन कुटीर स्वामी राम ज्ञान दास जी महाराज आज साकेत धाम को प्रस्थान कर गए|
उनका अंतिम संस्कार कल दोपहर में 2:00 बजे आश्रम पर होगा|
स्वामी जी ने 300 बेड का आश्रम मे स्कूल बनवाया 1-5 लाख से ज़ियादा गरीबो के आंख, ट्यूमर,ऑर कई तरह के ऑपरेशन करवाकर को लोगो को सेहत्याब कर रोग मुक्त करने का मिशन चलाया जिसमे हिन्दू मुस्लिम का कभी कोई भेदभाव नही रहा।
हर वर्ष फरवरी माह में आश्रम में मरीज़ों का एक कुंभ लगता था,जहाँ हर वर्ष हज़ारो गरीबो को ऑपरेशन करवाकर शिफ़ा मिलती है।
वाकया 2008 का है बसपा सरकार थी त्रिवेदीगंज में आंख के ऑपरेशन शिविर में 35लोगो की आंख की रौशनी चली गईथी, पुरे प्रदेश में नेत्र ऑपरेशन शिविर पर रोक लगा दी गयी थी।
इसी ज़द में हरवर्ष लगने वाला हाडियकोल का ऑपरेशन शिविर भी आ गया, स्वामी जी बेहद चिन्तित थे सेवादार दरदर की ठोकर खा रहे थे, स्वास्थ मंन्त्री अंटू भी परमिशन दिलाने की हिम्मत के नाम पर टरका दिये थे,डी एम से मिलिये,
बेचारे सेवादार उस वक़्त के डी एम के रविन्द्र नायक ( अब प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक) के पास आये उनसे विनती की लेकिन डी एम साहब ने भी वक़्त हालात को देखते हुए मना कर दिया ,सेवादार ना उम्मीद होकर वापस जाने लगे वही बैठे वरिष्ठ पत्रकार रिज़वान मुस्तफ़ा को ईश्वर ने शक्ति दी उनके मुहँ से निकला क्यों नही देंगे आप इजाज़त 20 वर्षो से मैं देख रहा हूँ आज तक कोई ऑपरेशन यहाँ के खराब नही हुए है,आप इतिहास देख लीजिये,बेईमान एन जी ओ की सज़ा ईमानदारी और सेवा भाव से कर रहे लोगो को क्यों दी जा रही है,
रविंद्र नायक जी का जवाब था रिज़वान मुस्तफ़ा कह रहा है यह बात तो ज़रूर मैं देखूंगा
मैं 2 बजे खुद हाडियकोल आता हूँ,सेवादारों की खुशी का ठिकाना ना रहा,के रविंद्र नायक जी सीएमओ के साथ पहुचे पूरे अस्पताल का मुआयना किया, बाबा का आशीर्वाद लिया शासन को पत्र भेजकर अनुमति दिलाई,और यही नही पिछले वर्ष हुए ऑपरेशन के अंधत्ता निवारण योजना के तहत 6 लाख से ज़ियादा की चेक भी आश्रम को निर्गत कराई।
हज़ारो लोगो की दुआओ में हिस्सा बने के रविंद्र नायक आज भी इस नेक काम को याद किये है और सुकून पाते है।
आज स्वामी महाराज जी नही रहे लेकिंन उनके क़ौमी एकता के लिए दिए गये पैग़ाम बाराबंकी की सरज़मी के बीमारों को शिफा देते रहेंगे
बहूत याद आयेंगे बहूत याद आएंगे,
बाराबंकी में यह एक ऐसा आश्रम है जहां गरीबों अर्थात ‘दरिद्र नारायण’ की सेवा करके ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के मन्त्र को धरातल पर सिर्फ महसूस नहीं किया जा सकता बल्कि साक्षात देखा भी जा सकता है। इस आश्रम में हर साल हजारों की संख्या में गरीब असहाय लोगों का मुफ्त इलाज किया जाता है। यहां का सेवा भाव देखकर देश के राजनेताओं को सीख लेने की आवश्यकता है। क्योंकि यहां सेवा भाव के आगे धर्म की सभी सीमाएं टूटती दिखाई देती हैं। यहां इस सेवा भाव में अपना योगदान देने के लिए देश-विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टर आते हैं।
हजारों लोगों का होता है इलाज
सेवा भाव का यह समागम दिखाई देता है बाराबंकी जनपद के हड़ियाकोल जंगल में स्थित श्रीराम वन कुटीर में। हर साल यहां हजारों की संख्या में गरीब असहाय लोगों का निशुल्क इलाज किया जाता है। अनुमान है कि हर साल यहां चार से पांच हजार लोगों की आंखों, हाइड्रोसील, हार्निया और बवासीर का मुफ्त ऑपरेशन किया जाता है। यहां की खास बात यह है कि यहां ऑपरेशन तो निशुल्क होता ही है। साथ ही साथ मरीजों को भोजन, दवाएं आदि की भी व्यवस्था निशुल्क रहती है। मरीजों के रहने के साथ उनके तीमारदारों के रुकने की व्यवस्था भी आश्रम की ओर से निशुल्क रहती है।
कैम्प लगाकर गरीबों का इलाज
बाराबंकी के जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी भी इस आश्रम के बारे में जानने और देखने पहुंचे। अखिलेश तिवारी ने बताया कि दरिद्र नारायण की सेवा का साक्षात दर्शन इस आश्रम में देखने को मिलता है। यहां का सेवा भाव देखते ही बनता है। प्रत्येक वर्ष इसी माह में आश्रम के कर्ताधर्ता अपने संसाधनों के द्वारा कैम्प लगाकर गरीब लोगों का मुफ्त इलाज कराते हैं। यहां अमेरिका, कोरिया, चीन, नेपाल के साथ-साथ कई देशों के विशेषज्ञ डॉक्टर आकर अपनी मुफ्त सेवाएं प्रदान करते हैं। विदेशों के अलावा देश के भी नामचीन डॉक्टर यहां आकर कैम्प को अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। सही मायनों में यहां नर सेवा, नारायण सेवा का भाव दिखाई देता है। जिलाधिकारी ने बताया कि आश्रम के इस काम में अगर किसी तरह की कमी आती है तो जिला प्रशासन इस सेवा भाव के लिए आश्रम के आदेशों का इंतजार करेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि वैसे जिले के सीएमओ और योग्य चिकित्सक यहां लगे हुए हैं और अपना योगदान दे रहे हैं।
एक डॉक्टर ने शुरू किया था इलाज
आश्रम के इस कैम्प की देखरेख में लगे यहां के मुख्य कर्ताधर्ता गुरु जी ने बताया कि इस आश्रम के बारे में सबसे पहले परम पूज्य स्वर्गीय रामचन्द्र दास जी महाराज ने सोचा था। उस समय उन्होंने अपने एक डॉक्टर मित्र को यहां कुछ दिन रुककर लोगों का इलाज करने का निवेदन किया। तबसे डॉक्टर यहां आकर महाराज जी के आदेश पर कुछ दिन रुककर लोगों का इलाज करने लगे। पहले एक दो मरीज यहां आते थे। फिर धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ने लगी, जो आज हजारों की संख्या तक पहुंच चुकी है। लगभग पांच दशक पहले शुरू हुआ दरिद्र नारायण की सेवा का सिलसिला आज भी कायम है। इसका श्रेय गुरु जी हनुमान जी महाराज को देते हुए कहते हैं कि उन्हीं की कृपा से यह असम्भव कार्य सम्भव हो पा रहा है।
मिलती है हर सुविधा
किसी अत्याधुनिक अस्पताल की तरह सेवाएं देने वाले इस आश्रम में इलाज कराने के लिए किसी धर्म विशेष का स्थान नहीं है। बल्कि धर्म की सारी सीमाएं यहां टूटती दिखाई देती हैं। जितने हिन्दू यहां इलाज करवाकर सेवा का लाभ ले रहे हैं उतने ही मुस्लिम भी यहां इलाज करवाकर आश्रम की सेवा का लाभ ले रहे हैं। यहां मरींजों के लिए न तो पंजीकरण का कोई शुल्क है, न ही इलाज का कोई शुल्क, न ही ऑपरेशन का कोई शुल्क, न भोजन का कोई शुल्क और न ही यहां रुकने का कोई शुल्क। लेकिन हां सुविधा यहां पूरी अत्याधुनिक है।
सालभर लोग करते हैं इलाज का
इस कैम्प के लिए गरीब असहाय लोग पूरे साल भर इन्तजार करते हैं। कैम्प का समय आते ही वह अपना इलाज या ऑपरेशन करवाते हुए इस सेवा का लाभ लेते हैं। इस कैम्प की खास बात यह है कि इतने लम्बे अरसे से चले आ रहे इस शिविर से कोई ऐसा मरीज अब तक सामने नहीं आया जिसको ऑपरेशन या इलाज के बाद कोई दिक्कत हुई हो। आंखों के ऑपरेशन के बाद यहां मरीजों को चश्मा आश्रम की ओर से मुफ्त दिया जाता है। अर्थात यहां किसी भी सेवा का कोई शुल्क नहीं है।